दिवाली का त्योहार कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। मान्यता है इस दिन भगवान राम रावण का वध करके अयोध्या वापस लौटे थे।उनके आने की खुशी में ही अयोध्या के लोगों ने दीप जलाकर उनका भव्य स्वागत किया था। कहते हैं तभी से इस दिन रोशनी का त्योहार दिवाली मनाया जाने लगा। दिवाली एक दिन का नहीं बल्कि पूरे 5 दिन तक चलने वाला त्योहार है। दिवाली की रात में जहां लोग अपने घरों के बाहर दीपक जलाकर खुशियां बनाते हैं तो वहीं घर में लोग विधि विधान लक्ष्मी-गणेश का पूजन करते हैं। यहां जानिए दिवाली पूजा विधि स्टेप बाय स्टेप हर जानकारी।
दिवाली पूजा सामग्री (Diwali Puja Samagri)
एक चौकी, लाल कपड़ा, भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा, अक्षत यानी साबुत चावल, लौंग, इलायची, एक तांबे या पीतल का कलश, कुमकुम, हल्दी, दूर्वा, सुपारी, मौली, दो नारियल, 2 बड़े दीपक, आम के पत्ते, पान के पत्ते, 11 छोटे दीपक, अगरबत्ती, जल पात्र, गंगाजल, घी, सरसों का तेल, दीये की बाती, धूप, मीठे बताशे, खील, मिठाई, फल, पुष्प, कमल का फूल, पकवान, मेवे। कई लोग दिवाली पर मां लक्ष्मी को कमलगट्टे, कौड़ी और धनिया भी चढ़ाते हैं।
Diwali Puja Vidhi 2023 (दिवाली पूजा की तैयारी कैसे करें)
- पूजा वाले स्थान को अच्छे से साफ कर लें।
- फिर ज़मीन पर आटे या चावल से चौक बना लें।
- आपसे चौक न बन पाए तो केवल कुमकुम से स्वास्तिक ही बना लें या फिर आप चाहें तो कुछ दाने अक्षत भी रख सकते हैं।
- इस पर चौकी रखें और चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
- चौकी पर दो जगह अक्षत से आसन बनाएं और उस पर माता लक्ष्मी और गणेश जी को विराजमान करें।
- ध्यान रहे कि लक्ष्मी जी को गणेश जी के दाहिने ओर ही स्थापित करना है और दोनों प्रतिमाओं का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा की तरफ होना चाहिए।
- अब भगवान की प्रतिमाओं के आगे थोड़े रुपए, गहने और चांदी के सिक्के रख दें।
- दरअसल चांदी के सिक्के देवता कुबेर का स्वरूप माने जाते हैं।
- अगर चांदी के सिक्के न हों तो आप कुबेर जी का चित्र या प्रतिमा भी स्थापित कर सकते हैं।
- इसके बाद लक्ष्मी जी के दाहिनी तरफ अक्षत से 8 पखुंडियों वाला एक पुष्प बनाएं।
- फिर एक कलश में जल भरकर उस पर रख दें।
- कलश के थोड़ा सा गंगा जल, कुमकुम, हल्दी, अक्षत, दूर्वा, सुपारी, लौंग और इलायची का जोड़ा डालें।
- लेकिन अगर आपके पास ये सभी सामग्री नहीं है तो आप सिर्फ शुद्ध जल, अक्षत, हल्दी और कुमकुम भी डाल सकते हैं।
- कलश पर कुमकुम से स्वास्तिक भी बना लें।
- इसके अलावा ही आम के पत्तों पर भी हल्दी-कुमकुम लगा लें।
- फिर आम के पत्ते को कलश में डालें और उसके ऊपर एक नारियल मौली बांधकर रख दें।
- अब भगवान की चौकी के सामने अन्य पूजा सामग्री भी रख दें।
- दो बड़े चौमुखी घी का दीपक रख लें और 11 दीयों में सरसों का तेल डाल लें।
