पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने मानवाधिकार सेल के सहायक इंस्पेक्टर जनरल (एआईजी) मालविंदर सिंह सिद्धू समेत आस्था होम, गिलको वैली, एसएएस नगर निवासी और खाद्य, सिविल सप्लाई और उपभोक्ता मामले विभाग के ड्राइवर कुलदीप सिंह समेत पटियाला जिले के गांव आलमपुर के रहने वाले बलबीर सिंह के खिलाफ पद का दुरुपयोग, सरकारी मुलाजिमों से धोखाधड़ी, ब्लैकमेलिंग, जबरन वसूली और रिश्वत लेने के आरोप में केस दर्ज किया है।
उन्होंने आगे बताया कि तफ्तीश के दौरान यह सामने आया कि साल 2017 से मानवाधिकार सेल, पंजाब पुलिस के एआईजी के तौर पर सेवा निभा रहे मालविंदर सिंह सिद्धू ने पिछले पांच सालों के दौरान कभी भी विजिलेंस ब्यूरो, पंजाब के अंदर एआईजी और आईजी के पदों पर काम नहीं किया। इस अधिकारी ने अपनी सरकारी गाड़ी आरटिगा ( पीबी 65 एडी 1905) का दुरुपयोग किया, जबकि तेल और अन्य खर्चे सरकारी खाते में से किये जाते रहे। उसने कभी भी इस वाहन का इस्तेमाल (लॉग बुक) का रिकॉर्ड नहीं रखा, जो सरकारी जायदाद का दुरुपयोग को दर्शाता है।
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि एआईजी सिद्धू ने राजपुरा के ब्लाक प्राइमरी शिक्षा अधिकारी के दफ्तर में काम करने वाले एक डाटा ऑपरेटर के पास अपने आप को आईजी विजिलेंस ब्यूरो के तौर पर झूठी पहचान बताई। सिद्धू ने इस धोखेबाज पहचान का इस्तेमाल कर एक सरकारी अध्यापक की सर्विस बुक की फोटो कापी हासिल की।
इसी तरह एआईजी सिद्धू ने सरकारी सीनियर सेकंडरी स्कूल घनौर के प्रिंसिपल को लिखित शिकायत के इलावा स्कूल की ईमेल आईडी पर उपरोक्त दोषी कुलदीप सिंह के द्वारा एक और अर्जी भेजकर स्कूल के एक अध्यापक का रिकॉर्ड प्राप्त किया। अध्यापकों के रिकॉर्ड की पड़ताल करने वह जिला सामाजिक कल्याण अधिकारी को साथ लेकर स्कूल पहुंचा और प्रिंसिपल से दो पन्नों के प्रोफार्मा पर दस्तखत करवाने की कोशिश की लेकिन प्रिंसिपल ने इस पर दस्तखत करने से इन्कार कर दिया।
ऐसे ही फिरोजपुर जिले के गुरूहरसहाय में कृषि विभाग के एक ब्लाक अफसर का निजी रिकॉर्ड हासिल किया। इसके बाद उन्होंने जाली अनुसूचित जाति सर्टिफिकेट रखने के लिए इस अधिकारी के खिलाफ उसके विभाग में शिकायत दर्ज करवाई। इस शिकायत को वापस लेने के बदले इस अधिकारी से तीन लाख रुपये की मांग की गई। इसमें से डेढ़ लाख रुपये बलबीर सिंह और मालविंदर सिंह सिद्धू ने गैर-कानूनी तरीके से हासिल किए। इसके बाद इस जांच को पूरा करने के लिए पीड़ित को उसके विभाग से और समय दिलाने के नाम पर बलबीर सिंह और मलविंदर सिंह सिद्धू ने दो लाख रुपये की रिश्वत हासिल की।
प्रवक्ता के मुताबिक मालविंदर सिंह सिद्धू ने अपने आप को विजिलेंस ब्यूरो का एआईजी और आईजी बताया और बलबीर सिंह के साथ मिलीभगत कर अनुसूचित जाति और स्वतंत्रता सेनानियों के विभागों में कई व्यक्तियों का रिकॉर्ड हासिल किया। इसके बाद उनके विरुद्ध शिकायत दर्ज करवाने के बाद ब्लैकमेल करना और फिर इन शिकायतों को वापस लेने के बदले रिश्वत लेते थे।
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