- जब अभिनंदन पाकिस्तान की हिरासत में थे तो पर्दे के पीछे क्या होता रहा | सच्चाईयाँ न्यूज़

शुक्रवार, 12 जनवरी 2024

जब अभिनंदन पाकिस्तान की हिरासत में थे तो पर्दे के पीछे क्या होता रहा

27 फ़रवरी, 2019 वह दिन था जब पाकिस्तान की वायुसेना ने भारतीय लड़ाकू विमान मार गिराया और फ़ाइटर पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को अपनी हिरासत में ले लिया.

इससे दोनों देशों के बीच राजनयिक और सीमावर्ती तनाव एक नई ऊंचाई पर जा पहुंचा था.

27 फ़रवरी को जो कुछ हुआ, वो एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है. उस रात के बारे में कुछ नए दावे सामने आए हैं.

इसकी वजह पाकिस्तान में उस वक़्त तैनात रहे भारत के पूर्व हाई कमिश्नर अजय बिसारिया की किताब 'एंगर मैनेज़मेंट' है.

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज़ ज़ोहरा बलोच ने इन दावों पर गुरुवार को अपनी वीकली प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रतिक्रिया दी.

उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि यह किताब फ़रवरी 2019 के बारे में भारत के मनगढ़ंत नैरेटिव को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है."

लेकिन यह बात तो साफ़ है कि फ़रवरी 2019 में दोनों देशों में तनाव बढ़ा था.

पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने अपनी किताब 'नेवर गिव ऐन इंच' में यहां तक कहा है कि यह तनाव इस हद तक बढ़ गया था कि दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध की आशंका पैदा हो गई थी.

यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि अप्रैल 2019 के दौरान गुजरात की एक सभा में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि अमेरिका ने पाकिस्तान को पायलट वापस करने को कहा "वर्ना मोदी बारह मिसाइलों के साथ तैयार थे, यह रात क़त्ल की रात होनी थी."

बाद में पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने नरेंद्र मोदी के बयान को ग़ैर ज़िम्मेदाराना और युद्ध उन्माद पर आधारित बताया था और कहा था, "बालाकोट हमले का त्वरित और प्रभावी जवाब, जहाज़ को मार गिराना और पायलट की गिरफ़्तारी हमारी सशस्त्र सेना की तैयारी, संकल्प और क्षमता का स्पष्ट सबूत है."

भारत के पूर्व उच्चायुक्त अजय बिसारिया अपनी किताब में दावा करते हैं कि भारतीय पायलट अभिनंदन को हिरासत में लिए जाने के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान ख़ान दोनों देशों में तनाव कम करने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करना चाहते थे जिस पर भारत ने "कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी."

उन्होंने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान वास्तव में इस झड़प की गंभीरता बढ़ने से "डरा हुआ था."

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस बारे में पूछे गए सवालों का अभी तक बीबीसी को जवाब नहीं दिया है.

लेकिन पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज़ ज़ोहरा बलोच ने इस बारे में साप्ताहिक प्रेस ब्रीफ़िंग में बताया कि पाकिस्तान ने अभिनंदन की वापसी के ज़रिए तनाव कम करने के लिए ज़िम्मेदाराना रवैया दिखाया था जबकि यह किताब "फ़रवरी 2019 के बारे में भारत के मनगढ़ंत नैरेटिव को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है."

27 फ़रवरी को पर्दे के पीछे क्या हुआ?

दोनों देशों में ताज़ा तनाव साल 2019 में उस समय सामने आया था जब भारतीय वायुसेना के जहाज़ों ने पाकिस्तान के बालाकोट इलाक़े में गोला बारूद गिराया था और दावा किया था कि उसने पाकिस्तानी धरती पर चरम पंथियों के ठिकानों पर 'सर्जिकल स्ट्राइक' की है.

पाकिस्तान ने इसके जवाब में भारतीय जहाज़ मिग 21 मार गिराया था और एक भारतीय पायलट अभिनंदन को हिरासत में ले लिया था.

उन्हें बाद में 'तनाव कम करने के लिए' भारत को वापस कर दिया गया था.

27 फ़रवरी का उल्लेख हाल ही में प्रकाशित पूर्व आईएफ़एस अजय बिसारिया की किताब में भी मिलता है. बिसारिया उस दौरान पाकिस्तान में भारत के राजदूत थे.

