ईरान ने जॉर्डन - सीरियाई सीमा पर स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकाने पर हुए ड्रोन हमले में अपना हाथ होने से इनकार किया है.
ये अमेरिकी सैन्य ठिकाना जॉर्डन की सीरिया के साथ लगती सीमा के क़रीब है.
अमेरिका ने इस हमले के लिए 'ईरान समर्थित चरमपंथी समूह' को ज़िम्मेदार बताया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसके बाद कहा है, "हम जवाब देंगे."
किसने ली हमले की ज़िम्मेदारी
ग़ज़ा में युद्ध शुरू होने के बाद से ये पहला मौका है जब इस क्षेत्र में हुए किसी हमले में अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई हो.
हमास की ओर से पिछले साल सात अक्टूबर को इसराइल पर अभूतपूर्व हमला करने के बाद ग़ज़ा में युद्ध शुरू हुआ था.
इस इलाके में स्थित अमेरिकी ठिकानों पर पहले भी हमले हो चुके हैं लेकिन अमेरिकी सेना के मुताबिक रविवार के पहले किसी भी हमले में कोई हताहत नहीं हुआ था.
हमले की ज़िम्मेदारी 'इस्लामिक रज़िस्टेंस इन इराक़' ने ली है.
ये एक ऐसा समूह है जिसमें इराक़ में सक्रिय ईरान समर्थित कई मिलीशिया शामिल हैं.
ये समूह साल 2023 के आखिर में सामने आया. हाल के हफ़्ते के दौरान इस समूह ने अमेरिकी सेना पर हुए कई अन्य हमलों की भी ज़िम्मेदारी ली है.
इस समूह ने एक बयान जारी करके कहा है कि उसने सीरिया में तीन अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाया है.
इसने इनके नाम शद्दादी, तनफ़ और रुकबान बताए हैं. हालांकि, रुकबान जॉर्डन में है जिसकी सीमा सीरिया से लगती है.
इस समूह ने दावा किया है कि उसने भूमध्य सागर में इसराइल के तेल संयत्र को निशाना बनाया है.
बीबीसी के अमेरिकी साझेदार सीबीएस की रिपोर्ट के मुताबिक ये हमला तड़के हुआ जब अमेरिकी सैनिक सो रहे थे.
हमला अमेरिकी ठिकाने के टॉवर 22 पर हुआ.
रक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ड्रोन 'बहुत नीचे और बहुत धीमी रफ़्तार' से आया, उसी समय अमेरिका का एक ड्रोन अपने एक अभियान से सैन्य अड्डे पर लौट रहा था.
अधिकारी ने बताया कि इसकी वजह से एयर डिफेंस सिस्टम का ऑटो रेस्पॉन्स फ़ीचर ऑफ़ हो गया.
इससे ये हुआ कि ठिकाने में मौजूद सैनिकों को कोई चेतावनी नहीं दी जा सकी.
इराक़ की सरकार ने हमले की निंदा की है. इराक़ की सरकार ने मध्य पूर्व में 'हिंसा के चक्र को ख़त्म करने' की अपील की है.
इराक़ी सरकार के प्रवक्ता बज़ीम अल अवादी ने कहा कि वो 'इलाक़े में इसके नतीजे को रोकने के लिए मूलभूत नियम बनाने और संघर्ष को तेज़ होने से रोकने के लिए साझेदारी को तैयार हैं.'
बाइडन बोले - 'हम तय करेंगे वक़्त और तरीका'
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि उनका देश 'हमले के लिए ज़िम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय करेगा. इसका वक़्त और तरीका हम तय करेंगे.'
सोमवार को अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि अमेरिका हमले को लेकर 'अहम जवाब देना चाहता है' लेकिन इस इलाके में ईरान के साथ बड़ा युद्ध नहीं चाहता.
किर्बी ने कहा कि अमेरिकी प्रशासन मानता है कि जॉर्डन में अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाने के लिए एक ड्रोन का इस्तेमाल किया गया.
ईरान ने क्या कहा?
ईरान के विदेश मंत्रालय प्रवक्ता नासेर कनानीईरान ने अमेरिका और ब्रिटेन के उन आरोपों को ख़ारिज किया है, जिनमें कहा गया है कि वो हमले के ज़िम्मेदार चरमपंथी समूहों की मदद करता है.
ईरान के विदेश मंत्रालय प्रवक्ता नासेर कनानी ने कहा है कि उनका मुल्क "प्रतिरोधी संगठनों की ओर से फ़लस्तीनियों या उनकी ओर से अपने मुल्कों की रक्षा करने के लिए किए जाने वाले फ़ैसले तय करने की प्रक्रिया में शामिल नहीं होता है."
ईरान के ख़ुफ़िया विभाग के मंत्री इस्माइल ख़ातिब ने कहा है कि ईरान के साथ खड़े क्षेत्रीय सशस्त्र गुट अमेरिकी आक्रामकता का जवाब अपने हिसाब से देते हैं.
वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा है कि बाइडन को इस हमले के बारे में रविवार की सुबह अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन समेत दूसरे अधिकारियों की ओर से सूचना दी गयी थी.
बाइडन ने इसके बाद जारी एक बयान में कहा है, 'जिल और मैं इस घृणित और पूरी तरह से अन्याय पूर्ण हमले में मारे गए अपने योद्धाओं की मौत के ग़म में उनके परिवार, दोस्तों और सभी अमेरिकी नागरिकों के साथ हैं."
इस हमले में मारे गए और घायल हुए सैनिकों के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं. क्योंकि अमेरिकी अधिकारियों की ओर ये जानकारी प्रभावित परिवारों तक पहुंचाई जा रही है.
ब्रिटेन ने क्या कहा?
ब्रितानी प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने इस हमले की निंदा करते हुए ईरान से इस क्षेत्र में तनाव कम करने की दिशा में प्रयास जारी रखने का आग्रह किया.
उन्होंने कहा, "हम क्षेत्र में स्थिरता और शांति लाने के लिए अपने सहयोगियों के साथ दृढ़ता से खड़े हैं."
ब्रितानी प्रधानमंत्री कार्यालय इस मामले में अमेरिकी आकलन को दोहराता हुआ नज़र आ रहा है.
ब्रिटेन ने कहा है कि उसका मानना है कि 'ये हमला सीरिया और इराक़ में सक्रिय ईरान-समर्थित कट्टरपंथी समूहों की ओर से किया गया है."
अमेरिकी अधिकारियों ने बताया है कि इस हमले के बाद कम से कम 34 सैन्य कर्मचारियों को ब्रेन इंजरी होने की आशंका है जिन्हें बेस से निकाला जा रहा है. इसके साथ ही घायल सैनिकों को भी इलाज के लिए बाहर निकाला जा रहा है.
अधिकारियों ने कहा कि ड्रोन सैन्य अड्डे के उस हिस्से से टकराया, जहां पर रिहायशी क्वार्टर थे. अगर वाकई ऐसा हुआ था तो समझा जा सकता है कि हताहतों की संख्या इतनी ज़्यादा क्यों थी.
अमेरिकी सेंट्रल कमांड और राष्ट्रपति बाइडन ने कहा था कि ये हमला सीरियाई सीमा के पास उत्तर-पूर्वी जॉर्डन के रुकबान नामक जगह पर स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे पर हुआ है. हालांकि, बाद में अमेरिकी अधिकारियों की ओर से इसे टॉवर 22 के रूप में बताया गया.
दिसंबर महीने में अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था कि 17 अक्टूबर के बाद से इराक़ और सीरिया में स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे 97 बार हमलों का शिकार हो चुके हैं.
पिछले महीने उत्तरी इराक़ में स्थित एक सैन्य अड्डे पर ड्रोन अटैक में अमेरिकी सैनिकों के घायल होने के बाद अमेरिका ईरान समर्थित गुटों हवाई हमले किए थे.
इससे पहले जनवरी में अमेरिका की ओर से बगदाद में की गई जवाबी कार्रवाई में एक मिलिशिया गुट के नेता की मौत हो गयी थी जिस पर अमेरिकी सैनिकों पर हमले का आरोप था.
रविवार को प्रसारित हुए एबीसी न्यूज़ को दिए प्री-रिकॉर्डेड इंटरव्यू में चेयरमैन ऑफ़ जॉइंट चीफ़्स ऑफ़ स्टाफ़ जनरल सीक्यू ब्राउन ने कहा है कि अमेरिका चाहता है कि इस क्षेत्र में संघर्ष अपने पैर न पसारे.
उन्होंने कहा, "हमारा उद्देश्य उन्हें रोकना है. हम उस रास्ते पर आगे नहीं बढ़ना चाहते जिस पर चलते हुए संघर्ष बढ़ता जाए और इस क्षेत्र में एक व्यापक संघर्ष के लिए हालात पैदा करे."
ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों की ओर से लाल सागर में कमर्शियल जहाज़ों पर हमले किए जाने के बाद इस क्षेत्र में भी अमेरिकी और गठबंधन सेनाएं तैनात है. यमन के इस गुट ने कहा है कि वह ग़ज़ा के फ़लस्तीनियों के समर्थन में इन जहाज़ों को निशाना बना रहा है.
अमेरिकी सेना ने पहले भी कहा है, "इन ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों का ग़ज़ा में जारी संघर्ष से कोई लेना-देना नहीं है."
अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने कहा है, 'हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में अंधा-धुंध गोलीबारी की है जिसमें चालीस से ज़्यादा देशों के जहाज़ को नुकसान पहुंचा है."
हूती विद्रोहियों को भेजे जा रहे ईरान में बने हथियारों से लदे एक जहाज़ पर कब्जा करने के लिए सोमालिया के तट के पास चलाए गए एक अभियान में अमेरिका के दो नेवी सील कमांडोज़ जनवरी में लापता हो गए थे. अब इन कमांडोज़ को मृत मान लिया गया है.
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