हाल ही में देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की जीत के बाद सभी विपक्षी दलों द्वारा ईवीएम पर सवाल उठाने का दौर शुरू हो गया है.
कांग्रेस नेताओं ने उठाए सवाल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह का कहना है कि वह 2003 से ही ईवीएम से वोटिंग का विरोध कर रहे हैं. चिप वाली किसी भी मशीन को हैक किया जा सकता है। क्या लोकतंत्र हैकरों को नियंत्रण करने की अनुमति दे सकता है? यह एक बुनियादी सवाल है और इसका समाधान सभी पक्षों को मिलकर करना होगा. सवाल यह भी है कि EC, SC क्या आप कृपया हमारे भारतीय लोकतंत्र की रक्षा करेंगे? पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के मुताबिक, कुछ विधायकों ने उन्हें बताया कि उनके गांव में उन्हें 50 वोट मिले हैं. ये केसे हो सकता हे? एग्जिट पोल माहौल बनाने के लिए था. हार पर मंथन, मिशन 24 पर मंथन, विपक्ष का नेता कौन होगा, ये सारे फैसले हाईकमान लेगा.
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि मोदी को लोकतंत्र बचाने की गारंटी देनी चाहिए
शिवसेना नेता संजय राउत के मुताबिक, ये ईवीएम की जीत है, ये ईवीएम का जनादेश है. उनके मुताबिक लोगों की मांग है कि चुनाव एक बार मतपत्र से हो. प्रधानमंत्री मोदी को लोकतंत्र बचाने की गारंटी देनी चाहिए. ईवीएम के मूड का मतलब जनता का मूड नहीं है. बीजेपी ने जीत का जश्न मनाते हुए कहा था कि जनता ने मोदी की गारंटी पर मुहर लगा दी है और राहुल गांधी की प्रेम की दुकान नहीं चली, लेकिन मोदी जी ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कई गारंटी दी, लोगों के खाते में 15 लाख जमा की गारंटी और हर साल 2 करोड़ नौकरी की गारंटी इस गारंटी का क्या हुआ?
अखिलेश यादव का सवाल- पता नहीं चुनाव आयोग को किस बात की जल्दी है?
इसी तरह समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सवाल उठाया कि जब अमेरिका-जापान में बैलेट पेपर की व्यवस्था है. जब वोटिंग का महीना होता है तो गिनती भी एक महीने में होती है तो फिर भारत में क्यों नहीं? समय के साथ गिनें, तुरंत नहीं। आख़िर आज की बात क्या है भाई?
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