विदेशी जमीन बैठकर भारत के खिलाफ साजिश रचने वाले आतंकी और गैंगस्टर्स इन दिनों अनजान कातिलों के हाथों मारे जा रहे हैं. इसी कड़ी में भारत का मोस्ट वॉन्टेड अपराधी शाहिद लतीफ भी पाकिस्तान के पंजाब में मारा गया.
कौन था शाहिद लतीफ?
शाहिद लतीफ उर्फ छोटा शाहिद भाई उर्फ नूर अल दीन का जन्म 1970 में हुआ था. उसके पिता का नाम अब्दुल लतीफ था. उसका परिवार मरकज़ अब्दुक्का बिन मुबारक, तहसील दस्का, जिला सियालकोट, पाकिस्तान का रहने वाला था. जबकि वो खुद मोरे अमीनाबाद, गुजरांवाला, पंजाब, पाकिस्तान का स्थायी निवासी था. वो प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का एक प्रमुख सदस्य था.
सुबह की नमाज पढ़ने गया था शाहिद लतीफ
शाहिद लतीफ बहुत साल पहले ही पाकिस्तानी आतंकियों की पनाह में जा बैठा था. वो वहीं बैठकर भारत के खिलाफ अपने नापाक मंसूबे पूरे करता रहा. उसने हमारे मुल्क के खिलाफ कई साजिशें की और उन्हें अंजाम तक पहुंचाया. अब भारत के इस मोस्ट वॉन्टेड की कहानी हमेशा के लिए खत्म हो गई. दरअसल, शाहिद लतीफ पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में दस्का इलाके में रहता था. वो पांच वक्त की नमाज पढ़ता था. लिहाजा, हर रोज की तरह वो बुधवार की सुबह फज्र की नमाज पढ़ने के लिए तड़के ही मेडकी चौक के पास मौजूद नूर मदीना मस्जिद में पहुंचा था. उसके साथ दो अन्य लोग भी मौजूद थे.
तीन हमलावरों ने गोलियों से भून डाला
उसने तय वक्त पर उस मस्जिद में नमाज अदा की और उसके बाद अपने दोनों साथियों के साथ वो मस्जिद से बाहर आ गया. जैसे ही बाहर निकला, तभी अचानक एक मोटरसाइकिल उसके सामने आकर रुकी. जिस पर तीन हथियारबंद लोग सवार थे. इससे पहले कि शाहिद लतीफ और उसके साथी कुछ समझ पाते, बाइक सवार तीनों हमलावरों ने उन्हें गोलियों से भून डाला और मौके से भाग निकले. शाहिद खून से लथपथ होकर वहीं जमीन पर गिर पड़ा और उसकी मौके पर ही मौत हो गई. उसके साथ मौजूद दोनों लोग भी गोली लगने से मारे गए.
आतंकी निज्जर और सुक्खा की तरह हुआ मर्डर
शाहिद लतीफ का कत्ल बिल्कुल वैसे ही किया गया, जैसे कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर और कुख्यात गैंगस्टर सुखदूल सिंह सुक्खा का मर्डर किया गया था. मतलब ये कि ये सभी अनजान कातिलों के हाथों मारे गए.
जून 2023, कनाडा
कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई. उसे भारत सरकार ने डेजिग्नेटेड आतंकी घोषित किया था. हाल ही में भारत सरकार ने 41 आतंकियों की लिस्ट जारी की थी, उसमें हरदीप निज्जर का नाम शामिल था. आतंकी हरदीप निज्जर को कनाडा के सर्रे में मौजूद एक गुरुद्वारे की पार्किंग में गोली मारी गई, जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी. वह कनाडा के सिख संगठन सिख फॉर जस्टिस से जुड़ा हुआ था. वह पंजाब के जालंधर जिले का रहने वाला था.
घटनास्थल पर मौजूद एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी और गुरुद्वारा समिति के सदस्य मलकीत सिंह उस वक्त फुटबॉल खेल रहे थे. उनका कहना है कि उन्होंने दो हुड पहने हुए लोगों को क्रीक पार्क की ओर भागते देखा. उन्होंने दोनों बंदूकधारियों का पीछा भी किया. मलकीत सिंह के अनुसार, हमलावर सिख वेशभूषा में दिख रहे थे. उनके सिर पर एक छोटा पग भी था. साथ ही उन्होंने मुखौटा पहन रखा था. एक हमलावर पांच फीट से अधिक लंबा और मोटा शरीर वाला था. जबकि दूसरा उससे छोटे कद का और पतला था.
मलकीत सिंह ने आगे बताया कि निज्जर की हत्या करने के बाद दोनों हमलावर Cougar Creek Park के बाहर खड़ी सिल्वर कलर की 2008 टोयाटा कैमरी में बैठकर भाग निकले. यहां पहले से ही तीन व्यक्ति दोनों हमलावर का इंतजार कर रहे थे. मलकीत का कहना है कि दोनों में से एक हमलावर ने कार में बैठने से ठीक पहले उनके ऊपर अपनी पिस्तौल भी तान दी थी. गुरुद्वारे के केयरटेकर चरणजीत सिंह का कहना है कि निज्जर की हत्या के बाद वो उसके बॉडी के पास ही थे. उसी दौरान एक व्यक्ति ने वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसे वो पहचानते भी नहीं थे. उसके कुछ मिनट बाद ही सोशल मीडिया पर यह खबर आ चुकी थी कि निज्जर की हत्या हो गई है.
