तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को कैश फॉर क्वेरी मामले में शुक्रवार को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया। इसे लेकर एथिक्स कमेटी ने आज ही अपनी रिपोर्ट पेश की थी। इस रिपोर्ट में मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की गई थी।
क्या थे महुआ मोइत्रा के खिलाफ आरोप
महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने इंडस्ट्रियलिस्ट दर्शन हीरानंदानी से अपने संसद लॉगिन के बदले कैश और उपहार लिए थे। उनके इस लॉगिन का इस्तेमाल हीरानंदानी ने गौतम अडानी और अडानी ग्रुप के खिलाफ सवाल पोस्ट करने के लिए किया था।
इसकी शिकायत सबसे पहले एडवोकेट जय अनंत देहाद्राई ने की थी। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने देहाद्राई की शिकायत लोकसभा स्पीकर के सामने रखी थी। दुबे, देहाद्राई और मोइत्रा से पूछताछ करने के बाद मुद्दे को एथिक्स कमेटी के पास भेज दिया गया था।
एथिक्स कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि महुआ मोइत्रा का गंभीर आचरण उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करता है। इसलिए समिति सिफारिश करती है कि टीएमसी सांसद को 17वीं लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित किया जा सकता है।
इसमें यह भी कहा गया है कि महुआ मोइत्रा के बेहद आपत्तिजनक, अनैतिक और आपराधिक आचरण को देखते हुए समिति भारत सरकार की ओर से समयबद्ध तरीके से उनके खिलाफ कानूनी, गहन और संस्थागत जांच की सिफारिश करती है।
अब महुआ मोइत्रा के सामने क्या विकल्प
निष्कासित किया गया कोई भी सदस्य फैसले को अदालत में चुनौती दे सकता है। लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य के अनुसार अगर पूरी प्रक्रिया में समिति की ओर से कुछ अवैधता या असंवैधानिकता है या प्राकृतित न्याय को परे रखा गया है तो वह फैसले को चुनौती दे सकती हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ है तो वह ऐसा नहीं कर सकतीं।
क्या पहले भी निष्कासित हो चुके हैं सदस्य
साल 2005 में लोकसभा और राज्यसभा ने 10 लोकसभा सदस्यों और एक राज्यसभा सदस्य को निष्कासित करने का प्रस्ताव स्वीकार किया था। उन पर भी मोइत्रा जैसे ही आरोप लगे थे। ये सांसद पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोपी थे। यह मामला एक स्टिंग ऑपरेशन पर आधारित था।
लोकसभा में लाया गया प्रस्ताव चंडीगढ़ सांसद पीके बंसल की अध्यक्षता में स्पीकर द्वारा गठित की गई विशेष समिति की रिपोर्ट पर आधारित था। राज्यसभा में शिकायत की जांच सदन की एथिक्स कमेटी ने की था। मामले में भाजपा के छह सांसद निष्कासित किए गए थे और पार्टी ने बंसल कमेटी की रिपोर्ट प्रिविलेजेस कमेटी के पास भेजने की मांग की थी।
हालांकि, महुआ मोइत्रा का केस पहला ऐसा मामला है जब लोकसभा एथिक्स कमेटी ने किसी सांसद को निष्कासित करने की सिफारिश की है। लोकसभा की एथिक्स कमेटी आमतौर पर हल्की प्रकृति की शिकायतें सुनती है।
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