शुक्रवार, 5 जनवरी 2024
राशन घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय की टीम पश्चिम बंगाल में लगातार छापेमारी कर रही है. इस दौरान ही शुक्रवार को ED की टीम छापेमारी करने उत्तर 24 परगना पहुंची. लेकिन ईडी की टीम को यहां ग्रामीणों की भीड़ ने घेर लिया और उन पर हमला कर दिया.भीड़ ने ईडी अधिकारियों के साथ-साथ केंद्रीय सुरक्षा बलों की गाड़ियों में भी तोड़फोड़ की है.ईडी की टीम पर हमले का यह मामला उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखली गांव का है. जांच एजेंसी की टीम यहां राशन घोटाले के केस में टीएमसी नेता शाहजहां शेख के घर छापेमारी करने पहुंची थी. इस दौरान ही करीब 200 लोगों की भीड़ ने अचानक ईडी की टीम पर धावा बोल दिया. भीड़ ने ईडी अधिकारी और उनके साथ आए केंद्रीय सुरक्षाबलों की गाड़ियों में तोड़फोड़ की. जानकारी के मुताबिक जो टीम छापेमारी करने पहुंची थी, उसमें ईडी के असिस्टेंड डायरेक्टर भी शामिल थे. भीड़ ने उनकी गाड़ी भी तोड़ दी.कथित राशन वितरण घोटाले के सिलसिले में पश्चिम बंगाल में ईडी की छापेमारी कई महीनों से जारी है. प्रवर्तन निदेशालय ने पहले खुलासा किया था कि पश्चिम बंगाल में लाभार्थियों के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का लगभग 30 प्रतिशत राशन खुले बाजार में भेज दिया गया. जांच एजेंसी ने कहा था कि राशन की कथित चोरी के बाद मिले पैसे मिल मालिकों और पीडीएस वितरकों के बीच बांटी गई.चावल मिल मालिकों ने कुछ सहकारी समितियों सहित कुछ लोगों की मिलीभगत से किसानों के फर्जी बैंक खाते खोले और धान उत्पादकों को भुगतान की जाने वाली एमएसपी को अपनी जेब में डाल लिया. प्रमुख संदिग्धों में से एक ने स्वीकार किया कि चावल मिल मालिकों ने प्रति क्विंटल लगभग 200 रुपये कमाए थे.इससे पहले राशन घोटाले के मामले में बंगाल के मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक के आवास पर भी ईडी छापेमारी कर चुकी है. ज्योतिप्रिय मलिक वन मंत्री बनने से पहले खाद्य मंत्री का कार्यभार भी संभाल चुक हैं. इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने इस कथित घोटाले में चावल मिल मालिक बकीबुर रहमान को गिरफ्तार किया था. 2004 में एक चावल मिल मालिक के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले रहमान ने अगले दो वर्षों में तीन और कंपनियां खड़ी कर लीं. ईडी अधिकारियों के मुताबिक रहमान ने कथित तौर पर शेल कंपनियों की श्रृंखला खोली और पैसे निकाले.बता दें कि टीएमसी के नेताओं पर ईडी की छापेमारी पहले भी होती रही है. भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में जांच एजेंसी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी से भी पूछताछ कर चुकी है. बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को भी शिक्षक भर्ती घोटाले के सिलसिले में 2022 में गिरफ्तार किया जा चुका है.
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