इजराइल के खिलाफ हमास ने जब से युद्ध छेड़ा है, तब से उसके इंटेलिजेंस और उसकी क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं. मोसाद को दुनिया की सबसे ताकतवर इंटेलिजेंस एजेंसी माना जाता था लेकिन हमास के हमले के बाद इसकी साख को तगड़ा झटका लगा है.
हमास के लड़ाकों ने इजराइल में घुसते ही सबसे पहले डांस पार्टी को निशाना बनाया और एक ही झटके में 260 लाशें बिछा दीं. हमले से 10 दिनों पहले मिस्र ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को चेताया था लेकिन कहा जा रहा है कि उन्होंने इसे इन्गोनर कर दिया. उन्होंने हमास की ताकत को कम आंका जिसका नतीजा है कि आज हमास के हमलों में कमोबेश 1300 लोग मारे गए हैं. 150 के आस-पास इजराइली और विदेशी नागरिकों को हमास ने बंधक बनाया हुआ है. आइए जानते हैं कि आखिर इजराइल ने ऐसी क्या गलतियां कीं जिससे हमास के हमलों को रोकने में नाकाम हुआ?
- हमास की क्षमताओं को कम आंकना: फिलिस्तीनी अथॉरिटी को कमजोर करने के लिए हमास को छूट देने की प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की रणनीति उल्टी पड़ गई. हमास ने इजराइल पर बड़े पैमाने पर हमले को सफल अंजाम देकर, सीमा का उल्लंघन करके और बड़ा नुकसान पहुंचाकर अपनी ताकत और रणनीति का एहसास कराया.
- इंटेलिजेंस फेल्यर: इजराइल के इंटेलिजेंस को दुनिया में सबसे ताकतवर माना जाता है और इस मोर्चे पर वे विफल हो गए. इससे समझा जा सकता है कि इजराइल को हमास के हमले की जानकारी नहीं मिली. तौर तरीकों के बारे में पता नहीं चला. हमास इस स्तर का हमला करेगा जहां सैकड़ों इजराइली मारे जाएंगे – इजराइल को इसका अंदाजा नहीं था.
- सुरक्षा उपायों को दरकिनार करना: इजराइल ने इस लेवल की सैन्य तैयारी नहीं कर रखी थी कि वे हमास के बड़े हमले को रोक सके. गाजा सीमा पर सैनिकों की कमी थी. इजराइल का बड़ा सैन्य बल वेस्ट बैंक में तैनात होता है, जहां वे यहूदी कब्जेधारियों की सुरक्षा करते हैं. इससे इजराइल हमले का तुरंत जवाब नहीं दे सका और प्रभावी ढंग से हमले रोक पाने में नाकाम रहा.
- नागरिकों की रक्षा करने में विफल: हमास के लड़ाकों ने इजराइली सीमा में घुसकर इजराइली नागरिकों को बंधक बना लिया और उसे गाजा लेकर आ गए, बावजूद इसके सेना उन्हें रोक नहीं सकी. इसकी बड़ी वजह ये हो सकती है कि नेतन्याहू शासन ने सेना का मूवमेंट्स देरी से किया और इससे इजराइली नागरिकों में गुस्सा और उनका मोहभंग हुआ. नागरिकों की रक्षा करने के अपने कर्तव्य को पूरा करने में सरकार की विफलता ने लोगों के विश्वास को खत्म किया, जहां 86 फीसदी इजराइली मानते हैं कि यह लीडरशिप की नाकामी है.
- राजनीतिक हितों को प्राथमिकता देना: प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का ध्यान राजनीतिक मामलों पर ज्यादा रहा. मसलन, संसद और न्यायपालिका पर नियंत्रण की उनकी चाहत इजराइल की सुरक्षा में बाधा बनी. इस राजनीतिक लड़ाई से देश की सुरक्षा और सैन्य तैयारी से ध्यान हट गया. इस आंतरिक राजनीतिक उथल-पुथल ने रणनीतिक फोकस और सरकार-सेना के कोऑर्डिनेशन में कमी आई और हमास अपने हमले में कामयाब हुआ.
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