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रविवार, 26 नवंबर 2023

सबूत मिटाने के लिए निगला सिम कार्ड, पुलिस ने साइबर क्रिमिनल का कराया ऑपरेशन

 


साइबर क्राइम की बात जब भी होती है, तो सबसे पहले झारखंड के जामताड़ा का ध्यान आता है. यहां के साइबर ठगों के ऊपर कई वेब सीरीज बन चुकी है. लेकिन साइबर अपराध के मामलों में कई जिले जामताड़ा से भी आगे निकल चुके हैं.

इनमें गिरडिह का नाम प्रमुख है. यहां पिछले एक महीने के अंदर 50 से अधिक साइबर ठग गिरफ्तार किए जा चुके हैं. ताजा मामले में पुलिस ने 9 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस कार्रवाई के दौरान सबूत मिटाने के लिए एक आरोपी ने अपने मोबाइल का सिम कार्ड निगल लिया. इसके बाद पुलिस तुरंत उसे लेकर अस्पताल गई. वहां डॉक्टरों ने ऑपरेशन करके आरोपी के पेट से सिम कार्ड बरामद कर लिया.

जानकारी के मुताबिक, साइबर अपराध के खिलाफ गिरिडीह पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है. पुलिस ने बेंगाबाद और गांडेय थाना क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों में छापेमारी कर आधा दर्जन साइबर अपराधियों को गिरफ्तार करने में सफलता पाई है. गिरफ्तार साइबर अपराधियों में बेंगाबाद थाना इलाके के मानसिंहडीह निवासी राहुल कुमार मंडल, चंदन कुमार, मंडाडीह निवासी कृष्णा साव और गांडेय थाना क्षेत्र के मरगोडीह निवासी भीम मंडल, आसानबोनी निवासी बिनोद मंडल और मुकेश मंडल शामिल हैं. इन अपराधियों के पास से पुलिस ने 27 मोबाइल फोन और 32 सिम कार्ड बरामद किए हैं. सभी आरोपी एक ऐप के जरिए लोगों के साथ धोखाधड़ी किया करते थे.

लोगों के साथ ऐसे ठगी करते थे साइबर अपराधी

एसपी दीपक कुमार शर्मा ने बताया कि साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए गिरिडीह पुलिस के द्वारा लगातार अभियान चलाया जा रहा है. इसी अभियान के तहत गांडेय और बेंगाबाद थाना क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों में साइबर डीएसपी संदीप सुमन समदर्शी के नेतृत्व में छापामारी अभियान चलाया गया. गिरफ्तार किए अपराधी गर्भवती महिलाओं के मोबाइल नंबर पर कॉल करके उन्हें मातृत्व लाभ राशि के रूप में 6300 दिलाने का झांसा देकर ठगी करते थे. इसके अलावा उन लोगों के द्वारा फर्जी बिजली विभाग का अधिकारी बनकर बिजली बिल का बकाया भुगतान राशि जमा करने के लिए डराते थे. उन लोगों से बकाया बिजली बिल जमा करने के नाम पर ठगी करते थे.

इसके अलावे ये सभी साइबर अपराधी बिजली मित्र एप के माध्यम से भी लोगों के वॉलेट का नंबर प्राप्त कर उन्हें कॉल कर पैसों की ठगी करते थे. साइबर अपराधी डाक पे के माध्यम से इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के खाता धारकों के साथ भी ठगी करते थे. गिरफ्तार साइबर अपराधियों ने खुलासा किया की वो रैंडम नंबर पे कॉल करके खुद को स्वास्थ्य विभाग या फिर बिजली विभाग का अधिकारी बताते थे. बिजली काटने का भय दिखाकर ई वॉलेट नंबर जुगाड़ कर लेते थे. इसके बाद लोगों के खाते से उनके पैसे उड़ा देते थे. पुलिस टीम में एसडीपीओ अनिल कुमार सिंह, साइबर थाना प्रभारी अजय कुमार, गांडेय थाना प्रभारी साकेत प्रताप देव, अहिल्यापुर थाना प्रभारी संतोष कुमार मंडल आदि शामिल थे.

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FCRF की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

आईआईटी कानपुर से जुड़े फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन की एक स्टडी में बताया गया है कि राजस्थान का भरतपुर और उत्तर प्रदेश का मथुरा साइबर ठगी का बड़ा हॉटस्पॉट बन गए हैं. इनके बाद हरियाणा का नूंह और झारखंड का देवघर जिला है. पांचवें नंबर पर जामताड़ा है. इस स्टडी में साइबर क्राइम के 10 बड़े हॉटस्पॉट की लिस्ट दी गई है. इन 10 जिलों में देश के 80 फीसदी से ज्यादा साइबर क्राइम होते हैं. इस रिपोर्ट में जिन 10 जिलों की लिस्ट दी है, उनमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और झारखंड के जिले हैं. इनमें भरतपुर (18%), मथुरा (12%), नूंह (11%), देवघर (10%), जामताड़ा (9.6%), गुरुग्राम (8.1%), अलवर (5.1%), बोकारो (2.4%), करमाटांड (2.4%) और गिरिडीह (2.3%) शामिल हैं.

10 जनवरी 2020 को गृह मंत्री अमित शाह ने एक पोर्टल लॉन्च किया था. इस पर जाकर साइबर क्राइम की शिकायत की जा सकती है. इस पोर्टल पर अब तक 20 लाख से ज्यादा शिकायतें आ चुकी हैं, जिनके आधार पर 40 हजार एफआईआर दर्ज की गईं हैं. पोर्टल के अलावा एक हेल्पलाइन नंबर '1930' भी जारी किया गया है, जो देशभर में 250 से ज्यादा बैंकों से कनेक्ट है. साइबर धोखाधड़ी होने पर इस पर कॉल कर शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. साइबर फ्रॉड की जल्दी रिपोर्टिंग होने के कारण साइबर अपराधियों से 235 करोड़ रुपए की रिकवरी की जा चुकी है. ये रकम 1.33 लाख से ज्यादा लोगों से धोखाधड़ी कर जुटाई गई थी. साइबर ठगी होने के तुरंत बाद शिकायत करने से रिकवरी के चांस ज्यादा रहते हैं.

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