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गुरुवार, 11 जनवरी 2024

न काहू से दोस्ती-न काहू से बैर.फिलिस्तीन पर असली सियासत खेल रहा सऊदी अरब


  काहू से दोस्ती-न काहू से बैर…ये कहावत सऊदी अरब के लिए एकदम फिट बैठती है. वो ना तो किसी का पक्का दोस्त बनना चाहता है और ना ही किसी का दुश्मन. फिलहाल सऊदी अरब ऐसा इजराइल के साथ कर रहा है.

बेंजामिन नेतान्याहू के देश के साथ उसके संबंध ना तो बहुत ही खराब हैं और ना ही बहुत अच्छे. वो इजराइल के साथ अपने रिश्ते को सामान्य करने में तो जुटा है, साथ ही फिलिस्तीन के मुद्दे पर वो उसे घेरने से पीछे भी नहीं हटता.

सऊदी अरब गाजा में इजराइल की कार्रवाई का विरोध करता रहा है. गुरुवार को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में सुनवाई है. दक्षिण अफ्रीका ने इजराइल की कार्रवाई पर सुनवाई की मांग की थी. उसका कहना है कि गाजा में इजराइल नरसंहार कर रहा है. कोर्ट ये तय करेगा कि क्या इजराइल गाजा में नरसंहार कृत्यों में शामिल रहा है. बता दें कि 7 अक्टूबर, 2023 को शुरू हुई जंग के बाद से गाजा में अब तक 23 हजार से लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से लगभग 10,000 मौतें बच्चों की हैं.

इस्लामिक देशों के संगठन (OIC) के सभी 57 सदस्यों ने इजराइल के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका के दावों का समर्थन किया है. सऊदी अरब भी OIC का सदस्य है. दक्षिण अफ्रीका ने दिसंबर 2023 के अंत में इजराइल के खिलाफ मामला दायर किया, जिसमें यहूदी राज्य पर 1948 के जेनोसाइड कन्वेंशन का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया. अपनी 84 पेज की फाइलिंग में दक्षिण अफ्रीका ने इजराइल पर गाजा में फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ नरसंहार कार्यों में शामिल होने का आरोप लगाया.

फिलिस्तीन के मुद्दे पर तो सऊदी अरब इजराइल के खिलाफ है, लेकिन वो उससे अपने संबंधों को भी सामान्य करना चाहता है. इसपर हाल में ब्रिटेन में सऊदी अरब के राजदूत प्रिंस खालिद बिन ने बयान भी दिया. उन्होंने कहा कि उनका देश गाजा युद्ध के बाद इजराइल के साथ संबंध स्थापित करने में रुचि रखता है, लेकिन कोई भी संभावित समझौता फिलिस्तीनी राष्ट्र के निर्माण के मद्देनजर होना चाहिए.

खालिद बिन के बयान का मतलब है कि सऊदी अरब की विदेश नीति के उद्देश्यों में भारी बदलाव नहीं आया है. सऊदी अमेरिका के अनुरोध पर इजराइल के साथ बेहतर संबंधों पर काम कर रहा था, क्योंकि सऊदी अमेरिका के साथ अच्छे संबंध जारी रखना चाहता है. सऊदी अरब अमनपसंद देशों में गिना जाता है. इस देश में जाकर शांति प्रिय लोग रहना चाहते हैं. टेक्नोलॉजी और इंफ्रा में इनवेस्टमेंट करते हुए पूरी दुनिया से विशेषज्ञों को बुलाकर यह देश रोज नई कहानी लिख रहा है.

ईरान से भी वही हाल

सऊदी जैसे इजराइल के साथ अपने संबंध रखता है वैसे ही वो ईरान के साथ भी रखता है. वैसे तो सऊदी और ईरान में पुरानी दुश्मनी रही है, लेकिन हाल ही के वर्षों में दोनों देशों ने संबंध सुधारने में प्रतिबद्धता दिखाई है. दोनों मुश्लिम देशों के बीच तनाव अलग-अलग धार्मिक संप्रदायों की वजहों से तो थी, बाद में क्षेत्रीय विवाद ने दुश्मनी को और हवा दी. ईरान शिया बहुल राष्ट्र है और सऊदी सुन्नी बहुल. दोनों एक दूसरे को अपने लिए खतरा मानते थे. इजराइल फिलिस्तीन के मुद्दे पर दोनों देश एकसाथ हैं. दोनों गाजा में इजराइल की कार्रवाई का विरोध करते हैं.

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