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सोमवार, 18 दिसंबर 2023

Gyanvapi Survey Case: ASI ने जिला कोर्ट को सौंपी 1500 पन्ने की सर्वे रिपोर्ट, मुस्लिम पक्ष ने की यह मांग

 वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में 100 से अधिक दिनों तक चले सर्वे का रिपोर्ट आखिरकार एएसआई (ASI) ने सोमवार को जिला कोर्ट को पेश कर दिया. एएसआई की टीम ने 1500 से अधिक पन्नों का रिपोर्ट कोर्ट में पेश किया है.

जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश ने 18 दिसंबर को सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एएसआई को आदेश दिया था. परिसर में वजूखाने को छोड़कर एएसआई की चार टीमों ने सर्वे किया था. इस दौरान GPR के साथ थ्री डी सिस्टम का इस्तेमाल किया गया. एएसआई की टीम ने परिसर के अंदर से सर्वे के दौरान 250 सामग्री जुटाई है. इन सामग्रियों को जिला कोषागार में रखा गया है. कोर्ट में वादी-प्रतिवादी और दोनों पक्षों के सभी वकील मौजूद रहे. इस दौरान मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर मांग की कि सर्वे की रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में पेश हो और बिना हलफनामे के किसी को भी सार्वजनिक करने की इजाजत न दी जाए. रिपोर्ट जमा करने के लिए सुरक्षा के बीच 5 सदस्यीय टीम जिला जज कोर्ट पहुंची.

  • सर्वे के लिए मिला था 28 दिन का वक्त

  • जानें रिपोर्ट पेश होने में क्यों हुई देरी

गौरतलब है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने जिला कोर्ट से मेडिकल कारणों से 7 दिन का समय मांगा था, जिसके बाद जिला जज ने रिपोर्ट सबमिट करने के लिए 18 दिसंबर की तारीख तय की थी. एएसआई की टीम ने सर्वे रिपोर्ट पेश करने के लिए जिला कोर्ट से 5 बार मोहलत मांग चुकी थी. एएसआई सर्वेक्षण की मांग को लेकर 16 मई को याचिका दायर की गई थी. इसे दायर करने वाली चार महिलाओं की अगुआई वकील विष्णु शंकर जैन ने की थी. हिंदू पक्ष के वकील ने वहां हिंदू मंदिर के प्रतीक चिह्न मिलने का दावा किया था. इसके बाद वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्‍ण विश्वेश की कोर्ट ने 21 जुलाई 2023 को ज्ञानवापी परिसर के सील वजूखाने को छोड़कर बाकी सभी हिस्‍से और तहखानों के सर्वे का आदेश दिया था. जिसके बाद 24 जुलाई को एएसआई की टीम ने सर्वे शुरू कर दिया था. हालांकि, मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी सर्वे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. इसके बाद उसी दिन यानी 24 की शाम को सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगा दी थी. इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट से ज्ञानवापी सर्वे की मंजूरी मिली. 4 अगस्त से एएसआई के देशभर से आए विशेषज्ञों ने सर्वे शुरू किया. 4 अगस्‍त से जारी सर्वे 16 नवंबर को पूरा हो गया. वाराणसी कोर्ट ने शुरुआत में सर्वे के लिए 28 दिन का वक्त दिया था. हालांकि, उसके बाद एएसआई की मांग पर कोर्ट ने सर्वे का वक्त 3 बार बढ़ाया था.


जानकारी के मुताबिक ज्ञानवापी परिसर में सर्वे की सच्चाई बाहर आने के लिए हैदराबाद की ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार यानी GPR रिपोर्ट लेटलतीफी की वजह बनी है. एएसआई टीम में शामिल तीन विशेषज्ञों ने करीब 120 पेज की रिपोर्ट दे दी, लेकिन हैदराबाद की टीम ने GPR रिपोर्ट पूरी तरह नहीं पेश की. इसकी संक्षिप्त रिपोर्ट के बाद GPR प्रिंट के साथ विस्तृत रिपोर्ट बनाने में समय लग रहा है. माना जा रहा है कि लगभग 500 पेज की रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट की जाएगी. वहीं, स्कैनिंग, वीडियोग्राफी, पैमाइश और सैंपल की रिपोर्ट लगभग तैयार है, जिसे फाइनल टच दिया जा रहा है. ज्ञानवापी परिसर की सतह की माप के लिए GPR के अलावा डायल टेस्ट इंडिकेटर लगाया गया था. डेप्थ माइक्रोमीटर से भी अलग-अलग हिस्सों की माप की. कॉम्बिनेशन सेंट वर्नियर बैवल प्रोट्रेक्टर से परिसर में हुए निर्माण की बनावट, कलाकृतियों आदि की जांच की. दीवारों की 3D फोटोग्राफी और स्कैनिंग के लिए मशीनें और कैमरे लगाए. इसमें एएसआई टीम ने तैयार किए नक्शे के आधार पर इन मापों को रिकॉर्ड में दर्ज किया.

एएसआई ने चार सेक्टर बनाकर ज्ञानवापी के तीनों गुंबदों और परिसर का सर्वे पूरा किया और व्यास तहखाने में पैमाइश की. चार्ट में दीवारों पर मिली कलाकृतियों के पॉइंट्स नोट किए. 100 मीटर एरियल व्यू फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी में पश्चिमी दीवारों के निशान, दीवार पर सफेदी, ईंट में राख और चूने की जुड़ाई समेत मिट्टी के सैंपल जुटाए हैं. इसमें पत्थर के टुकड़े, दीवार की प्राचीनता, नींव और दीवारों की कलाकृतियां, मिट्‌टी और उसका रंग, अवशेष की प्राचीनता सहित अन्न के दाने का सैंपल जुटाया है. इसके अलावा, टूटी मिली प्रतिमा का एक टुकड़ा भी एएसआई ने सैंपल में शामिल किया है. डिजिटल नक्शे में अंदर की वर्तमान स्थिति को भी अंकित किया है.

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