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शुक्रवार, 12 जनवरी 2024

क्या है नियमित बजट और अंतरिम बजट में अंतर, सरकारी मशीनरी को चलाने में लेखानुदान का रोल भी है अहम


जिस साल देश में आम चुनाव होने होते हैं उस वर्ष सरकार अंतरिम बजट का उपयोग देश की मशीनरी को बिना किसी अड़चन के आगे बढ़ाने के लिए करती है। भारत सरकार हर साल फरवरी के पहले दिन केंद्रीय बजट पेश करती है और यह बजट आगामी वित्तीय वर्ष के लिए एक वित्तीय ब्लूप्रिंट के रूप में कार्य करता है।हालांकि, 2024 में होने वाले आम चुनावों के कारण, केंद्र सरकार इस साल पूर्ण बजट पेश नहीं करेगी, बल्कि इस बार 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद के बजट सत्र के दौरान अंतरिम बजट पेश करेंगी। आइए देश के नियमित बजट और चुनावी साल में पेश किए जाने वाले अंतरिम बजट की परिभाषा के जरिए उनके बीच का अंतर समझते हैं।

नियमित बजट क्या है?

वार्षिक बजट हर साल फरवरी में पेश किया जाता है और यह आगामी वित्तीय वर्ष के लिए 1 अप्रैल से 31 मार्च तक का पूर्ण वित्तीय विवरण होता है। इस दस्तावेज़ में करों और अन्य उपायों के माध्यम से सरकार के राजस्व स्रोतों की एक व्यापक सूची शामिल होती है। इसके अलावे इसमें बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में किए जाने वाले सुझाए गए व्यय भी शामिल होत हैं। यह दस्तावेज आने वाले पूरे वित्तीय वर्ष के लिए देश के लिए एक विस्तृत वित्तीय रोडमैप प्रदान करता है, देश के वित्तीय लक्ष्यों और नीतिगत पहलों को निर्धारित करता है, और देश के आर्थिक ढांचे को आकार देता है। नियमित बजट में पारित होने से पहले व्यापक संसदीय बहस, जांच, संशोधन और चर्चा भी की जाती है।

अंतरिम बजट क्या है?

देश में जिस वर्ष आम चुनाव होते हैं उस साल सरकार अंतरिम बजट का उपयोग देश की मशीनरी को बिना किसी अड़चन के आगे बढ़ने में मदद करने के लिए करती है। अंतरिम बजट भी फरवरी में पेश किया जाता है, हालांकि, यह आने वाले पूरे वित्तीय वर्ष के बजाय, चालू वित्त वर्ष के बचे महीनों को कवर करता है। अंतरिम बजट यह सुनिश्चित करने के लिए पेश किया जाता है कि वेतन, पेंशन और कल्याण कार्यक्रमों जैसी आवश्यक सेवाएं निर्बाध रूप से जारी रह सकें। अंतरिम बजट में सरकार किसी भी बड़ी नीतिगत घोषणा या कराधान में किसी बड़े बदलाव से बचती है, ताकि चुनावी मौसम से पहले मतदाताओं को किसी भी तरह से प्रभावित करने से बचा जा सके। अंतरिम बजट निवर्तमान सरकार के कार्यकाल के शेष महीनों के लिए एक अस्थायी वित्तीय रोडमैप के रूप में कार्य करता है। अंतरिम बजट में शामिल अनुमोदन प्रक्रिया भी कम जटिल है। इस पर बहुत अधिक संसदीय चर्चा भी नहीं होती है।

लेखानुदान क्या है? इसका क्या रोल है?

हालांकि, एक बार चुनाव संपन्न होने और नया वित्तीय वर्ष शुरू होने के बाद, नई सरकार के गठन और आधिकारिक रूप से कार्यभार संभालने से पहले एक छोटी अवधि होती है। इस महत्वपूर्ण अवधि में सिस्टम कैसे काम करता है यह भी जानना जरूरी है। इसके लिए लेखानुदान की जानकारी जरूरी है। चुनाव संपन्न होने और नई सरकार के शपथ ग्रहण के बाद देश के सिस्टम में निरंतरता सुनिश्चित करने और प्रशासन व संचालन में किसी भी प्रकार की रुकावट से बचने के लिए 'लेखानुदान' का इस्तेमाल किया जाता है। यह सुविधा यह सुनिश्चित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाती है कि देश का प्रशासनिक और आर्थिक इंजन चलता रहे। यह एक अस्थायी उपाय है और नई सरकार को भारत की समेकित निधि से धन का उपयोग एक सीमित अवधि के लिए, आमतौर पर दो महीने के लिए करने का अधिकार प्रदान करता है। इसका प्रावधान इस लिए है ताकि वेतन और चल रहे कल्याण कार्यक्रमों जैसे तत्काल खर्चों का प्रबंध किया जा सके। यह उपाय पूर्ववर्ती सरकार के बजट या अंतरिम बजट पर आधारित होता है, जिसमें तत्कालिक जरूरतों के लिए न्यूनतम संशोधन किया जाता है।

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