सुप्रीम कोर्ट में एक विवाहिता ने अपने 26 हफ्ते के अनचाहे गर्भ को गिराने की इजाजत मांगी जिस पर कोर्ट ने आदेश दिया कि गर्भपात नहीं बच्चे का जन्म होगा. चीफ जस्टिस की अगुआई वाली पीठ ने कहा कि एम्स के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक भ्रूण स्वस्थ है.
माता पिता की इच्छा के मुताबिक बच्चे को जन्म के बाद उसे गोद दिया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एम्स मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक भ्रूण में कोई असमान्य लक्षण नहीं है. वो स्वस्थ विकास कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तय समय पर एम्स डिलिवरी कराएगा. हम बच्चे के दिल की धड़कन रोकने का आदेश नहीं दे सकते. जन्म देने के बाद माता पिता की रजामंदी से शिशु को गोद दिया जा सकता है.
पिछले दिनों गर्भपात कराने की इच्छुक मां के अधिकार और दूसरी ओर जन्म लेने को इच्छुक भ्रूण यानी अजन्मे शिशु के अधिकारों की बहस में सुप्रीम कोर्ट की दो महिला जजों के बीच भी वैचारिक मतभेद दिखा. जस्टिस हिमा कोहली मेडिकल रिपोर्ट और अजन्मे बच्चे के जीने के अधिकार के समर्थन में बच्चे को इस दुनिया में लाने के हक में दिखीं तो वहीं जस्टिस नागरत्ना ने महिला की इच्छा के समर्थन में गर्भपात कराने के हक में अपना मंतव्य सुनाया.
लिहाजा मत भिन्नता की वजह से ये मामला चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पास भेजा गया. अब सुप्रीम कोर्ट ने अनचाहे गर्भ को गिराने की याचिका खारिज कर दी.
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