America and UN on Bangladesh Election: बांग्लादेश में हाल ही में आम चुनाव संपन्न हुए। इस चुनाव में शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग ने 300 सीटों में से दो तिहाई सीटों पर जीतकर प्रचंड बहुमत से विजय हासिल की है।
जानकारी के अनुसार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी के चुनाव जीतने के एक दिन बाद अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने चुनाव के दिन हिंसा और अनियमितताओं की खबरों पर चिंता व्यक्त की। इसके साथ अमेरिका ने कहा कि चुनाव स्वतंत्र या निष्पक्ष नहीं थे और मतदान में सभी दलों के हिस्सा नहीं लेने पर उन्होंने अफसोस भी जताया।
निष्पक्ष नहीं थे चुनाव, अमेरिका ने जताया ऐतराज
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा, 'अमेरिका अन्य पर्यवेक्षकों के साथ यह बात साझा करना चाहता है कि ये चुनाव स्वतंत्र या निष्पक्ष नहीं थे और हमें अफसोस है कि सभी दलों ने चुनाव में हिस्सा नहीं लिया।' यह देखते हुए कि हसीना की पार्टी अवामी लीग ने 7 जनवरी के आम चुनाव में अधिकांश सीटें जीत लीं, विदेश मंत्रालय ने कहा कि वाशिंगटन चुनाव के दौरान और उससे पहले के महीनों में हुई हिंसा की निंदा करता है।
'चुनावी हिंसा की विश्वस्नीय जांच हो'
विदेश मंत्रालय ने कहा, 'बांग्लादेश सरकार को हिंसा की खबरों की विश्वसनीय जांच और दोषियों को जवाबदेह ठहराने के लिए उचित कदम उठाना चाहिए। हम सभी राजनीतिक दलों से हिंसा से दूर रहने का आग्रह करते हैं।' संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने बांग्लादेश की नवनिर्वाचित सरकार से लोकतंत्र और मानवाधिकारों के प्रति देश की प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए कदम उठाने अपील की। इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि रविवार को वोटिंग की प्रोसेस के दौरान विपक्षी उम्मीदवारों और समर्थकों की ओर से की गई हिंसा के कारण माहौल खराब हो गया।
टर्क ने कहा, 'मतदान से पहले के महीनों में हजारों विपक्षी दलों के समर्थकों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया है या धमकाया गया। ऐसी युक्तियां वास्तव में निष्पक्ष प्रक्रिया के लिए अनुकूल नहीं हैं।' संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि बांग्लादेश में 'बेहद मश्किलों के बाद' लोकतंत्र कायम हुआ था और ' ये दिखावटी नहीं बनना चाहिए।'
गौरतलब है कि हसीना की पार्टी प्रचंड बहुमत से 7 जनवरी को हुई मतगणना के परिणाम आने के बाद जीत गई। इस चुनाव का दरअसल, सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बीएनपी ने बहिष्कार किया था। जीत के यह आंकड़े संसद में विपक्ष की ताकत और भूमिका के बारे में सवाल उठाते हैं। खासकर तब जब सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बीएनपी ने चुनाव का बहिष्कार किया हो। सत्तारूढ़ पार्टी के निर्दलीय उम्मीदवारों ने अवामी लीग और जातीय पार्टी के मौजूदा सांसदों सहित दर्जनों दिग्गजों पर चौंकाने वाली जीत हासिल की। आवामी लीग को उन्हीं सीटों पर नुकसान हुआ, जो सीटों के बंटवारे के समझौते के तहत छोड़ी गई थीं।
जीत से बदल गया राजनीतिक परिदृश्य
अवामी लीग के बागी उम्मीदवारों ने जातीय पार्टी की 61 सीटों की तुलना में लगभग छह गुना अधिक सीटें जीतीं। आवामी लीग ने 299 निर्वाचन क्षेत्रों में से 211 के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया है। इन निर्दलीय उम्मीदवारों की अप्रत्याशित जीत ने राजनीतिक परिदृश्य को काफी बदल दिया है, जो सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर आंतरिक प्रतिस्पर्धा के एक नए युग का संकेत देता है।
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