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गुरुवार, 4 जनवरी 2024

गाजा के बाहर भी बदला शुरू, इजराइल के खिलाफ टांग अड़ाना ईरान को ऐसे पड़ रहा भारी

 


रूस, यूक्रेन, इजराइल और गाजा…ये वो 4 जगहें हैं जहां के लोग बीते कई महीनों से दहशत में अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. रूस और यूक्रेन के बीच जंग कब खत्म होगी, ये सिर्फ और सिर्फ व्लादिमीर पुतिन और जेलेंस्की बता सकते हैं.

लेकिन पिछले साल अक्टूबर में इजराइल और हमास के बीच जो तनाव बढ़ा है उसकी आंच ईरान तक पहुंच गई. ईरान सीधे तौर पर कोई जंग नहीं लड़ रहा, लेकिन उसे उतना ही नुकसान हो रहा जितना युद्ध लड़ने वाले देश को होता है. बीते 4 साल में उसने अपने दो टॉप कमांडर खोए हैं. यही नहीं इस दौरान अलग-अलग हमलों में ना जानें कितने मासूम लोगों की भी जान गई है.

दरअसल, इजराइल-हमास जंग में ईरान खुलकर अपना पक्ष सामने रख चुका है. अमेरिका और ईरान को दुश्मन माना जाता है. अमेरिका जंग में इजराइल के साथ है. ऐसे में ईरान दोनों मुल्कों को आंखें दिखा रहा है. ऐसे में हमें समझना होगा कि ईरान क्यों इन दोनों मुल्कों से पंगा ले रहा है. इसकी वजह है यमन के हूती विद्रोही. हूती को गाजा में इजराइल की कार्रवाई बर्दाश्त नहीं है. हूती विद्रोही लाल सागर में इजराइल और अमेरिका के मालवाहक जहाजों को निशाना बना रहे हैं. बदले में अमेरिका-इजराइल हूती पर कार्रवाई कर रहे हैं जो ईरान को नागवार गुजर रहा है क्योंकि ईरान हूती विद्रोहियों का समर्थन करता है.

सुलेमानी, मोसावी और अब 100 से ज्यादा लोगों की मौत

हाल के वर्षों में ईरान को सबसे बड़ा नुकसान तब हुआ जब उसके टॉम कमांडर कासिम सुलेमानी की ईराक के बगदाद में हत्या कर दी गई थी. 62 वर्षीय सुलेमानी ने ईरान की कुद्स फोर्स के प्रमुख के रूप में मध्य पूर्व में ईरानी सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया था. ईरान की हत्या के पीछे अमेरिका का हाथ बताया गया. तब के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि जनरल लाखों लोगों की मौत के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार थे. सुलेमानी की हत्या के बाद वाशिंगटन और तेहरान के बीच तनाव बढ़ गया था.

सुलेमानी के नेतृत्व में ईरान ने लेबनान में हिजबुल्लाह और अन्य ईरान समर्थक आतंकवादी समूहों को मजबूत किया था. यही नहीं सुलेमानी के रहते ईरान ने इराक और सीरिया में अपनी सैन्य उपस्थिति का विस्तार किया था. सुलेमानी की हत्या के 3 साल बाद 2023 में ईरान को अपने एक और टॉप कमांडर को खोना पड़ा. ये थे सैयद रजी मोसावी. सीरिया के दमिश्क में दिसंबर में ईरानी कमांडर की हत्या हो गई थी. ईरान मोसावी की मारे जाने के दर्द से अभी बाहर ही नहीं निकल पाया था कि बुधवार को करमान शहर में अल जमान मस्जिद के पास दो बम धमाके हो गए, जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई.

पहला धमाका ईरानी सेना के पूर्व जनरल सुलेमानी की कब्रके पास हुआ. कुछ देर बाद ही दूसरा धमाका हुआ. धमाके के बाद पूरा इलाका दहल गया. सुलेमानी की चौथी बरसी पर भारी संख्या में लोग कब्र के पास जमा हुए थे. धमाके के बाद ईरान और इजराइल के बीच तनाव बढ़ गया.

ईरान के गृह मंत्री अहमद वाहिदी ने इस विस्फोट में इजराइल का हाथ बताया है. वाहिदी ने धमकी देते हुए कहा कि इजराइल को करारा जवाब मिलेगा. ईरान में हमले पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि ये ईरान के खिलाफ बर्बरता है और मानवता के खिलाफ हमला है. पुतिन ने कहा है वो ईरान के साथ खड़ा है. ये धमाके ऐसे समय में हुए हैं जब बेरूत ड्रोन हमले में ईरान के सहयोगी और हमास के नंबर दो कमांडर सालेह अल-अरूरी की मौत हो गई थी.

लाल सागर में हूती विद्रोहियों का आतंक

ईरान तो बदला लेने की बात कर ही रहा है, लेकिन लाल सागर में हूती विद्रोहियों मोर्चा संभाले हुए हैं और अमेरिका, ब्रिटेन और इजराइल को चुनौती दे रहे हैं. अमेरिका धमकी देता है लेकिन उसका कोई असर हूती विद्रोहियों पर नहीं पड़ता है.

हाल ही में हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में फ्रांसीसी कंटेनर जहाज पर हमला किया. यमन के ईरान समर्थित हूती का कहना है कि उन्होंने लाल सागर में सीएमए सीजीएम टैग कंटेनर जहाज को निशाना बनाया. दावा किया जा रहा है कि हूती विद्रोहियों ने दो बैलिस्टिक मिसाइल दागे. हूती के हमले के बाद अमेरिका ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है. अमेरिका ने कहा है कि हूती विद्रोहियों को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी. बता दें कि लाल सागर में पिछले 45 दिनों में हूती विद्रोहियों ने 24 हमले किए हैं.

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