पटना: बिहार के गया जिले के पुलिस कप्तान रहे भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी आदित्य कुमार ने आखिरकार कोर्ट से सामने सरेंडर कर दिया है। निलंबित आईपीएस आदित्य कुमार पर आरोप है कि जब वो गया के एसएसपी पद पर तैनात थे तो उन्होंने अपने विभाग के सबसे वरिष्ठ अधिकारी यानी बिहार पुलिस के महानिदेशक को धमकाने के लिए साजिश रची थी।इस पूरे मामले में सबसे बड़ा चौंकाने वाला तथ्य यह था कि तत्कालीन गया एसएसपी आदित्य कुमार ने तत्कालीन डीजीपी और उस वक्त के अपने बॉस एसके सिंघल को हड़काने के लिए तत्कालीन पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस का फर्जी व्हाट्सएप प्रोफाइल बनवाया और उसके जरिये फोन करके अपने खिलाफ चल रही विभागीय जांच को प्रभावित कराने की कोशिश की।जानकारी के मुताबिक इस मामले में पुलिस जांच का सामने कर रहे आईपीएस आदित्य कुमार फरार चल रहे थे लेकिन आखिरकार उन्हें कानून की दहलीज पर आना पड़ा और खुद को कोर्ट के सामने पेश करना पड़ा। उन्होंने बीते मंगलवार को पटना की एक कोर्ट में आत्मसमर्पण किया।आदित्य कुमार साल 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, जो लगभग एक साल से अधिक समय से फरार थे और बिहार पुलिस लगातार उनकी तलाश कर रही थी। फरारी के दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका दायर की थी लेकिन सर्वोच्च अदालत ने उन्हें राहत देने से इनकार करते हुए दायर याचिका को खारिज कर दिया था।आईपीएस आदित्य कुमार का केस बेहद अनोखा है क्योंकि उन्होंने अपने ही विभाग के मुखिया यानी डीपीपी को हड़काने के लिए ऐसी साजिश रची, जिसके खुलासे के बाद पूरे महकमे में हड़कंप मच गया था। आदित्य कुमार ने कथित तौर पर पटना हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस संजय करोल की तस्वीर वाला एक फर्जी व्हाट्सएप अकाउंट तैयार किया और उसके माध्यम से बिहार के तत्कालीन डीजीपी एसके सिंघल को अपने घौंस में लेने की कोशिश की थी।उन पर आरोप है कि पटना हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस संजय करोल की तस्वीर वाला एक फर्जी व्हाट्सएप अकाउंट से उन्होंने डीजीपी को कॉल किया और शराब माफियाओं के साथ कथित संलिप्तता के संबंध में उनके खिलाफ चल रहे विभागीय जांच को खत्म करने के लिए दबाव डाला।आईपीएस कुमार का भेद खुला तो वह फरार हो गये और गिरफ्तारी से बचने के लिए निचली अदालतों से जमानत याचिका दायर की लेकिन वहां से याचिका खारिज होने के बाद वो सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन शीर्ष अदालत ने भी याचिका खारिज कर दी और आईपीएस अधिकारी को आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था।
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