डेनमार्क और नीदरलैंड में भी बढ़े मामले
चीन के रहस्मयी बीमारी की तरह निमोनिया के केस डेनमार्क और नीदरलैंड में भी सामने आ रहे हैं. द सन की एक रिपोर्ट के मुताबिक डेनिश स्वास्थ्य मंत्रालय के कोपेनहेगन स्थित अनुसंधान समूह के मुताबिक देश में नवंबर माह में ही 541 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. डेनमार्क के विशेषज्ञ हेने डोर्थे एम्बॉर्ग के मुताबिक यह केस अभी और बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि कोविड लॉकडाउन के दौरान लोगों की इम्युनिटी कमजोर हुई है. दरअसल कोविड में लोग एक-दूसरे से मिले नहीं, ऐसे में जीवाणुओं को फैलने के कम अवसर मिले जिससे लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो गई. इसी तरह नीदरलैंड इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ सर्विसेज रिसर्च ने बताया कि पिछले सप्ताह में पांच से 14 वर्ष की आयु के कई बच्चे निमोनिया से पीड़ित मिले थे.
अमेरिका समेत इन 9 देशों में भी मिल रहे केस
रहस्यमयी निमोनिया के मामले चीन-अमेरिका समेत, वियतनाम, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, स्वीडन, स्विटजरलैंड, डेनमार्क और नीदरलैंड में भी सामने आ रहे हैं. अमेरिका की ओहियो काउंटी में भी बच्चों में निमोनिया फैलने की सूचना मिली है. काउंटी स्वास्थ्य जिले के मुताबिक अब तक यहां 145 मामले सामने आ चुके हैं. स्वास्थ् आयुक्त डुआने स्टैंसबरी और ओहियो हेल्थ रिवसरसाइड के मुताबिक निमोनिया के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है.
यह देश अलर्ट पर हैं
निमोनिया के केस अन्य देशों में मिलने के बाद अन्य देश अलर्ट मोड पर हैं, खास तौर से यूके, भारत, थाईलैंड, इंडोनेशिया और नेपाल ने अलर्ट जारी कर दिया है. भारत में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं. वहीं ब्रिटेन स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस पर बारीकी से निगरानी करने की बात कही है. यूके यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के प्रोफेसर डेम जेनी के मुताबिक चीन में फैल रही इस बीमारी के प्रति हम सतर्क हैं और इस पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. WHO ने चीन से इस बीमारी पर आधिकारिक रिपोर्ट मांगी थी, हालांकि चीन का दावा है कि यह सामान्य संक्रमण ही है.
चीन में रोजाना आ रहे 7000 केस
चीन में रहस्यमयी निमोनिया के प्रतिदिन 7 हजार केस औसतन आ रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक बीजिंग के अस्पताल भी इससे भरे पड़े हैं. बच्चों को अस्पतालों के फर्श पर बैठकर इलाज कराना पड़ रहा है. दुनिया में वैश्विक बीमारी पर नजर रखने वाली प्रोमेड ने भी इसे लेकर एक चेतावनी जारी की है, कोरोना के समय भी इस संस्था ने सबसे पहले दुनिया को चेताया था.
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