मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉ मोहम्मद मुइज्जू ने पद की शपथ लेने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए इस्लामिक देश तुर्की को चुना है. रविवार को मुइज्जू तुर्की के लिए रवाना हुए.
भारत को लेकर मुइज्जू का रुख बेहद सख्त रहा है. राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान मुइज्जू ने वादा किया था कि वो मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों को देश से बाहर भेज देंगे. जीत के बाद भी मुइज्जू अपने इस रुख पर कायम हैं हालांकि, उनके तेवर अब थोड़े नरम पड़ते दिख रहे हैं.
हाल ही में समाचार एजेंसी एएफपी को दिए इंटरव्यू में मुइज्जू ने कहा था कि उनका देश भूराजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में उलझने के लिए बहुत छोटा है. उन्होंने कहा था कि मालदीव भारत और चीन सहित सभी देशों के साथ मिलकर काम करेगा.
उन्होंने कहा था, 'मालदीव भूराजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में उलझने के लिए बहुत छोटा है. मुझे इस बात में कोई दिलचस्पी नहीं है कि मैं मालदीव की विदेश नीति में इस तरह की दुश्मनी शामिल करूं. हम भारत, चीन समेत सभी देशों के साथ मिलकर काम करने जा रहे हैं.'
राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करने से पहले दिए गए इंटरव्यू में मुइज्जू ने कहा था कि वो सभी देशों के साथ मिलकर काम करेंगे.
'चीन या किसी देश की सेना को भारतीय सेना की जगह....'
इंटरव्यू के दौरान मुइज्जू ने यह भी कहा था कि भारतीय सैनिकों को मालदीव से बाहर भेज दिया जाएगा और उनकी जगह चीन या किसी अन्य देश के सैनिक को मालदीव में नहीं रहने दिया जाएगा.
उन्होंने अपने चीन के करीबी होने के सभी रिपोर्टों को भी खारिज कर दिया था. उनका कहना था कि वो बस मालदीव समर्थक हैं.
'सैनिकों की वापसी के लिए भारत से जल्द बातचीत शुरू होगी'
मुइज्जू ने कहा कि उन्हें आशा है कि मालदीव से 50-75 भारतीय सैनिकों की वापसी को लेकर जल्दी ही भारत के साथ औपचारिक बातचीत शुरू हो जाएगी.
उन्होंने कहा था, 'मालदीव के लोगों ने मुझे इसलिए वोट नहीं किया कि मैं मालदीव में किसी दूसरे देश की सेना को रहने की इजाजत दूं. इसलिए हम भारत की सरकार से बात कर रहे हैं ताकि भारतीय सेना यहां से चली जाए. मुझे पूरी उम्मीद है कि यह काम शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से हो जाएगा.'
भारत के सैनिक मालदीव में भारत प्रायोजित रडार स्टेशनों और सर्विलांस विमानों का रखरखाव करते हैं. भारत के युद्धपोत मालदीव के विशेष आर्थिक क्षेत्र में गश्त करने में मदद करते हैं.
एक टिप्पणी भेजें