केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह मंगलवार को कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के लिए एक कम्प्यूटरीकरण परियोजना का शुभारंभ करेंगे. इस परियोजना से पूरे सहकारी प्रणाली को डिजिटल माध्यम से जोड़ा जाएगा.
कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों की कम्प्यूटरीकरण परियोजना में फिलहाल 13 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को शामिल किया गया है. इसके तहत ARDB की 1851 इकाइयों को कम्प्यूटरीकृत करने और उन्हें एक कॉमन नेशनल सॉफ्टवेयर के माध्यम से NABARD से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है.
परियोजना से होगें कई फायदे
इस परियोजना से सरकार ने कई लक्ष्यों को निर्धारित किया है. इस परियोजना से कॉमन एकाउंटिंग सिस्टम और मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम के माध्यम से बिजनेस प्रकिया को स्टैंडराइज्ड किया जाएगा. इससे परिचालन क्षमता, जवाबदेही और पारदर्शिता आएगी. इसके अलावा लेन-देन की लागत को कम करना ओर किसानों को आसानी से लोन वितरण करना है. सरकार इस पर भी फोक्स कर रही है कि बेहतर निगरानी और मूल्यांकन के लिए रियल टाइम में इस परियोजना की डेटा प्राप्त करना है.
रजिस्ट्रार कार्यालयों का कम्प्यूटरीकरण
मंत्रालय द्वारा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार कार्यालयों का कम्प्यूटरीकरण करना एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. इस कदम से प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) के माध्यम से ऋण और संबंधित सेवाओं के लिए एआरडीबी से जुड़े छोटे किसानों को भी लाभ मिलेगा. इसमें उन किसानों को भी फायदा होगा जो जमीनी स्तर पर एग्रीकल्चर लोन से जुड़े हुए हैं.
परियोजना में 30,000 से अधिक कार्यरत
इस परियोजना में अब तक 50,000 से अधिक प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS), कॉमन सर्विस सेंटर योजना के रूप में ऑन बोर्ड हो चुके हैं. जिसमें 30,000 से अधिक ने सेवाएं देना भी शुरू कर दिया है. इसके अतिरिक्त, सहकारिता मंत्रालय ने एक नया राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस स्थापित किया है जिसमें 8 लाख से अधिक सहकारी समितियों का डेटा उपलब्ध है और इस डेटाबेस को जल्द ही लॉन्च कर इसे सभी के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.
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