जब पुलवामा हमले के बाद भारत ने अपनी ओर से सैन्य कार्रवाई की तो उस समय वह दिल्ली आए हुए थे.

वह अपनी किताब में लिखते हैं, "मैं 26 फ़रवरी की सुबह दिल्ली में उस वक़्त जगा जब सोशल मीडिया पर भारत की ओर से पाकिस्तान में बम गिराए जाने के बारे में बातें की जा रही थीं."

इस्लामाबाद में उनके एक साथी ने उस सुबह आईएसपीआर के प्रवक्ता आसिफ़ ग़फ़ूर का एक ट्वीट शेयर किया जिसमें कहा गया था कि एक भारतीय लड़ाकू विमान ने पाकिस्तानी वायु सीमा में घुसकर बम गिराया है.

वह लिखते हैं कि पाकिस्तान ने अगले दिन जवाबी कार्रवाई करते हुए लाइन ऑफ़ कंट्रोल (एलओसी) के चार किलोमीटर के अंदर सैनिक लक्ष्यों के पास गोला बारूद गिराया.

बाद में भारतीय बयान में इस बात की पुष्टि की गई कि कुछ पाकिस्तानी विमान भारतीय वायु सीमा के अंदर घुसे थे.

27 फ़रवरी को जहाज़ों की उस 'डॉग फ़ाइट' के दौरान भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन का जहाज़ पाकिस्तान की एक मिसाइल का शिकार हो गया.

वह एलओसी से सात किलोमीटर अंदर गिरे और हिरासत में ले लिए गए.

पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने अपनी किताब 'नेवर गिव ऐन इंच' में लिखा है, "मुझे लगता है कि दुनिया को सही तरह से यह मालूम नहीं है कि फ़रवरी 2019 में भारत और पाकिस्तान की लड़ाई परमाणु युद्ध में बदल सकती थी."

वह उस समय वियतनाम में थे जब उन्हें, "भारतीय समकक्ष ने नींद से जगाया, उन्हें आशंका थी कि पाकिस्तान ने हमले के लिए परमाणु हथियारों की तैयारी शुरू कर दी है. उन्होंने बताया कि भारत ख़ुद भी झड़पों की तैयारी पर विचार कर रहा था."

माइक पोम्पियो लिखते हैं कि उन्होंने पाकिस्तान के 'असल नेता' जनरल बाजवा से संपर्क किया जिन्होंने इसका खंडन किया मगर उन्हें आशंका थी कि भारत परमाणु हथियार तैनात करने की तैयारी कर रहा है.

पूर्व भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया अपनी पुस्तक में लिखते हैं कि उस तनाव को कम करने के लिए पाकिस्तान ने 'पी-फ़ाइव' देशों यानी अमेरिका, इंग्लैंड, फ़्रांस, रूस और चीन के राजनयिकों को बुलाया था.

"हमारे प्रधानमंत्री इस समय उपलब्ध नहीं"

बिसारिया का अपनी किताब में दावा है कि भारतीय विमान की पाकिस्तान सीमा में स्ट्राइक और पाकिस्तान की जवाबी प्रतिक्रिया में भारतीय पायलट को पकड़ने के बाद "राजनयिकों की नज़र में पाकिस्तान वास्तव में तनाव में वृद्धि की आशंका से डरा हुआ नज़र आ रहा था."

बिसारिया ने अपनी किताब में इसके बारे में लिखा है, "जिस समय वह मीटिंग जारी थी उस दौरान पाकिस्तान की विदेश सचिव तहमीना जंजुआ ने शाम 5:45 बजे सेना की ओर से मिला एक संदेश सुनाने के लिए बातचीत को रोक दिया. उस संदेश में कहा गया था, भारत ने पाकिस्तान की ओर 9 मिसाइल 'पॉइंट' कर रखी हैं जो उसी दिन किसी भी समय दागी जा सकती हैं."

बिसारिया लिखते हैं, "तहमीना जंजुआ चाहती थीं कि राजनयिक यह बात अपने देश के नेताओं तक पहुंचाएं और भारत से कहें कि वह तनाव को और आगे न बढ़ाए. इसकी वजह से पी-फ़ाइव देश की राजधानियों, इस्लामाबाद और नई दिल्ली के राजनयिक गलियारों में हड़कंप मच गया."

