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शुक्रवार, 5 जनवरी 2024

LAC पर चीन की ईंट को पत्थर से जवाब.. अरूणाचल प्रदेश में फ्रंटियर हाईवे का निर्माण शुरू, जानिए प्रोजेक्ट


 भारत सरकार ने आखिरकार वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के ठीक बगल में देश की सबसे चुनौतीपूर्ण और रणनीतिक परियोजना - अरुणाचल प्रदेश में फ्रंटियर हाईवे पर काम शुरू कर दिया है।परियोजना के निर्माण के लिए पहली निविदाएं सरकार ने गुरुवार को आमंत्रित कर दिए हैं, जिसका लक्ष्य इसे 2027 तक पूरा करना है। ये प्रोजेक्ट पूरी तरह से चीन को काउंटर करने के लिए लाया गया है, जिसका मकसद संघर्ष की स्थिति में भारतीय जवानों तक फौरन रसद सामग्रियों के साथ साथ मदद पहुंचानी है।भारतीय सीमा से सटे इलाकों में चीन काफी तेजी से निर्माण कार्य कर रहा है और इससे दोनों देशों के बीच का तनाव काफी बढ़ा हुआ है। अरूणाचल प्रदेश पर चीन की काली नजर है और अरूणाचल से सटे अपने क्षेत्र में चीन ने कई गांव भी बसाए हैं और माना जा रहा है, कि ये गांव असल में चीन के आर्मी कैंम्प्स हैं।लेकिन, अब भारत ने भी चीन को काउंटर करने के लिए निर्माण करने शुरू करने का फैसला किया है।भारत सरकार की निविदाएं क्या हैं?रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार ने जो पहली निविदाएं आमंत्रित की है, उनकी कीमत करीब 2,200 करोड़ रुपये है।इस प्रोजेक्ट के तहत एलएसी से सटे हुनली और हयुलियांग के बीच लगभग 121 किमी लंबे एक महत्वपूर्ण राजमार्ग का निर्माण किया जा रहा है।वहीं, हुनली और इथुन के बीच 17 किमी लंबा रणनीतिक पुल और टुटिन से जिदो तक 13 किमी लंबी सड़क का निर्माण किया जा करहा है।अरुणाचल प्रदेश में लगभग 1,700 किलोमीटर लंबी फ्रंटियर हाईवे परियोजना एक प्रमुख रणनीतिक परियोजना होगी जो सीमा पार चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के अलावा एलएसी पर सैन्य आवाजाही में मदद करेगी।चीन ने अतीत में इस परियोजना पर आपत्ति जताई थी जब पहली बार 2016 के आसपास इसकी कल्पना की गई थी, इसलिए, यह चीन की चालों के लिए भारत का प्रमुख जवाब माना जा रहा है।

कैसा होगा ये फ्रंटियर हाईवे?

अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे दिरांग-तवांग रोड, नफरा, लाडा, बामेंग, चायांगताजो, सरली, दामिन, पारसी पारलो, ताली, तलिहा, सियुम, मेचुका, तातो, पायुम, तूतिंग, सिंगा, दिबांग घाटी और अंजॉ को आगे विजयनगर तक जोड़ेगा।एक बार पूरी तरह से तैयार होने पर, यह एलएसी के बगल में तवांग के पास बोमडिला से म्यांमार सीमा के पास विजयनगर तक कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।प्रोजेक्ट की पूरी लागत 27,000 करोड़ रुपये होगी। अरुणाचल प्रदेश के सांसद और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने पहले कहा था, कि "अरुणाचल प्रदेश के सभी दूरस्थ सीमावर्ती स्थानों को जोड़ने के लिए मेरे सबसे बड़े सपनों में से एक को मंजूरी दे दी गई है। यह स्वतंत्र भारत की सबसे कठिन और सबसे बड़ी सीमा सड़क परियोजनाओं में से एक होगी।"

अरूणाचल प्रदेश में मेगा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स

फ्रंटियर हाईवे हाल के वर्षों में एलएसी पर चीन के मंसूबों का मुकाबला करने के प्रयास में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अरुणाचल प्रदेश में एक बड़े सड़क बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने का हिस्सा है।हाल ही में, 31 दिसंबर को अपनी सेवानिवृत्ति से पहले, पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता ने एक टीवी चैनल को बताया था, कि भारत ने एलएसी के साथ, विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश में विकास में देर कर दी है, लेकिन पिछले 10 वर्षों में बड़ी प्रगति हुई है।उन्होंने कहा, कि "पीएलए (चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) कुछ क्षेत्रों में हमसे थोड़ा आगे है, क्योंकि उन्होंने जल्दी शुरुआत की और हम देर से आए। अब, बहुत जोर दिया गया है और मुझे यकीन है कि हम एक साल के भीतर अच्छा प्रदर्शन करेंगे। यह कोई रेस नहीं है, लेकिन हम बड़े पैमाने पर किए जा रहे प्रयासों के आधार पर कह सकते हैं कि हम अच्छा प्रदर्शन करेंगे।"

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