20 सितंबर 2023, सुबह 9 बजकर 30 मिनट
हैजल्टन ड्राइव रोड, विनिपैग, कनाडा में देवेंद्र बंबीहा गैंग से जुड़ा खालिस्तानी गैंगस्टर सुखदूल सिंह उर्फ सुक्खा दुनुके कॉर्नर हाउस के फ्लैट नंबर 203 में दुबका हुआ था. लेकिन इसी बीच हमलावरों ने उसके घर पर धावा बोला और देखते ही देखते सुक्खा दुनुके के जिस्म में 9 गोलियां उतार दीं. और इसी के साथ भारत के खिलाफ साजिशें रचने वाले इस गैंगस्टर का चैप्टर हमेशा-हमेशा के लिए क्लोज़ हो गया था. दुकुने एक और खालिस्तानी गैंगस्टर अर्श डाला का राइट हैंड माना जाता था. वही अर्श डाला जिसने महज दो रोज पहले पंजाब के मोगा में कांगेस नेता बलजिंदर सिंह बल्ली का कनाडा से बैठे-बैठे कत्ल करवा दिया था. लेकिन इससे पहले कि डाला बल्ली की मौत का जश्न मना पाता, उसके दुश्मनों ने उसके खासमखास और राइट हैंड माने जाने वाले गैंगस्टर दुकुने को मार कर अपना हिसाब-किताब चुकता कर दिया.
घाटी में हुई थी शाहिद लतीफ की गिरफ्तारी
शाहिद लतीफ का आपराधिक इतिहास काफी पुराना है. उसने साल 1993 में पीओके के ज़रिए जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की थी. लेकिन साल 1994 में उसे घाटी में आतंक फैलाने के इल्जाम में गिरफ्तार कर लिया गया था. वह आतंकी मसूद अज़हर के साथ 16 साल तक कोट बलवल, जम्मू की जेल में बंद रहा और लेकिन साल 2010 में उसे भारत से रिहा कर दिया गया था. इसके बाद वह वापस पाकिस्तान चला गया था.
ऑपरेशन कोकरनाग में शहीद हुए थे 4 फौजी
सितंबर 2023 में अनंतनाग के कोकरनाग के जंगलों में एक मुठभेड़ हुई थी. जिसमें आर्मी के कर्नल और मेजर सहित 4 लोग शहीद हुए थे. उसी दौरान 2 आतंकी भी मारे गए थे. ऑपरेशन कोकरनाग लगभग 6 दिनों तक चला था. उस हमले का मास्टरमाइंड भी शाहिद लतीफ ही था. एनआईए की जांच में कहा गया है कि भारत से निकाले जाने के बाद शाहिद लतीफ वापस पाकिस्तान की जिहादी फैक्ट्री में चला गया.
शाहिद ने ही रची थी पठानकोट हमले की साजिश
असल में शाहिद लतीफ पाकिस्तान के गुजरांवाला का एक आतंकवादी था. शाहिद उन चार आतंकवादियों का दूसरा महत्वपूर्ण आका था, जो पठानकोट वायु सेना स्टेशन में घुसे थे. शाहिद लतीफ को जैश के लॉन्चिंग कमांडर के तौर पर जाना जाता था. उसने चार जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादियों को प्रेरित कर पठानकोट भेजा था और पाकिस्तान में बैठकर आतंकी हमले से पहले और उसके दौरान हमलावरों के साथ कॉआर्डिनेट भी किया था.
आतंकी हमलों की योजना बनाता था शाहिद
आतंकी शाहिद लतीफ सियालकोट में जैश-ए-मोहम्मद का लॉन्चिंग कमांडर था. उसी ने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों को भारत में लॉन्च करने की निगरानी की और वो खुद भी इसमें शामिल था. भारत में आतंकवादी हमलों की योजना बनाना, आतंकियों को सुविधा प्रदान करना और प्लान को अंजांम तक पहुंचना उसी का काम था.
आतंकियों को कमांड दे रहा था लतीफ
2 जनवरी 2016 को पठानकोर्ट के वायु सेना स्टेशन में जो हमला हुआ था, उस सिलसिले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने केस दर्ज कर लिया था. यह मामला 4 जनवरी 2016 को शाहिद लतीफ के खिलाफ दर्ज कराया गया था. हमले के दिन जैश के चार आतंकियों ने पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन में घुसकर फायरिंग कर दी थी. इसमें 5 जवान शहीद हो गए थे. सुरक्षाबलों ने चारों आतंकियों को भी मार गिराया था. लतीफ इन आतंकियों को कमांड दे रहा था.
कंधार प्लेन हाईजैक
यही नहीं, कंधार प्लेन हाईजैक मामले में भी शाहिद लतीफ एक वॉन्टेड मुजरिम है. उसने अपने साथियों के साथ मिलकर 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण कर लिया था.
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