बिहार की सत्ता बीते रविवार को गंवाने वाले राष्ट्रीय जनता दल के नेता और महागठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे तेजस्वी यादव मंगलवार को नौकरी के बदले जमीन घोटाले से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए ईडी के सामने पेश हुए।
इससे पूर्व बीते सोमवार को इसी मामले में राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व रेलमंत्री रहे लालू यादव भी ईडी के सवालों का जवाब देने के लिए पेश हुए थे। एजेंसी ने लालू यादव से 10 घंटे तक पूछताछ की थी।
समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार तेजस्वी याजव आज सुबह 11:25 बजे पटना स्थित ईडी के कार्यालय पहुंचे। इस दौरान मौके पर मौजूद उनके समर्थकों ने ईडी और सूबे में जदयू के साथ सत्ता पर काबिज हुई भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
इससे पहले इसी मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से ईडी ने अप्रैल 2023 में आठ घंटों तक पूछताछ की थी। वहीं 22 दिसंबर को ईडी के समन को तेजस्वी यादव ने यह कहते हुए नजरअंदाज कर दिया था कि नौकरी के बदले जमीन घोटाले के संबंध में एजेंसी की ओर से जारी किया गया नोटिस एक नियमित मामला था।
मालूम हो कि नौकरी के बदले जमीन का कथित घोटाला 2004 और 2009 के बीच लालू यादव परिवार द्वारा रेलवे में नियुक्तियों के बदले अभ्यर्थियों से जमीन लिए जाने के संबंध में है, उस समय लालू यादव मनमोहन सिंह की तत्कालीन सरकार में रेल मंत्री थे।
ईडी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर मामले की जांच कर रही है। ईडी ने 9 जनवरी को कहा कि उसे नौकरी के बदले जमीन के कथित घोटाले में 600 करोड़ रुपये के अपराध की आय का पता चला है। एजेंसी ने मामले में पहला आरोप पत्र भी कोर्ट में दायर किर दिया था, जिसमें शामिल किये गयेसात आरोपियों में राजद प्रमुख लालू यादव की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनकी बेटियों, मीसा और हेमा यादव का नाम शामिल है।
इस मामले में सीबीआई ने अक्टूबर 2022 में अपनी चार्जशीट दायर की थी। दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई के इस केस में राजद प्रमुख लालू यादव, राबड़ी देवी, मीसा और अन्य को पिछले साल मार्च में जमानत दे दी थी।
वहीं इन कार्रवाईयों को लेकर राजद का आरोप है कि लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग करके विरोधी नेताओं को दबाने का काम कर रही है।
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