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शुक्रवार, 8 दिसंबर 2023

'दो मिनट के मजे के बजाय लड़कियां यौन इच्छाओं पर कंट्रोल रखें' वाली HC की टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया सू मोटो


सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) के फैसले पर स्वत: संज्ञान लिया है. दरअसल, कुछ दिन पहले हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि नाबालिग लड़कियों को दो मिनट के मजे के बजाय अपनी यौन इच्छाओं पर कंट्रोल रखना चाहिए.

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ आज इस फैसले के खिलाफ स्वत: संज्ञान मामले पर विचार करेगी.

बता दें, इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए एक महिला की कुंडली की जांच कर यह पता लगाने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देश पर रोक लगा दी थी कि वो "मांगलिक" है या नहीं.

हाईकोर्ट ने क्या कहा था?

कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने रेप (Rape) के एक मामले में कहा था कि नाबालिग लड़कियों को दो मिनट के मजे की जगह अपनी यौन इच्छाओं पर कंट्रोल रखना चाहिए और नाबालिग लड़कों को युवा लड़कियों और महिलाओं और उनकी गरिमा का सम्मान करना चाहिए. इसके साथ ही रेप के आरोपी लड़के को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया. केस कुछ यूं था कि आरोपी ने नाबालिग लड़की के साथ यौन संबंध बनाए थे. दोनों रोमांटिक रिलेशनशिप में थे.

आपको बता दें, पोक्सो कानून में 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ सहमति से बनाए गए यौन संबंध को भी रेप माना जाता है. अदालत ने किशोरों को यौन शिक्षा दिए जाने पर भी जोर दिया. कहा कि इसकी शुरुआत घर से होनी चाहिए. माता-पिता पहले शिक्षक होने चाहिए. बच्चों, खासकर लड़कियों को Bad Touch, अश्लील इशारों के बारे में बताना जरूरी है.

कलकत्ता हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में ये भी कहा था,

"हमें कभी ये नहीं सोचना चाहिए कि केवल एक लड़की ही दुर्व्यवहार का शिकार होती है. लड़के भी दुर्व्यवहार के शिकार हो सकते हैं. माता-पिता के मार्गदर्शन के अलावा, इन पहलुओं और रिप्रोडक्टिव हेल्थ और हाइजीन पर जोर देने वाली यौन शिक्षा हर स्कूल में दी जानी चाहिए."

हाईकोर्ट ने आखिरी में नाबालिग लड़कियों और लड़कों को कुछ कर्तव्यों का पालने का सुझाव दिया. कहा कि नाबालिग लड़कियों को अपने शरीर की रक्षा करनी चाहिए. अपनी गरिमा और आत्म-सम्मान की रक्षा करें. साथ ही निजता के अधिकारों की भी रक्षा करनी चाहिए. वहीं नाबालिग लड़कों को एक महिला, उसकी गरिमा, निजता और उसकी शारीरिक सीमाओं का सम्मान करना चाहिए.

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