न्यूज ऑफ इंडिया (एजेन्सी)
लखनऊ : 17 सितम्बर, 2023
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज भगवान विश्वकर्मा की जयन्ती है। यह दिन हमारे परम्परागत कारीगरों और हस्तशिल्पियों को समर्पित है। आज के दिन उन्हें लाखों विश्वकर्मा साथियों से जुड़ने का अवसर मिला है। आज भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद से ‘पी0एम0 विश्वकर्मा’ योजना का शुभारम्भ हो रहा है। हाथ के हुनर तथा औजारों से परम्परागत रूप से काम करने वाले लाखों परिवारों के लिए यह योजना उम्मीद की नई किरण बनकर आयी है। आज ही देश को ‘यशोभूमि’ इण्टरनेशनल कन्वेन्शन सेण्टर भी मिल रहा है। इसके निर्माण में श्रमिकों तथा विश्वकर्मा भाईयों का तप व तपस्या शामिल है। यह कन्वेन्शन सेण्टर हस्तशिल्पियों तथा कारीगरों के सामान को दुनिया तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम बनने वाला है। यह भारत के लोकल प्रोडक्ट को ग्लोबल बनाने में बड़ी भूमिका निभायेगा।
प्रधानमंत्री जी आज नई दिल्ली में ‘पी0एम0 विश्वकर्मा’ योजना का शुभारम्भ करने के उपरान्त इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। योजना के शुभारम्भ के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली के द्वारका में ‘यशोभूमि इण्टरनेशनल कन्वेन्शन सेण्टर’ का उद्घाटन किया। उन्होंने ‘पी0एम0 विश्वकर्मा’ योजना के प्रतीक चिन्ह, पोर्टल तथा टैग लाइन ‘सम्मान, सामर्थ्य, समृद्धि’ को लॉन्च किया। उन्होंने डाक विभाग द्वारा बनाये गये ‘पी0एम0 विश्वकर्मा’ योजना में शामिल 18 व्यवसायों पर आधारित 18 कस्टमाइज्ड डाक टिकटों का डिजिटल लोकार्पण किया।
प्रधानमंत्री ने ‘पी0एम0 विश्वकर्मा’ योजना में शामिल 18 व्यवसायों के औजारों पर आधारित टूल किट की बुकलेट रिलीज की। कार्यक्रम में ‘पी0एम0 विश्वकर्मा’ योजना पर आधारित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर देश के 70 से अधिक स्थानों पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो समस्त सृष्टि की रचना या उससे जुड़े निर्माण कार्य करता है, उसे विश्वकर्मा कहते हैं। हजारों वर्षां से भारत की समृद्धि के मूल में विश्वकर्मा साथी रहे हैं। समाज में विश्वकर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका है। विश्वकर्मा साथियों के हुनर के बिना रोजमर्रा के जीवन की कल्पना मुश्किल है। आज समय की मांग है कि इन विश्वकर्मा साथियों को पहचान मिले तथा उन्हें प्रोत्साहित किया जाए। हमारी सरकार उनके सम्मान, सामर्थ्य और समृद्धि बढ़ाने के लिए सहयोगी बनकर आयी है। अभी ‘पी0एम0 विश्वकर्मा’ योजना में 18 अलग-अलग काम करने वाले लोगों पर फोकस किया गया है। इस योजना पर सरकार 13 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्वकर्मा साथी अपने हाथ के हुनर से जो बारीक कार्य कर रहे हैं, दुनिया में उसकी मांग बढ़ रही है। आज कल अनेक बड़ी कम्पनियां अपने कार्य छोटी कम्पनियों को सौंप रही हैं। हमारा प्रयास है कि हमारे विश्वकर्मा साथियों के पास आउटसोर्सिंग का कार्य आये। सरकार इसके लिए आपको तैयार करने की ओर आगे बढ़ रही है। सरकार आपकों हर तरह की क्षमता से युक्त करना चाहती है। प्रशिक्षण के दौरान आपको प्रतिदिन 500 रुपये भत्ता दिया जाएगा। आधुनिक टूल किट के लिए 15 हजार रुपये का टूल किट वाउचर भी दिया जाएगा। आपके द्वारा बनाये गये सामान की ब्राण्डिंग, पैकेजिंग तथा मार्केटिंग में सरकार पूरी मदद करेगी। प्रधानमंत्री ने अपेक्षा की कि सभी