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मंगलवार, 7 नवंबर 2023

फैला रेबीज,तड़प-तड़प कर मां बाप के सामने हुई मौत, सिस्टम की लापरवाही से कलेजे के टुकड़े को खोया


मेरठ शहर में आवारा आतंक अब जानलेवा होने लगा है। नगर निगम की उदासीनता का खामियाजा लोग भुगत रहे हैं। इसी का शिकार दिल्ली रोड स्थित सूर्यापुरम निवासी एक परिवार बना।

12 साल के बालक को आवारा कुत्ते ने दो माह पहले काटा था।

रविवार को उसके शरीर में रेबीज का संक्रमण फैल गया। मां-बाप की आंखों के सामने उसने तड़पकर दम तोड़ दिया। स्वजन ने ब्रजघाट ले जाकर अंतिम संस्कार किया।

गली के कुत्ते ने काटा था

धन्नू ट्रैक सूट बनाने की फैक्ट्री में काम करते हैं। धन्नू ने बताया कि 28 अगस्त को उनका बेटा दुष्यंत गली में खड़ा था तभी एक कुत्ते (उम्र लगभग छह माह) ने उसके दाएं पैर में काट लिया। उसे निजी चिकित्सक के पास ले गए। चिकित्सक ने टिटनेस का इंजेक्शन लगाकर घर भेज दिया। एक सप्ताह पूर्व दुष्यंत के उसी पैर में दर्द हुआ और बुखार हो गया। उसकी सांस फूलने लगी और पानी से डरने लगा।

चिकित्सक ने जिला अस्पताल भेज दिया

शनिवार को दुष्यंत को फिर उसी चिकित्सक के पास ले गए। चिकित्सक ने जिला अस्पताल भेज दिया। यहां से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया। वहां से गुरु तेगबहादुर अस्पताल और फिर एम्स भेजा गया। वहां से चिकित्सकों ने उसको घर भेज दिया। बताया गया कि शरीर में रेबीज पूरी तरह फैल गया है। रविवार रात दुष्यंत ने दम तोड़ दिया। धन्नू के तीन और बेटे 16 वर्षीय रितिक, 14 वर्षीय चीनू् व नौ वर्षीय नितिश हैं।

सिस्टम की लापरवाही

सोमवार को नगर में कलेजा कंपा देने वाली घटना हुई। जिसमें सिस्टम की बेपरवाही के चलते धन्नू ने अपने कलेजे के टुकड़े को खो दिया। एक अनुमान के मुताबिक एक लाख से अधिक आवारा कुत्ते महानगर में मौजूद हैं। नगर निगम ने डेढ़ साल पहले एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर स्थापित किया। अब तक 11,500 आवारा कुत्तों की नसबंदी व एंटी रेबीज टीकाकरण किया गया है।

आवारा कुत्तों को एंटी रेबीज वैक्सीनेशन से काटने पर रेबीज संक्रमण का खतरा कम रहता है। आंकड़ों पर गौर करें तो आवारा कुत्तों की संख्या के सापेक्ष अभी 11 प्रतिशत को ही एंटी रेबीज टीकाकरण हुआ है। नसबंदी व एंटी रेबीज टीकारकण की यह गति बेहद धीमी है।

पीएल शर्मा जिला अस्पताल के एंटी रेबीज टीकाकरण यूनिट में प्रतिदिन 125 से अधिक कुत्तों के काटने के मामले आते हैं। महीने में चार हजार से अधिक एंटी रेबीज इंजेक्शन जिला अस्पताल में खप रहे हैं। ये आंकड़े स्वास्थ्य विभाग के रजिस्टर में दर्ज होते हैं। यह जानकारी शासन तक पहुंचती है। इसके बाद भी एनिमल बर्थ कंट्रोल कार्यक्रम पर जोर नहीं दिया जा रहा है।

गत महीने शासन ने एक और एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर बनाने के लिए धनराशि स्वीकृति की है। नगर निगम इस सेंटर के निर्माण को लेकर भी उदासीन बना हुआ है। नतीजा, आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रित होने के बजाए दिनोंदिन बढ़ रही है।

कुत्ता काटे तो तुरंत लगवाएं एंटी रेबीज इंजेक्शन

जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डा.यशवीर सिंह ने कहा कि आवारा कुत्ता हो या पालतू, काटने के बाद बिना देरी किए पीड़ित व्यक्ति को एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने चाहिए। जैसे ही पता चले कि कुत्ते ने काट लिया है सबसे पहले जख्म को साबुन से धोएं। फिर 24 घंटे के भीतर टिटनस व एंटी रेबीज इंजेक्शन की पहली डोज लगवाएं। अगर कुत्ते ने कई जगह और गर्दन के ऊपर के हिस्से में काटा है तो एंटी रेबीज सीरम इंजेक्शन लगवाएं। यह इंजेक्शन जख्म पर ही लगाया जाता है।

एंटी रेबीज इंजेक्शन जिला अस्पताल में रेबीज टीकाकरण यूनिट में प्रतिदिन लगाए जाते हैं। जबकि एंटी रेबीज सीरम इंजेक्शन के लिए पीड़ित को दिल्ली रेफर किया जाता है। एंटी रेबीज सीरम इंजेक्शन भी कुत्ते के काटने के 24 घंटे के भीतर लगाना जरूरी है। कुल चार डोज एक महीने में लेनी होती है। तय अवधि में एंटी रेबीज इंजेक्शन की डोज लेने से रेबीज संक्रमण फैलने का खतरा बहुत कम हो जाता है।

काटने के बाद कुत्ते पर रखें नजर

डा.यशवीर ने कहा कि काटने के बाद कुत्ते पर नजर रखनी चाहिए। अगर काटने के बाद कुत्ते की मौत हो जाती है तो ये माना जाता है कि कुत्ता रेबीज से संक्रमित था। ऐसी अवस्था में पीड़ित व्यक्ति को एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने में देरी करने पर रेबीज संक्रमण फैलने का खतरा अधिक रहता है। इसलिए ऐसे मामले में लापरवाही नहीं करनी चाहिए।

सूर्या पुरम में शिकायत के बाद कुत्तो को पकड़ने के लिए टीम भेजी गई थी। वहां से कुत्ते भी पकड़कर नसबंदी के बाद उन्हें छोड़ दिया। इस कालोनी से पुन: शिकायत की जानकारी नही है। मंगलवार को इस कालोनी में पुन: कुत्तों को पकड़ने के लिए टीम भेजी जाएगी। डा हरपाल सिंंह नगर स्वास्थ्य अधिकारी

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