Diwali Laxmi Puja Vidhi (दिवाली लक्ष्मी पूजा विधि)
- ऊपर बताई गई विधि अनुसार पूजा की तैयारी करके शुभ मुहूर्त में पूजा स्थल पर बैठ जाएं।
- फिर जल पात्र में एक पुष्प को डुबोकर, सभी देवी-देवताओं पर छिड़काव करें।
- फिर आचमन के लिए आप बाएं हाथ से दाएं हाथ में जल लें और दोनों हाथों को साफ करें।
- फिर तीन बार जल स्वयं ग्रहण करें और साथ में इन मंत्रों का उच्चारण करें-
- ॐ केशवाय नमः
- ॐ नारायणाय नमः
- ॐ माधवाय नमः
- इसके बाद अपना हाथ उसी जल से धो लें।
- अब दोनों घी के बड़े दीपकों की गणेश जी और लक्ष्मी जी की प्रतिमा के सामने प्रज्वलित करें
- वहीं एक सरसों के तेल का दीपक कलश के सामने जलाएं।
- एक बड़े दीपक में सरसों का तेल डालकर अपने पितरों के नाम से जला लें।
- अब धूप और अगरबत्ती भी जलाएं और भगवान जी को दिखाएं।
- अब हाथ में पुष्प लेकर आंखें बंद करें और इस मंत्र के साथ गणेश जी का आवाहन करें-
- ऊँ गं गणपतये नमः।
- इसके बाद इसी विधि से माता लक्ष्मी का आवाहन इस मंत्र 'ऊँ महालक्ष्म्यै नमः।' के साथ करें।
- इसके बाद भगवान गणेश, माता लक्ष्मी, कुबेर जी, कलश और दीपक को एक-एक फूल अर्पित करें।
- माता लक्ष्मी को वस्त्र रूपी मौली अर्पित करें और गणेश जी को जनेऊ अर्पित करें।
- फिर भगवान को कुमकुम का टीका लगाएं। साथ ही पूजा में रखे गए चांदी के सिक्कों और गहनों को तिलक लगाएं।
- इसके बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के चरणों में अक्षत अर्पित करें।
- फिर कमल का फूल और कमल गट्टे भगवान को अर्पित करें।
- माता लक्ष्मी को नारियल चढ़ाएं।
- अब दो लौंग, दो इलायची और दो सुपारी, पान के पत्ते पर रखकर इसे भगवान गणेश और मां लक्ष्मी को अर्पित करें।
- अब बगवान को खील और चीनी के बताशों का भोग लगाएंगे।
- भोग में मिठाई, फल और पकवान भी चढ़ा सकते हैं।
- भोग अर्पित करने के बाद चम्मच से चारों ओर जल घुमाएं और नीचे गिरा दें।
- अब भगवान की आरती करें। जिसमें सबसे पहले भगवान गणेश की आरती और फर माता लक्ष्मी की आरती गाएं।
- आरती के बाद, हाथ में फूल और अक्षत लेकर ईश्वर से प्रार्थना करें कि, ' भगवान आप हमारी पूजा स्वीकार करना और हमें जीवन में सुख-समृद्धि और सद्बुद्धि प्रदान करना।'
- साथ ही ये भी कहें कि अगर 'हमसें पूजा में कोई भूल-चूक हुई हो तो हमें क्षमा करें।'
- इसके बाद, यह पुष्प और अक्षत भगवान के चरणों में चढ़ा दें।
- अंत में सभी लोग आरती ले लें और भोग को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
- फिर अपने घर में बड़े लोगों का आशीर्वाद लें।
- बचे हुए दीयों को घर के कोने-कोने में रख दें।
- ध्यान रहे, दीयों का मुख बाहर की तरफ रहना चाहिए।
- इस प्रकार दिवाली पूजा संपन्न हुई।
Diwali Puja Muhurat 2023 (दिवाली पूजा मुहूर्त 2023)
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 12 नवंबर, 2023 को शाम 5:39 मिनट से लेकर 7:35 तक है।