विश्वकर्मा साथी अपनी टूल किट जी0एस0टी0 में पंजीकृत दुकान से ही खरीदें तथा ये टूल किट मेड इन इण्डिया ही होने चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अपना कारोबार बढ़ाने के लिए विश्वकर्मा साथियों की शुरुआती पूंजी की दिक्कतों का भी सरकार ने ध्यान रखा है। विश्वकर्मा साथियों को बिना गारण्टी के 03 लाख रुपये तक का ऋण मिलेगा। इस ऋण का ब्याज बहुत कम रखा गया है। पहली बार में आपको 01 लाख रुपये का ऋण मिलेगा। इसे चुका देने पर 02 लाख रुपये का ऋण और उपलब्ध होगा। आज देश में वंचितों को वरीयता देने वाली सरकार है। हमारी सरकार ‘एक जनपद एक उत्पाद’ योजना के माध्यम से प्रत्येक जिले के विशेष उत्पादों को बढ़ावा दे रही है। रेहड़ी, पटरी तथा ठेले वाले दुकानदारों के लिए पी0एम0 स्वनिधि के अन्तर्गत मदद की गयी है। आजादी के बाद पहली बार घुमन्तु और बंजारा समुदाय की मदद की जा रही है। हमारी सरकार ने दिव्यांगजनां के लिए विशेष सुविधाएं विकसित की हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘वोकल फॉर लोकल’ पूरे देश का दायित्व है। देश के कारीगरों द्वारा बनाई गई वस्तुएं दुनिया के बाजार में पहुंचनी चाहिये। इसके लिये ‘वोकल फॉर लोकल’ से ‘लोकल टू ग्लोबल’ की ओर जाना होगा। जी-20 क्राफ्ट बाजार में दुनिया ने टेक्निक व ट्रेडिशन का कमाल देखा है। जी-20 के मेहमानों को विश्वकर्मा साथियों द्वारा बनाए गए उपहार दिये गये। प्रधानमंत्री ने आने वाले पर्वों और त्योहारों में देशवासियों से लोकल उत्पाद खरीदने की अपील की। आज का विकसित होता भारत हर क्षेत्र में नई पहचान बना रहा है। ‘भारत मण्डपम’ की चर्चा पूरी दुनिया में हुई। ‘यशोभूमि’ इसी परम्परा को आगे बढ़ा रहा है। यह भारत के आर्थिक सामर्थ्य को प्रदर्शित करने का केन्द्र है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बदलते समय के साथ विकास तथा रोजगार के नये सेक्टर भी विकसित होते हैं। आज दुनिया में कॉन्फ्रेंस टूरिज्म का एक नया सेक्टर विकसित हो रहा है। इस क्षेत्र में भारत के लिए अपार सम्भावनाएं हैं। यह दुनिया में 25 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की इण्डस्ट्री है। प्रतिवर्ष दुनिया में 32 हजार से ज्यादा प्रदर्शनी लगती हैं। यह बहुत बड़ा बाजार है। वर्तमान में इस इण्डस्ट्री में भारत की हिस्सेदारी मात्र 01 प्रतिशत है। आज का नया भारत खुद को कॉन्फ्रेंस टूरिज्म के लिए भी तैयार कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कॉन्फ्रेंस टूरिज्म वहीं होगा, जहां इवेन्ट तथा प्रदर्शनी के लिए जरूरी संसाधन होंगे। ‘भारत मण्डपम’ और ‘यशोभूमि’ ऐसे ही साधन हैं, जो दिल्ली को कॉन्फ्रेंस टूरिज्म का हब बनाने जा रहे हैं। ‘यशोभूमि’ से लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा। दुनिया भर से मीटिंग, कॉन्फ्रेंस तथा प्रदर्शनी के लिए लोग यहां आयेंगे। प्रधानमंत्री जी ने ‘यशोभूमि’ में आने के लिए दुनिया भर के लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि देश के हर क्षेत्र की फिल्म इण्डस्ट्री अपने अवॉर्ड आयोजन यहां करें। ‘भारत मण्डपम’ तथा ‘यशोभूमि’ देश के आतिथ्य, श्रेष्ठता और भव्यता के प्रतीक बनेंगे। इनमें भारतीय संस्कृति और अत्याधुनिक सुविधाओं दोनों का संगम है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब रुकने वाला नहीं है। हमें चलते रहना है, नये लक्ष्य बनाते रहना है और उन लक्ष्यों को पाकर ही चैन से बैठना है। हमारे परिश्रम की पराकाष्ठा देश को वर्ष 2047 में विकसित भारत के रूप में खड़ा करेगी। यह समय हम सभी के लिए जुट जाने का है।
लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज सृष्टि के शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की जयन्ती तथा नए भारत के शिल्पी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन है। यह महज संयोग नहीं है, बल्कि देवयोग से एक ही तिथि दोनों के साथ जुड़ती है। मुख्यमंत्री जी ने प्रदेशवासियों को भगवान विश्वकर्मा जयंती की बधाई दी तथा प्रधानमंत्री को उनके पावन जन्म दिवस की बधाई दी। उन्होंने प्रधानमंत्री जी के स्वस्थ और दीर्घ जीवन की कामना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत 09 वर्षों में हमनें बदलते भारत को देखा है। भारत अपने 140 करोड़ नागरिकों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतीक बनकर दुनिया की महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। आज भारत दुनिया व सम्पूर्ण मानवता के लिए आशा की नई किरण है। हाल ही में सम्पन्न जी-20 समिट के माध्यम से वैश्विक स्तर पर भारत की ताकत का एहसास दुनिया ने किया है। प्रधानमंत्री के यशस्वी नेतृत्व का लोहा आज दुनिया मान रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम सभी प्रधानमंत्री के पावन जन्मदिन पर अपनी शुभेच्छा तथा शुभकामनाएं उनके प्रति व्यक्त कर रहे हैं। प्रधानमंत्री आज भारत के हस्तशिल्पियों और कारीगरों के लिए एक नई योजना ‘पी0एम0 विश्वकर्मा’ का शुभारम्भ कर रहे हैं। ‘पी0एम0 विश्वकर्मा’ योजना के माध्यम से हस्तशिल्पियों और कारीगरों को प्रोत्साहन देने तथा उनके मनोबल को बढ़ाकर आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को नई ऊंचाई तक पहुंचाने का कार्य किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि परम्परागत हस्तशिल्पियों और कारीगरों को नई तकनीक और नई डिजाइन के साथ जोड़ने के लिए आज ’पी0एम0 विश्वकर्मा’ योजना का शुभारम्भ होने जा रहा है। ‘पी0एम0 विश्वकर्मा’ योजना में 18 वर्ष से ऊपर का कोई भी ऐसा हस्तशिल्पी पात्र होगा, जो परम्परागत रूप से इस कार्य से जुड़ा हुआ है। उसे पांच प्रतिशत ब्याज दर पर लोन की सुविधा से आच्छादित किया जाएगा। पहले चरण में 01 लाख रुपये तथा दूसरे चरण में 02 लाख रुपये का लोन उपलब्ध कराया जाएगा। उस परिवार का कोई सदस्य सरकारी सेवा में नहीं होना चाहिए। यह एक बड़ी स्कीम है। ट्रेनिंग के दौरान प्रतिदिन 500 रुपये का मानदेय दिया जाएगा। इसके उपरांत 15 हजार रुपये की टूल किट हस्तशिल्पी और कारीगर को उपलब्ध कराने की कार्रवाई की जाएगी।
प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2020 में ‘वोकल फॉर लोकल’ का मंत्र दिया था। इस मंत्र को प्रोत्साहित करने के लिए तथा उसे एक नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए यह एक अभिनव प्रयास है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री जी को जन्म दिवस की बधाई देते हुए आशा व्यक्त की कि उनका यशस्वी मार्गदर्शन तथा नेतृत्व देश को प्राप्त होता रहेगा और भारत दुनिया की महाशक्ति के रूप में उभर कर सामने आएगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारत एक समय सोने की चिड़िया था। एक देश के रूप में हम आत्मनिर्भर थे। हम अपने साथ ही, दुनिया की आवश्यकताओं को भी पूरा करते थे। इसका महत्वपूर्ण कारण हमारे कारीगर व शिल्पकार थे। अनेक क्षेत्रों में कारीगरों ने अपनी योग्यता तथा क्षमता से हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ ही, दुनिया की आवश्यकताओं को भी पूरा किया था। आज के कारीगरों, शिल्पकारों तथा कामगारों के पूर्वजों ने ही भारत को सोने की चिड़िया बनाया था, लेकिन आजादी के बाद उनके काम को महत्व नहीं दिया गया। जो भारत अपने हस्तशिल्पियों तथा कारीगरों की वजह से सम्पन्न था, उसी देश में उन्हें भारत का अतीत कहा जाने लगा था।
