Bilkis Bano case: देश की सबसे बड़ी अदालत ने बिलकिस बानो केस में गुजरात सरकार के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें सभी आरोपियों को सजा में छूट दी गई थी और उन्हें रिहा कर दिया गया था.
दाहोद के पुलिस अधीक्षक बलराम मीना ने कहा कि जिस क्षेत्र में दोषी रहते हैं, वहां शांति बनाए रखने के लिए पुलिस बल तैनात है. पुलिस अधीक्षक ने पीटीआई को बताया कि दोषी हालांकि उनके संपर्क में नहीं हैं और उनमें से कुछ अपने रिश्तेदारों से मिलने गए हैं.
आपको याद दिला दें कि 2002 में गोधरा कांड के बाद भड़के सांप्रदायिक दंगों के बाद भागते समय 21 वर्षीय बिलकिस बानों के साथ दोषियों ने सामूहिक बलात्कार किया था. उस वक्त पीड़िता बिलकिस पांच महीने की गर्भवती थी. उस हिंसा में बिलकिस की तीन साल की बेटी और परिवार के छह अन्य सदस्य मारे गए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात सरकार को अपने विवेक का दुरुपयोग करने के लिए फटकार लगाई थी और सभी 11 दोषियों को दी गई छूट को रद्द कर दिया था. देश की सबसे बड़ी अदालत ने उन सभी दोषियों को दो सप्ताह के भीतर वापस जेल भेजने का आदेश दिया है, जिन्हें साल 2022 में स्वतंत्रता दिवस पर समय से पहले रिहा कर दिया गया था. पूरे देश में गुजरात सरकार के इस फैसले की निंदा की गई थी.
इसके बाद पुलिस अधीक्षक बलराम मीना ने बताया कि पुलिस को अभी तक दोषियों के आत्मसमर्पण के संबंध में कोई सूचना नहीं मिली है और उन्हें उच्चतम न्यायालय के फैसले की प्रति नहीं मिली है.
एसपी बलराम मीणा ने बताया कि सभी दोषी सिंगवाड तालुका के मूल निवासी हैं, जहां कानून और व्यवस्था बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि सांप्रदायिक संघर्ष न भड़के, फैसला सुनाए जाने से पहले सोमवार सुबह से ही पुलिस फोर्स तैनात की गई थी.
मीना ने कहा कि दोषियों से संपर्क नहीं हो रहा है और उनमें से कुछ अपने रिश्तेदारों से मिलने जा रहे हैं. हमें कोई जानकारी नहीं है और हमें कोई आदेश की प्रति नहीं मिली है, लेकिन पूरे रणधीकपुर पुलिस थाना क्षेत्र में पुलिस तैनात है.
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