शुक्रवार, 5 जनवरी 2024
ये मस्जिद, मस्जिद नहीं मंदिर है, इस तरह की आवाजें लगातार सुनाई पड़ती रहीं हैं. पर अब एक दरगाह को लेकर बवाल मच गया है. फिलहाल ये जंग तो जुबानी है लेकिन मामला तूल पकड़ता जा रहा है.दरअसल 2 जनवरी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के एक बयान के बाद बरसों पुरानी हाजी मलंग दरगाह चर्चा में आ गई. एकनाथ सिंदे ने मंगलवार को कह दिया कि वह दरगाह की मुक्ति के लिए प्रतिबद्ध हैं. फिर क्या, विवाद शुरू हो गया.दरगाह के जो ट्रस्टी हैं, उन्होंने कहा कि यह सब विवाद दरगाह का इस्तामाल कर राजनीतिक फायदा लेने के मकसद से किया जा रहा है. शिवसेना अब तो वैसे दो खेमों में बंट गई है लेकिन पहले जब पार्टी एक थी तो यह उसका साझा विचार था. विचार ये कि हाजी मलंग दरगाह एक मंदिर है. मलंगगढ़ किले के पास मौजूद इस दरगाह का सबसे बड़ा विरोध हाल के दशक में साल 1980 में हुआ था. तब शिवसेना नेता आनंद दिघे ने यह कहना शुरू किया कि वे इस दरगाह को प्राचीन हिंदू मंदिर के तौर पर मान्यता दिला कर ही दम लेंगे.
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