हम अपनी ज़िंदगी में रोज ऐसे बहुत से शब्द इस्तेमाल करते हैं, जिनका सही मतलब हमें पता ही नहीं होता है. हम इनसे इतने ज्यादा फैमिलियर हो जाते हैं कि कभी कोशिश भी नहीं करते कि इसका मतलब जानें, बस इसे वैसा का वैसा ही एक्सेप्ट ककर लेते हैं.
कभी ठहरकर आपने सोचा है कि आखिर इस शब्द का मतलब होता क्या है? हम जो बोल रहे हैं वो सही है भी या नहीं. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म कोरा पर किसी ने इसी सवाल का जवाब जानने के लिए पूछा कि 'ख़्वाजा' का मतलब क्या है, तो उस पर ढेर सारे जवाब आए. इनमें से सबसे सटीक जवाबों के ज़रिये हमने आपके लिए जानकारी जुटाई है और बताया कि 'ख़्वाजा' कहां से आया और किसे कहा जाता है.
'ख़्वाजा' का क्या है मतलब?
यूं तो सवाल के तमाम जवाब दिए गए लेकिन एक शख्स ने बताया कि दरअसल 'ख़्वाजा' उर्दू भाषा का शब्द है ही नहीं. इसमें ज्यादातर शब्द या तो संस्कृत और प्राकृत से आए या फिर अरबी-फ़ारसी और तुर्क भाषाओं से लिए गए. 'ख़्वाजा' भी ऐसे ही शब्दों में से एक है, जो फारसी भाषा से उर्दू भाषा में आया है. इसकी उत्पत्ति के बारे में बताने से पहलले हम आपको बता दें कि इसका इस्तेमाल फारसी भाषा में स्वामी, अधिपति, सज्जन, अमीर, महाशय, मंत्रियों के लिए होता था. जब ये उर्दू में आया, तो सूफ़ी मत के प्रभाव की वजह से इस शब्द को मार्गदर्शक गुरुओं और चमत्कार करने वाले गुरुओं के लिए इस्तेमाल होने लगा. यही वजह है कि ज्यादातर सूफी संतों के नाम के आगे ख़्वाजा लगा हुआ आप देखेंगे.
कहां से हुई 'ख़्वाजा' की उत्त्पत्ति?
एक यूज़र ने बताया कि 'ख़्वाजा' शब्द का इस्तेमाल सम्मान देने के लिए किया जाता है. मालिक या साहेब के अर्थ में भी इसका उपयोग होता है. बताया जाता है कि संस्कृत शब्द उपाध्याय, जिसका अर्थ गुरु या शिक्षक होता है, उससे जटिल रुपांतरण से 'ख़्वाजा' बना. एक मत कहता है कि उपाध्याय शब्द बौद्ध धर्म के प्राकृत और पालि से होते हुए सिंधी भाषा वाझो तक पहुंच गया. ख़्वारेज़्म इलाके में यहां की भाषा में ये ख़्वाजीक बना धीरे-धीरे फ़ारसी में ख़्वाजा बनकर उर्दू तक पहुंचा. हालांकि इसके अर्थ में कोई खास अंतर नहीं हुआ.
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