प्रधानाचार्या डाॅ नीलम सिंह जी ने पधारे सभी गणमान्य अतिथि एवं अभिभावकों का स्वागत करते हुए आभार एवं कृतज्ञता ज्ञापित की।
सांस्कृतिक कार्यक्रम का आरम्भ ताल-तरंग के साथ हुआ, जिसमें वाद्य यंत्रों की समवेत ध्वनि को प्रसृत करते नन्हें फ़नकारों की प्रतिभा को सभी ने सराहा। समूह नृत्य के माध्यम से बच्चों ने मनुष्य जीवन के इहलौकिक तीन आयामों तमस,रजस एवं सत्व की प्रतीक त्रिदेवी स्वरूप की मनमोहक प्रस्तुति की। कहीं होली के मनभावन रंग बिखरें तो कहीं ”सारा भारत एक देश”नृत्य द्वारा बच्चों ने विभिन्न प्रदेशों की नृत्य कला का अद्भुत संगम बिखेरा। लघु नाटिका के माध्यम से नन्हें सिपाहियों ने पर्यावरण को बचाने का संदेश दिया। मंच पर विलक्षण क्षण वह था जब इन नन्हें कलाकारों के साथ उनके अभिभावकों के कदम थिरके जिसने सभी को आहलादित करने के साथ-साथ भाव विभोर कर दिया। कृष्ण-लीला की मनोरम प्रस्तुति ने नटखट कृष्ण से लेकर कृष्ण के विराट स्वरूप की याद दिला दी। प्रॅाप डाॅन्स एवं एरोबिक डाॅन्स पर भी नन्हें कदमों का गति सौन्दर्य अद्भुत एवं रोमांचकारी दिखायी दिया। भाव विभोर कर देने वाली कव्वाली ”न जाने बचपन कहँा खो गया“ ने सभी को एक बार फिर उनका बचपन याद दिला दिया।
इस अवसर पर निदेशिका डाॅ. वन्दना सिंह जी के साथ सह-निदेशक श्री आयुष्मान सिंह जी भी उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि ने अपने उदबोधन में कहा कि इन्हीं नन्हें हाथों में देश का भावी भविष्य है, इसलिए हमें इनके सर्वांगीण विकास हेतु तत्पर रहना होगा, जिससे हमारा देश वैश्विक पटल पर अपना परचम लहरा सके। संस्था सचिव राहुल सिंह जी ने बाल हुनर की प्रस्तुति से भाव-विभोर होकर कहा कि इनका बचपन हम सभी में नयी आशा और ऊर्जा का संचार करता है। हम इनके स्वर्णिम भविष्य निर्माण के लिए दृढ़ संकल्पित हैं और रहेंगे।
कार्यक्रम का संचालन गिलट बाजार शाखा से रोहिनी सिंह, संस्कृति सिंह, अंशिका सिंह एवं विक्रान्त सिंह ने किया तथा कोइराजपुर शाखा से मानवी राजपूत, पावकी सिंह, युवराज सिंह एवं राजवीर सिंह द्वारा किया गया।
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