Diwali Par Kitne Deepak Jalane Chahiye (दिवाली पर कितने दीपक जलाने चाहिए)
दिवाली पर कम से कम 13 या 26 छोटे दीपक जलाने चाहिए। साथ में दो बड़े दीपक जलाने चाहिए जिसमें एक घी का दीपक और एक सरसों के तेल का दीपक होना चाहिए।
दिवाली पूजा सामग्री (Diwali Puja Samagri)
एक चौकी, लाल कपड़ा, भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा, अक्षत यानी साबुत चावल, लौंग, इलायची, एक तांबे या पीतल का कलश, कुमकुम, हल्दी, दूर्वा, सुपारी, मौली, दो नारियल, 2 बड़े दीपक, आम के पत्ते, पान के पत्ते, 11 छोटे दीपक, अगरबत्ती, जल पात्र, गंगाजल, घी, सरसों का तेल, दीये की बाती, धूप, मीठे बताशे, खील, मिठाई, फल, पुष्प, कमल का फूल, पकवान, मेवे। कई लोग दिवाली पर मां लक्ष्मी को कमलगट्टे, कौड़ी और धनिया भी चढ़ाते हैं।
Diwali Puja Vidhi 2023 (दिवाली पूजा की तैयारी कैसे करें)
- पूजा वाले स्थान को अच्छे से साफ कर लें।
- फिर ज़मीन पर आटे या चावल से चौक बना लें।
- आपसे चौक न बन पाए तो केवल कुमकुम से स्वास्तिक ही बना लें या फिर आप चाहें तो कुछ दाने अक्षत भी रख सकते हैं।
- इस पर चौकी रखें और चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
- चौकी पर दो जगह अक्षत से आसन बनाएं और उस पर माता लक्ष्मी और गणेश जी को विराजमान करें।
- ध्यान रहे कि लक्ष्मी जी को गणेश जी के दाहिने ओर ही स्थापित करना है और दोनों प्रतिमाओं का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा की तरफ होना चाहिए।
- अब भगवान की प्रतिमाओं के आगे थोड़े रुपए, गहने और चांदी के सिक्के रख दें।
- दरअसल चांदी के सिक्के देवता कुबेर का स्वरूप माने जाते हैं।
- अगर चांदी के सिक्के न हों तो आप कुबेर जी का चित्र या प्रतिमा भी स्थापित कर सकते हैं।
- इसके बाद लक्ष्मी जी के दाहिनी तरफ अक्षत से 8 पखुंडियों वाला एक पुष्प बनाएं।
- फिर एक कलश में जल भरकर उस पर रख दें।
- कलश के थोड़ा सा गंगा जल, कुमकुम, हल्दी, अक्षत, दूर्वा, सुपारी, लौंग और इलायची का जोड़ा डालें।
- लेकिन अगर आपके पास ये सभी सामग्री नहीं है तो आप सिर्फ शुद्ध जल, अक्षत, हल्दी और कुमकुम भी डाल सकते हैं।
- कलश पर कुमकुम से स्वास्तिक भी बना लें।
- इसके अलावा ही आम के पत्तों पर भी हल्दी-कुमकुम लगा लें।
- फिर आम के पत्ते को कलश में डालें और उसके ऊपर एक नारियल मौली बांधकर रख दें।
- अब भगवान की चौकी के सामने अन्य पूजा सामग्री भी रख दें।
- दो बड़े चौमुखी घी का दीपक रख लें और 11 दीयों में सरसों का तेल डाल लें।
Diwali Laxmi Puja Vidhi (दिवाली लक्ष्मी पूजा विधि)
- ऊपर बताई गई विधि अनुसार पूजा की तैयारी करके शुभ मुहूर्त में पूजा स्थल पर बैठ जाएं।
- फिर जल पात्र में एक पुष्प को डुबोकर, सभी देवी-देवताओं पर छिड़काव करें।
- फिर आचमन के लिए आप बाएं हाथ से दाएं हाथ में जल लें और दोनों हाथों को साफ करें।