वह एक पी-फ़ाइव राजनयिक का हवाला देते हुए लिखते हैं, "उन राजनयिकों में से एक ने कहा कि पाकिस्तान को ख़ुद अपनी आशंकाओं को सीधे भारत तक पहुंचना चाहिए."

बिसारिया लिखते हैं कि उस समय उन्हें इस्लामाबाद में मौजूद भारत में पाकिस्तान के हाई कमिश्नर सोहेल महमूद का आधी रात को फ़ोन आया कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करना चाहते हैं.

उनका कहना है, "मैंने सीनियर अधिकारियों से पता किया और जवाब दिया कि हमारे प्रधानमंत्री इस समय उपलब्ध नहीं हैं लेकिन अगर इमरान ख़ान का कोई ज़रूरी संदेश पहुंचाना चाहते हैं तो वह निश्चित रूप से मुझे दे सकते हैं."

वह लिखते हैं कि इसके बाद उस रात उन्हें कॉल नहीं आई.

वह लिखते हैं कि इसी बीच अमेरिका और ब्रिटेन के राजदूतों ने भारत को सूचित किया कि पाकिस्तान अब तनाव कम करने, भारत के डोसियर पर अमल करने और आतंकवाद की समस्या को गंभीरता से हल करने के लिए तैयार है.

राजदूतों ने भारत को यह भी बताया कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ख़ुद यह घोषणा करेंगे और पायलट को अगले दिन भारत वापस कर दिया जाएगा.

उन्होंने लिखा है कि एक मार्च को भारत ने वर्तमान की वापसी के लिए प्रक्रिया तय करनी शुरू कर दी और "फ़ैसला किया कि पाकिस्तान से कहा जाए कि वह पायलट की वापसी का मीडिया में तमाशा न बनाए."

वह लिखते हैं, "अभिनंदन को वापस लाने के लिए भारतीय वायु सेना का विमान भेजने की तैयारी थी लेकिन पाकिस्तान ने इजाज़त देने से इनकार कर दिया. उन्हें शाम पांच बजे रिहा किया जाना था लेकिन अंत में रात नौ बजे रिहा किया गया."

"यह भारत का मनगढ़ंत नैरेटिव है"

गुरुवार को साप्ताहिक प्रेस ब्रीफ़िंग के दौरान पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज़ ज़ोहरा बलोच ने एक सवाल के जवाब में कहा कि ऐसा लगता है कि यह किताब फ़रवरी 2019 के बारे में भारत के मनगढ़ंत नैरेटिव को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है.

उनसे एक पत्रकार ने पूछा कि अजय बिसारिया ने दावा किया है कि भारत ने उस समय एक पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की कॉल लेने से इनकार किया, इस पर वह क्या कहना चाहेंगी.

मुमताज़ ज़ोहरा बलोच ने जवाब में कहा, "भारत में सरकार ने पुलवामा घटना को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया… मिस्टर बिसारिया अच्छी तरह जानते हैं कि बालाकोट भारत की एक सैन्य नाकामी थी. यह भारत के दुस्साहस का एक उदाहरण था जो उनके लिए बुरी तरह और शर्मनाक हद तक ग़लत साबित हुआ क्योंकि भारतीय जहाज़ मार गिराए गए और एक भारतीय पायलट को पाकिस्तान ने हिरासत में ले लिया."

वह कहती हैं कि पाकिस्तान ने उस स्थिति के दौरान ज़िम्मेदारी दिखाई लेकिन "यह अफ़सोसनाक है कि एक राजनयिक शक्ति प्रदर्शन की बात कर रहा है."

इमरान ख़ान ने पाकिस्तान की संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए 28 फ़रवरी को भारत के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन को एक मार्च को रिहा करने की घोषणा की थी.

प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने सदन को बताया था, "आज भारत ने पुलवामा के बारे में पत्र भेजा है मगर इससे पहले उन्होंने हमला किया."

उनका कहना था, "हम संबंधों को बेहतर करने की कोशिश कर रहे थे."

उन्होंने सदन को बताया था, "मैंने कल भी मोदी से बात करने की कोशिश की और इस काम को कमज़ोरी न समझा जाए. मैं भारत से कहना चाहता हूं कि आप और कोई कार्रवाई न करें क्योंकि ऐसी स्थिति में हम भी कार्रवाई को मजबूर होंगे." 

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