प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ की गई ''अपमानजनक'' टिप्पणियों को लेकर भारत और मालदीव के रिश्तों में पहले से जारी तनाव और बढ़ गया है। इस बीच एक खबर सामने आई है कि मौजूदा संकट से पहले मालदीव ने इस महीने के अंत में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की भारत यात्रा का प्रस्ताव रखा था।
WION की रिपोर्ट के मुताबिक, मुइज्जू सरकार के मंत्रियों की अपमानजनक टिप्पणियों पर मौजूदा राजनयिक संकट पैदा होने से पहले मालदीव ने उनकी भारत यात्रा का प्रस्ताव रखा था। मालदीव के राष्ट्रपति इस समय चीन की एक सप्ताह की यात्रा पर हैं जहां उन्होंने फिजियान प्रांत में जियामेन मुक्त व्यापार क्षेत्र का दौरा किया और चाइना कम्युनिकेशंस कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (सीसीसीसी) के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। इसके अलावा, प्रमुख चीनी राजनीतिक हस्तियों के साथ बैठकें हुईं, जिनमें सीपीसी फुजियान प्रांतीय पार्टी समिति के सचिव झोउ ज़ुयी और सीपीसी फुजियान प्रांतीय पार्टी समिति के उप सचिव और फुजियान प्रांत के गवर्नर झाओ लांग शामिल थे। बाद में वह अपनी यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात करेंगे।
राष्ट्रपति मुइज्जू की सरकार भारत विरोधी मुद्दे पर सवार होकर सत्ता में आई है। मुइज्जू ने भारत से अपने सैनिकों को देश से वापस बुलाने का आह्वान किया है। द्वीप राष्ट्र की वर्तमान सरकार ने भारत के साथ हाइड्रोग्राफिक समझौते को भी रिन्यू नहीं किया है। मालदीव के मंत्रियों द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में की गई अपमानजनक टिप्पणियों के साथ इस कदम से द्विपक्षीय संबंधों में और तनाव पैदा हो गया है।
मालदीव सरकार ने विवादास्पद बयानों के जवाब में अपमानजनक टिप्पणियों की घटना में शामिल मंत्रियों को निलंबित कर दिया है और उन टिप्पणियों से खुद को दूर कर लिया है। मुइज्जू सरकार के सत्ता संभालने से पहले भारत और मालदीव के बीच द्विपक्षीय संबंध सकारात्मक थे। भारत ने मालदीव में विभिन्न सहायता परियोजनाओं का लगातार समर्थन किया है। खासकर 1988 के तख्तापलट के प्रयास और 2004 की सुनामी जैसे महत्वपूर्ण क्षणों के दौरान भारत ने मालदीव का जमकर साथ दिया। दिसंबर 2014 में माले में जल संकट पर भी भारत की त्वरित प्रतिक्रिया ने संबंधों को और मजबूत किया था।
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