जापान ने एक बड़ा स्पेस मिशन लॉन्च किया है. जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी ने एक्स-रे टेलीस्कोप स्पेस में भेजा है. इसकी मदद से ब्रह्माण्ड के ऑरिजिन का पता लगाने की कोशिश है. इनके अलावा यह टेलीस्कोप भविष्य के मिशनों के लिए छोटे मून लैंडर का भी पता लगाएंगे.
मिशन को HII-A रॉकेट की मदद से लॉन्च किया गया है. उड़ान के 13 मिनट बाद इसे पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया. मिशन को एक्स-रे इमेजिंग, स्पेक्ट्रोस्कोपी मिशन या XRISM नाम दिया गया है.
एक्स-रे टेलीस्कोप की मदद से गैलेक्सीज के बीच की गति और उसकी संरचना का पता लगाया जा सकेगा. टेलीस्कोप इस बात की जानकारी जुटाएगा कि अंतरिक्ष में आखिर सूरज, चांद, सितारे का निर्माण कैसे हुआ? इससे यह पता लग पाएगा कि आखिर ब्रह्माण्ड का निर्माण कैसे हुआ? ब्रह्माण्ड को लेकर यह रहस्य बना हुआ है और दुनियाभर के वैज्ञानिक और स्पेस एजेंसी इसके ऑरिजिन का पता लगाने में जुटे हैं.
तरंगों की देखेगा ताकत, एस्टेरॉइड, मेटेरॉइड का बताएगा तापमान
जापानी स्पेस एजेंसी JAXA ने कहा कि टेलीस्कोप अलग-अलग वेवलेंथ की ताकत, अंतरिक्ष में एस्टेरॉइड, मेटेरॉइड जैसे ऑब्जेक्ट्स के तापमान, उनके आकार और चमक को देखेगा. राइस यूनिवर्सिटी में राइस स्पेस इंस्टीट्यूट के निदेशक डेविड अलेक्जेंडर का मानना है कि यह मिशन गर्म प्लाज्मा या ब्रह्मांड के अधिकांश हिस्से को बनाने वाले अत्यधिक गर्म पदार्थों के बारे में जानकारी जुटाएगा. प्लाज़्मा का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जिसमें घावों को ठीक करना, कंप्यूटर चिप्स बनाना और पर्यावरण को साफ करना शामिल है.
अगले साल चांद पर करेगा लैंड
अलेक्जेंडर ने कहा कि अंतरिक्ष और समय में इस गर्म प्लाज्मा के फैलने के साथ-साथ इसकी गति को समझने से ब्लैक होल, ब्रह्मांड में रासायनिक तत्वों के विकास और गैलेक्टिक क्लस्टर के गठन जैसी विभिन्न घटनाओं पर नजर रखेगा. जापानी रॉकेट में स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून, या एसएलआईएम, एक हल्का मून लैंडर भी है. स्मार्ट लैंडर लॉन्च के बाद तीन या चार महीने तक चंद्रमा की कक्षा में नहीं जाएगा और अगले साल की शुरुआत में लैंडिंग की कोशिश की जाएगी.
जापान ने एक बड़ा स्पेस मिशन लॉन्च किया है. जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी ने एक्स-रे टेलीस्कोप स्पेस में भेजा है. इसकी मदद से ब्रह्माण्ड के ऑरिजिन का पता लगाने की कोशिश है. इनके अलावा यह टेलीस्कोप भविष्य के मिशनों के लिए छोटे मून लैंडर का भी पता लगाएंगे.
एक्स-रे टेलीस्कोप की मदद से गैलेक्सीज के बीच की गति और उसकी संरचना का पता लगाया जा सकेगा. टेलीस्कोप इस बात की जानकारी जुटाएगा कि अंतरिक्ष में आखिर सूरज, चांद, सितारे का निर्माण कैसे हुआ? इससे यह पता लग पाएगा कि आखिर ब्रह्माण्ड का निर्माण कैसे हुआ? ब्रह्माण्ड को लेकर यह रहस्य बना हुआ है और दुनियाभर के वैज्ञानिक और स्पेस एजेंसी इसके ऑरिजिन का पता लगाने में जुटे हैं.
तरंगों की देखेगा ताकत, एस्टेरॉइड, मेटेरॉइड का बताएगा तापमान
जापानी स्पेस एजेंसी JAXA ने कहा कि टेलीस्कोप अलग-अलग वेवलेंथ की ताकत, अंतरिक्ष में एस्टेरॉइड, मेटेरॉइड जैसे ऑब्जेक्ट्स के तापमान, उनके आकार और चमक को देखेगा. राइस यूनिवर्सिटी में राइस स्पेस इंस्टीट्यूट के निदेशक डेविड अलेक्जेंडर का मानना है कि यह मिशन गर्म प्लाज्मा या ब्रह्मांड के अधिकांश हिस्से को बनाने वाले अत्यधिक गर्म पदार्थों के बारे में जानकारी जुटाएगा. प्लाज़्मा का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जिसमें घावों को ठीक करना, कंप्यूटर चिप्स बनाना और पर्यावरण को साफ करना शामिल है.
अगले साल चांद पर करेगा लैंड
अलेक्जेंडर ने कहा कि अंतरिक्ष और समय में इस गर्म प्लाज्मा के फैलने के साथ-साथ इसकी गति को समझने से ब्लैक होल, ब्रह्मांड में रासायनिक तत्वों के विकास और गैलेक्टिक क्लस्टर के गठन जैसी विभिन्न घटनाओं पर नजर रखेगा. जापानी रॉकेट में स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून, या एसएलआईएम, एक हल्का मून लैंडर भी है. स्मार्ट लैंडर लॉन्च के बाद तीन या चार महीने तक चंद्रमा की कक्षा में नहीं जाएगा और अगले साल की शुरुआत में लैंडिंग की कोशिश की जाएगी.
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