- मुसलमान और बनिये तक का DNA एक, तुर्की और अरब से हमारा क्या नाता; पाक विचारक ने खूब सुनाया | सच्चाईयाँ न्यूज़

मंगलवार, 14 नवंबर 2023

मुसलमान और बनिये तक का DNA एक, तुर्की और अरब से हमारा क्या नाता; पाक विचारक ने खूब सुनाया

 देश का विभाजन हुए 75 साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन अब भी सीमा के दोनों ओर इसका दर्द देखा जा सकता है। कभी भारत का ही हिस्सा रहा पाकिस्तान अब खुद को भारतीय संस्कृति से अलग एक इस्लामी मुल्क के तौर पर ही प्रोजेक्ट करता है।भारत और पाकिस्तान का एक साझा इतिहास रहा है, लेकिन वह उसे भी नकारता रहा है। यहां तक कि नस्लीय तौर पर भी भारत और पाकिस्तान के लोग एक ही हैं, लेकिन वह इस्लाम के नाम पर अलग मानता रहा है। हालांकि पाकिस्तान में ऐसे कई विचारक हैं, जो उसकी इस सोच को गलत मानते हैं। इनमें से ही एक हैं- परवेज हुदभोय।परवेज हुदभोय भौतिक विज्ञानी रहे हैं, लेकिन उन्होंने पाकिस्तान के इतिहास और मजहब का भी गहरा अध्ययन किया है। हाल ही में उन्होंने Pakistan: Origins, Identity and Future नाम से एक नई पुस्तक लिखी है। इस पर चर्चा के दौरान उन्होंने एक यूट्यूब चैनल से बातचीत में साफ कहा कि भारत और पाकिस्तान का साझा इतिहास है। वह कहते हैं कि जब तक पाकिस्तान इस बात को स्वीकार नहीं करेगा, तब तक वह अपनी पहचान के संकट से गुजरता रहेगा। उन्होंने यहां तक कहा कि भारत के एक बनिये और मेरे जैसे मुसलमान का भी डीएनए एक हैं।उन्होंने कहा कि यदि हम परिवार का भी डीएनए निकालें तो हमारा ओरिजिन कहीं न कहीं एक ही मिलेगा। वह कहते हैं कि आज पाकिस्तान में अर्तुगुल गाजी जैसे ड्रामा चल रहे हैं। यह तुर्की का इतिहास है, लेकिन हम उससे खुद को जोड़ रहे हैं। जबकि भारतीय उपमहाद्वीप का तो अलग ही इतिहास है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आज खुद को अरब या तुर्कों से जोड़ने की होड़ है। यही वजह है कि हर शख्स अब खुद को सैयद बताने में जुटा है। यही पाकिस्तान का असल संकट है।परवेज हुदभोय कहते हैं कि पाकिस्तान का एक संकट युद्ध भी है। हमारी 6 लाख की सेना है और हम उसे सिर्फ इसलिए बनाए हुए हैं ताकि कश्मीर की जंग लड़ी जा सके। इस चक्कर में हम तीन जंगों को हार चुके हैं। वह सुझाव देते हैं कि पाकिस्तान को कश्मीर के मसले से आगे बढ़कर इकॉनमी पर ध्यान देना चाहिए। यही नहीं पाकिस्तान में लोकतंत्र न होने का जिक्र करते हुए वह कहते हैं कि यहां तो सेना ने पूरे देश को गर्दन से पकड़ रखा है। वह कहते हैं कि ऐसा कोई देश नहीं है, जहां फौज ही इकॉनमी को चला रही है।

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