रक्षा मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हमारी सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि भारत की इस महान विरासत व परम्परा को समृद्ध बनाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किये जाएंगे। बड़े उद्योगों का अपना महत्व है। वह देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री का यह मानना है कि हमारे लघु उद्योगों पर ध्यान दिये बिना देश आगे नहीं बढ़ सकता। हमारी सरकार ने दोनों के विकास पर ध्यान दिया है। अब भारत के हस्तशिल्पियों व कारीगरों के कार्य को भारत के अतीत के रूप में नहीं, बल्कि भारत के भविष्य के रूप में देखा जाएगा।
रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार, जनता की सरकार है। हम जनता पर और जनता हम पर विश्वास करती है। वर्ष 2014 के बाद सरकार ने सभी को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा। जनधन योजना के माध्यम से गरीबों के खाते खुलवाये गये। इसका लाभ गरीबों को मिला। आज 05 करोड़ से अधिक जनधन खातों में 02 लाख करोड़ रुपये से अधिक जमा हो गये हैं। इन खातों के माध्यम से विभिन्न योजनाओं की सब्सिडी तथा मनरेगा की मजदूरी दी जा रही है। ‘पी0एम0 विश्वकर्मा’ योजना के अन्तर्गत सहायता भी इन खातों के माध्यम से मिलेगी। ‘पी0एम0 विश्वकर्मा’ योजना के माध्यम से सरकार ने हस्तशिल्पियों तथा कारीगरों को पहचान पत्र देने की पहल की है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि बाजार में अपना सामान बेचने के लिए दो बातों का ध्यान रखना होगा। पहला, लोग किस प्रकार का सामान खरीदना पसन्द कर रहे हैं। दूसरा, कम से कम लागत में अच्छी क्वॉलिटी का सामान कैसे बनायें, जिससे आपकों अच्छा मुनाफा मिले। इसके लिए ‘पी0एम0 विश्वकर्मा’ योजना के अन्तर्गत आपके लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था की गयी है। इसके माध्यम से आपको नई तकनीक से भी परिचित कराया जाएगा। सभी हस्तशिल्पी तथा कारीगर नये जमाने की जरूरतों को सीखें और उसके अनुरूप कार्य करें। पूरे प्रशिक्षण के दौरान प्रतिदिन के हिसाब से 500 रुपये का भुगतान किया जाएगा। जो कारीगर व कामगार अपने काम का विस्तार करना चाहें, या नया काम शुरू करना चाहें, उन्हें बैंकों के माध्यम से बहुत कम ब्याज पर लोन उपलब्ध कराया जाएगा।
रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘मेक इन इण्डिया’ कार्यक्रम के माध्यम से प्रयास किया जा रहा है कि देश की जरूरी चीजें भारत मे ही बनें। रक्षा के क्षेत्र में वर्ष 2014 से पूर्व, भारत से 01 हजार करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट होता था, जो आज 16 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का हो गया है। शीघ्र ही यह आंकड़ा 25 हजार करोड़ रुपये पहुंच जाएगा। भारत का घरेलू रक्षा उत्पादन 01 लाख करोड़ रुपये से अधिक का हो गया है। हम सेना की जरूरतों का सामान देश में ही बना रहे हैं और अनेक देशों को निर्यात भी कर रहे हैं।
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