भारतीय वायु सेना वेस्टर्न सेक्टर के फॉरवर्ड एयर बेस पर स्थानीय रूप से निर्मित हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तैनात करेगी। इसका मकसद पाकिस्तान के खिलाफ युद्धक तैयारी को बढ़ाना और सोवियत काल के मिग-21 लड़ाकू विमानों को धीरे-धीरे हटाना है।
सरकारी विमान निर्माता हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की ओर से पहला विमान फरवरी 2024 में सौंपे जाने की उम्मीद है। इसके बाद इंडियन एयरफोर्स एलसीए एमके-1ए स्क्वाड्रन का निर्माण शुरू कर देगी। सीनियर अधिकारी ने बताया, 'पश्चिमी सेक्टर में 2 हवाई अड्डों को LCA Mk-1 और Mk-1A को शामिल करने के लिए तैयार किया जा रहा है। यहां पहले मिग-21 ऑपरेट करते थे।' उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने के लिए एमके-1ए को फॉरवर्ड एयर बेस पर तैनात किया जाएगा। फिलहाल इंडियन एयर फोर्स LCA Mk-1 के 2 स्क्वाड्रन ऑपरेट करता है और दोनों सुलूर में स्थित हैं। मालूम हो कि एक लड़ाकू स्क्वाड्रन में 16 से 18 जेट होते हैं।
97 और LCA Mk-1As ऑर्डर करने की घोषणा
IAF में हल्के लड़ाकू विमानों (LCAs) की संख्या बढ़ने वाली है। बेड़े में 2024 और 2028 के बीच 83 Mk-1A लड़ाकू जेट शामिल करने का प्लान है। वायु सेना की ओर से फरवरी 2021 में 48,000 करोड़ रुपये में इन विमानों का ऑर्डर दिया गया था। अक्टूबर में IAF प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने 67,000 करोड़ रुपये की लागत से 97 और LCA Mk-1As ऑर्डर करने की घोषणा की थी। HAL बेंगलुरु में हर साल 16 एलसीए एमके-1ए बनाने में सक्षम है। नासिक में नई प्रोडक्शन लाइन एक्टिव होने को तैयार है जिससे कंपनी को 24 जेट विमानों का उत्पादन करने में मदद मिलेगी। इस तरह HAL 2027-28 तक 83 लड़ाकू विमानों की डिलीवरी करने में सक्षम हो जाएगा।
फॉरवर्ड एयर बेस पर ही होगी LAC की मरम्मत
रिपोर्ट के मुताबिक, वायुसेना लड़ाकू स्क्वाड्रनों की कुछ कमी से जूझ रही है। ऐसे में इनकी समय पर डिलीवरी पर पूरा फोकस है। सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज के जनरल डायरेक्टर एयर मार्शल अनिल चोपड़ा (रिटायर्ड) ने इसे लेकर अधिक जानकारी दी। उन्होंने कहा, 'फॉरवर्ड हवाई अड्डों पर LCA की तैनाती ऑपरेशनल प्लेटफॉर्म और वेपन सिस्टम के तौर पर विमान की परिपक्वता का प्रमाण है। मौजूदा डेवलपमेंट से पता चलता है कि एलसीए की फॉरवर्ड एयर बेस पर ही मरम्मत की जा सकेगी।' रिटायर्ड एयर मार्शल ने कहा कि अब जब ये लड़ाकू विमान प्रमुख ठिकानों पर ऑपरेशनल रोल में होंगे तो HAL के लिए भारतीय वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्पादन बढ़ाना जरूरी है।
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