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सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट करते हुए मंत्री नंद गोपाल नंदी ने लिखा कि अखिलेश यादव, निमंत्रण ठुकराना आपकी इच्छा नहीं बल्कि मजबूरी है. मंत्री नन्दी ने आगे लिखा कि समाजवादी पार्टी हिन्दू विरोध और तुष्टिकरण की बुनियाद पर खड़ी है. इसलिए, अखिलेश यादव का रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकराना इच्छा नहीं बल्कि मजबूरी है.
विरासत में मिला सनातन विरोध का डीएनए
अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए नंदी ने कहा कि आपके पुरखों से आपको कुर्सी के साथ सनातन विरोध का डीएनए भी विरासत में मिला है. वैसे भी जिसका दामन निर्दोष और निरपराध रामभक्तों के खून से सना हुआ है. जिसने सरेआम मजहब के नाम पर दंगाइयों को संरक्षण दिया हो. जाति और धर्म के आधार पर प्रदेशवासियों में फर्क किया हो. उसके आने से प्राण प्रतिष्ठा का पवित्र समारोह दूषित ही होता. याद रखिये वोट बैंक को खुश करने के चक्कर में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के आमंत्रण का अनादर करके आपने स्वयं अपनी राजनीतिक कब्र खोदी है.
हमने बैलेंस रखकर सबको बुलाया: विहिप
वहीं विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने भी विपक्ष के नेताओं के प्राणप्रतिष्ठा में ना जाने पर टिप्पणी की है. टीवी 9 भारतवर्ष से बात करते हुए के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि रामलला का मंदिर बन रहा है, यहां विश्वभर में समाज के लोग इकट्ठा होंगे.उन्होंने कहा कि हमने पीएम नरेंद्र मोदी को न्योता दिया है तो विपक्ष के नेताओं को भी बुलाया है. हमने न्योता जेपी नड्डा को दिया तो मल्लिकार्जुन खरगे को भी दिया है. हमने बैलेंस रखकर सबको बुलाया है.
राजनीति कहां है इसमें?
आलोक कुमार ने कहा कि कोई बताए राजनीति कहां है इसमें? उन्होंने कहा कि जो लोग आने में संकोच कर रहे हैं उनके मन में वोट बैंक का डर हो सकता है. हम तो सबके स्वागत को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि अब जो लोग आएं उनका स्वागत है, जो नहीं आए उनकी अपनी इच्छा. लेकिन हमने किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया है.
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