संसाधनों की कमी के चलते देश जलवायु कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध- पीएम मोदी
पीएम ने कहा, संसाधनों की कमी के बावजूद ये देश जलवायु कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध हैं। जलवायु शिखर सम्मेलन में भाग लेने और कई वैश्विक नेताओं से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार शाम को दुबई से भारत के लिए रवाना हो गए। 2023 में सफलता से जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन करने के बाद पीएम मोदी ने 2028 में कॉप-33 यानी जलवायु संरक्षण पर शिखर सम्मेलन का आयोजन भारत में कराने का प्रस्ताव रखा है। यह प्रस्ताव पीएम मोदी ने दुबई में कॉप-28 शिखर सम्मेलन के उद्घाटन पर अपने विशेष संबोधन में रखा।
बेहतर काम करने वालों को दिया जाएगा ग्रीन केडिट
संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में होने वाली इस बैठक में वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए किए जाने वाले उपायों पर चर्चा होती है और सामूहिक फैसले होते हैं। मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन प्रक्रिया के लिए संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क को लेकर प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही मोदी ने कॉप-28 में ग्रीन क्रेडिट इनिशिएटिव यानी पर्यावरण बचाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों को प्रोत्साहन देने की पहल लांच की। यह पहल पर्यावरण मंत्रालय का है। इसके तहत जल संचय और वनीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा। इसमें बेहतर काम करने वाली एजेंसियों, विभागों, संगठनों को ग्रीन क्रेडिट दिया जाएगा, जिसका वे कारोबार में एक निवेश प्रपत्र की तरफ इस्तेमाल कर सकेंगे।
160 से ज्यादा देशों और दर्जनों वैश्विक एजेंसियां ले रहीं हिस्सा
कॉप-28 में 160 से ज्यादा देशों और दर्जनों वैश्विक एजेंसियों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। कई देशों की सरकारों के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री इसमें हिस्सा ले रहे हैं। मोदी ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर न सिर्फ भारत की प्रतिबद्धता दोहराई, बल्कि इस मोर्चे पर देश की उपलब्धियों को भी गिनाया। कहा कि पूरी दुनिया आज हमें देख रही है। इस धरती का भविष्य हमें देख रहा है। हमें सफल होना ही होगा।
पीएम ने दो सदियों से प्रकृति का जमा कर दोहन करने वाले विकसित देशों पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछली शताब्दी की गलतियों को सुधारने के लिए हमारे पास बहुत ज्यादा समय नहीं है। मानव जाति के एक छोटे हिस्से ने प्रकृति का अंधाधुंध दोहन किया। लेकिन इसकी कीमत पूरी मानवता को चुकानी पड़ रही है। सिर्फ मेरा भला हो, यह सोच दुनिया को अंधेरे की तरफ ले जाएगी।
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