- फिर तीन बार जल स्वयं ग्रहण करें और साथ में इन मंत्रों का उच्चारण करें-
- ॐ केशवाय नमः
- ॐ नारायणाय नमः
- ॐ माधवाय नमः
- इसके बाद अपना हाथ उसी जल से धो लें।
- अब दोनों घी के बड़े दीपकों की गणेश जी और लक्ष्मी जी की प्रतिमा के सामने प्रज्वलित करें
- वहीं एक सरसों के तेल का दीपक कलश के सामने जलाएं।
- एक बड़े दीपक में सरसों का तेल डालकर अपने पितरों के नाम से जला लें।
- अब धूप और अगरबत्ती भी जलाएं और भगवान जी को दिखाएं।
- अब हाथ में पुष्प लेकर आंखें बंद करें और इस मंत्र के साथ गणेश जी का आवाहन करें-
- ऊँ गं गणपतये नमः।
- इसके बाद इसी विधि से माता लक्ष्मी का आवाहन इस मंत्र 'ऊँ महालक्ष्म्यै नमः।' के साथ करें।
- इसके बाद भगवान गणेश, माता लक्ष्मी, कुबेर जी, कलश और दीपक को एक-एक फूल अर्पित करें।
- माता लक्ष्मी को वस्त्र रूपी मौली अर्पित करें और गणेश जी को जनेऊ अर्पित करें।
- फिर भगवान को कुमकुम का टीका लगाएं। साथ ही पूजा में रखे गए चांदी के सिक्कों और गहनों को तिलक लगाएं।
- इसके बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के चरणों में अक्षत अर्पित करें।
- फिर कमल का फूल और कमल गट्टे भगवान को अर्पित करें।
- माता लक्ष्मी को नारियल चढ़ाएं।
- अब दो लौंग, दो इलायची और दो सुपारी, पान के पत्ते पर रखकर इसे भगवान गणेश और मां लक्ष्मी को अर्पित करें।
- अब बगवान को खील और चीनी के बताशों का भोग लगाएंगे।
- भोग में मिठाई, फल और पकवान भी चढ़ा सकते हैं।
- भोग अर्पित करने के बाद चम्मच से चारों ओर जल घुमाएं और नीचे गिरा दें।
- अब भगवान की आरती करें। जिसमें सबसे पहले भगवान गणेश की आरती और फर माता लक्ष्मी की आरती गाएं।
- आरती के बाद, हाथ में फूल और अक्षत लेकर ईश्वर से प्रार्थना करें कि, ' भगवान आप हमारी पूजा स्वीकार करना और हमें जीवन में सुख-समृद्धि और सद्बुद्धि प्रदान करना।'
- साथ ही ये भी कहें कि अगर 'हमसें पूजा में कोई भूल-चूक हुई हो तो हमें क्षमा करें।'
- इसके बाद, यह पुष्प और अक्षत भगवान के चरणों में चढ़ा दें।
- अंत में सभी लोग आरती ले लें और भोग को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
- फिर अपने घर में बड़े लोगों का आशीर्वाद लें।
- बचे हुए दीयों को घर के कोने-कोने में रख दें।
- ध्यान रहे, दीयों का मुख बाहर की तरफ रहना चाहिए।
- इस प्रकार दिवाली पूजा संपन्न हुई।
Diwali Puja Muhurat 2023 (दिवाली पूजा मुहूर्त 2023)
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 12 नवंबर, 2023 को शाम 5:39 मिनट से लेकर 7:35 तक है।
Diwali Par Kitne Deepak Jalane Chahiye (दिवाली पर कितने दीपक जलाने चाहिए)
दिवाली पर कम से कम 13 या 26 छोटे दीपक जलाने चाहिए। साथ में दो बड़े दीपक जलाने चाहिए जिसमें एक घी का दीपक और एक सरसों के तेल का दीपक होना चाहिए।
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