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रविवार, 4 फ़रवरी 2024

अमेरिका और ब्रिटेन ने सहयोगी देशों के साथ यमन के हूती-नियंत्रित इलाकों पर किया बड़ा हमला, 36 ठिकानें तबाह

 अमेरिका और ब्रिटेन की सेनाओं ने शनिवार को यमन में हूती-नियंत्रित क्षेत्रों पर ताबड़तोड़ हमले किए। इस दौरान यमन में हूतियों के करीब 36 ठिकानें तबाह कर दिए गए। अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने यह जानकारी दी।

ऑस्टिन ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि ये हमले करने में अमेरिका और ब्रिटेन को ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा, डेनमार्क, नीदरलैंड और न्यूजीलैंड से भी सहयोग मिला। ऑस्टिन ने कहा, ‘‘अमेरिका और ब्रिटेन की सेनाओं ने यमन में हूती-नियंत्रित क्षेत्रों के खिलाफ फिर से हमले किए।

यह सामूहिक कार्रवाई हूती विद्रोहियों के लिए स्पष्ट संदेश है कि अगर वे अंतरराष्ट्रीय नौवहन और जहाजों पर अपने अवैध हमलों को नहीं रोकेंगे तो उन्हें आगे भी इसी प्रकार परिणाम भुगतने होंगे। हम दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण जलमार्गों में से एक में जीवन और जहाजों के मुक्त नौवहन की रक्षा करने में नहीं हिचकेंगे।’’ उन्होंने कहा कि इन हमलों का उद्देश्य लाल सागर से वैध तरीके से गुजरने वाले अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय जहाजों पर अस्थिर करने के मकसद से किए जा रहे अकारण हमलों को अंजाम देने की ईरान समर्थित हूती मिलिशिया (असैनिक लड़ाकों) की क्षमताओं को रोकना तथा कम करना है।

वाणिज्यिक जहाजों पर हमले का दिया जवाब

ऑस्टिन ने कहा कि गठबंधन सेना ने हूतियों के हथियारों के जखीरे के केंद्र, मिसाइल प्रणालियों, वायु रक्षा प्रणालियों और रडार से जुड़े 13 स्थानों को निशाना बनाया। अमेरिका, ब्रिटेन और उसके अन्य गठबंधन सहयोगियों द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा, डेनमार्क, नीदरलैंड और न्यूजीलैंड के समर्थन से अमेरिका और ब्रिटेन की सेनाओं ने यमन में 13 स्थानों पर 36 हूती ठिकानों के खिलाफ आवश्यक हमले किए। उन्होंने कहा कि ये हमले अंतरराष्ट्रीय और वाणिज्यिक नौवहन के साथ-साथ लाल सागर को पार करने वाले नौसैनिक जहाजों के खिलाफ हूतियों के निरंतर हमलों के जवाब में किए गए। बयान में कहा गया है, ‘‘आज के हमले में विशेष रूप से हूतियों के हथियार भंडार केंद्रों, मिसाइल प्रणालियों और लॉन्चर, वायु रक्षा प्रणालियों और रडार से जुड़े स्थानों को निशाना बनाया गया।’’ वाणिज्यिक जहाजों और नौसैनिक जहाजों पर पिछले साल नवंबर के मध्य से हूतियों के 30 से अधिक हमले एक अंतरराष्ट्रीय चुनौती बन गए हैं। 

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