अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाली राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए विशेष धार्मिक अनुष्ठान का पालन कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को आंध्र प्रदेश के लेपाक्षी के वीरभद्र मंदिर पहुंचे।
प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री मंदिरों का दौरा कर पूजा-पाठ कर रहे हैं। उनकी इन यात्राओं का धार्मिक पहलू है। सबसे पहले वह महाराष्ट्र के पंचवटी गए। भगवान राम, अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ यहीं पर वनवास काट रहे थे और यहीं रावण माता सीता का अपहरण कर उन्हें अपने साथ ले गया।
अनुभूति का अवसर है यह भाव यात्रा-पीएम
उन्होंने कहा, 'मैं भावुक हूं, भाव-विह्वल हूं। मैं पहली बार जीवन में इस तरह के मनोभाव से गुजर रहा हूं।'प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस स्वप्न को अनेक पीढ़ियों ने वर्षों तक एक संकल्प की तरह अपने हृदय में जिया, उन्हें उसे साकार होते हुए देखने का सौभाग्य मिला है। मोदी ने एक ऑडियो संदेश में कहा कि उनके अंतर्मन की यह भाव यात्रा अभिव्यक्ति की नहीं बल्कि अनुभूति का अवसर है। उन्होंने कहा कि वह चाहते हुए भी इसकी गहनता, व्यापकता और तीव्रता को शब्दों में बांध नहीं पा रहे हैं।
'यम नियम' का पालन कर रहे प्रधानमंत्री
अधिकारियों ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी व्यस्तताओं और जिम्मेदारियों के बावजूद धर्मग्रंथों में वर्णित सभी निर्देशों का सख्ती से पालन करने का फैसला किया है। एक अधिकारी ने कहा, 'इसके लिए, प्रधानमंत्री ने प्राण प्रतिष्ठा के लिए 11 दिन के यम नियम का पालन शुरू कर दिया है।'यम नियम के तहत इसका पालन करने वालों के लिए योग, ध्यान और विभिन्न पहलुओं में अनुशासन सहित कई कठोर उपायों का वर्णन है। अधिकारी ने कहा कि मोदी अपने दैनिक जीवन में इनमें से कई अनुशासन का पालन करते हैं, जिनमें सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में जागना, ध्यान करना और सात्विक भोजन करना शामिल है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जनता भी ईश्वर का एक रूप है और वह उनकी ऊर्जा साथ लेकर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करेंगे। उन्होंने लोगों से अपने विचार साझा करने और उन्हें आशीर्वाद देने का भी अनुरोध किया।
हवा में लटका है लेपाक्षी मंदिर का एक खंभा
आंध्र प्रदेश के अननंतपुर जिले में लेपाक्षी मंदिर स्थित है। इसे 'हैंगिंग पिलर टेंपल' के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में कुल 70 खंभे हैं, जिसमें से एक खंभा जमीन से जुड़ा हुआ नहीं है।वह रहस्यमयी तरीके से हवा में लटका हुआ है। इस मंदिर में इष्टदेव भगवान शिव के क्रूर रूप वीरभद्र हैं। वीरभद्र महाराज दक्ष के यज्ञ के बाद अस्तित्व में आए थे। इसके अलावा यहां भगवान शिव के अन्य रूप अर्धनारीश्वर, कंकाल मूर्ति, दक्षिणमूर्ति और त्रिपुरातकेश्वर भी मौजूद हैं। यहां विराजमान माता को भद्रकाली कहा जाता है।
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