बरसात के महीने में फ्लू (flu)का कहर छा जाता है। इस दौरान संक्रमण के चलते कई लोग फ्लू के शिकार बनकर बुखार की जद में आ जाते हैं। लेकिन कई बार जिसे हम नॉर्मल फ्लू समझकर नजरंदाज कर देते हैं।
वो किसी बड़े खतरे का संकेत भी हो सकता है। ऐसा ही एक खतरा इन दिनों निपाह वायरस (nipah virus) का चल रहा है। दक्षिण भारत में निपाह वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हाल ही में केरल में निपाह वायरस 2 लोगों की मौत की खबर सामने आई है। वहीं केरल के कोझिकोड जिले में और 2 लोग निपाह वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। ऐसे में केरल सरकार ने अलर्ट जारी कर दिया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि केरल के कोझिकोड जिले में दो लोगों की मौत निपाह वायरस के कारण हुई है। मांडविया ने कहा कि स्थिति का जायजा लेने और निपाह वायरस संक्रमण से निपटने में राज्य सरकार की सहायता के लिए विशेषज्ञों की एक केंद्रीय टीम केरल भेजी गई है। दक्षिण भारत में निपाह वायरस के मामलों में तेजी देखी जा रही है। ऐसे में आपका ये जानना जरूरी है कि खतरनाक निपाह वायरस के लक्षण (nipah virus symptoms)क्या हैं ताकि समय रहते इसका बचाव और इलाज कराकर बचा जा सके।
जानिए क्या है निपाह वायरस
निपाह वायरस के बारे में कहा जा रहा है कि ये जानवरों के जरिए फैलता है। इंसानों में इसके फैलने से मौत तक हो जाती है। इसे जूटोनिक वायरस भी कहा जाता है। घोड़े, कुत्ते, सूअर, बकरी और बिल्ली जैसे जानवरों के जरिए निपाह वायरस इंसानों को तेजी से अपना शिकार बना रहा है। इसके कई लक्षण बिल्कुल आम वायरल बुखार की तरह ही होते हैं। यही वजह है कि लोग इसको लेकर लापरवाह हो जाते हैं। स्थिति बिगड़ने पर जानलेवा बन जाती है। जानवरों या उनकी लार या दूसरे शरीर के तरल के संपर्क में आने पर इसके फैलने का बहुत खतरा होता है। यही नहीं कई बार इनके पक्षियों के जूठे फलों को गलती से खा लेने से भी संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है।
निपाह वायरस के लक्षण
दक्षिणी भारत में निपाह वायरस का शुरुआती प्रकोप पहली बार मई 2018 में कोझिकोड में और फिर 2021 में पहचाना गया था। निपाह वायरस के संपर्क में आने पर किसी इंसान में 5 से लेकर 15 दिनों तक इसके लक्षण दिखने लगते हैं। सबसे पहले बुखार और सिरदर्द की परेशानी होती है। फिर खांसी, बलगम औऱ सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। निपाह वायरस जब शरीर पर अपना असर दिखाने लगता है तो बुखार उतरने का नाम नहीं लेता है। गला खराब हो जाता है। मरीज को उल्टी और दस्त की शिकायत हो सकती है। मरीज को बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होती है। इसके साथ उसके मांसपेशियों में दर्द बना रहता है।
निपाह वायरस से बचाव
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, निपाह वायरस से बचने के लिए किसी भी तरह की दवा-वैक्सीन अभी मार्केट में मौजूद नहीं है। निपाह वायरस से बचने के लिए जैसे ही शुरुआती लक्षण दिखें तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इस वायरस को रोकने का एक मात्र तरीका जागरूकता फैलाना है। फलों को अच्छी तरह धोकर सेवन करना चाहिए।
बरसात के महीने में फ्लू (flu)का कहर छा जाता है। इस दौरान संक्रमण के चलते कई लोग फ्लू के शिकार बनकर बुखार की जद में आ जाते हैं। लेकिन कई बार जिसे हम नॉर्मल फ्लू समझकर नजरंदाज कर देते हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि केरल के कोझिकोड जिले में दो लोगों की मौत निपाह वायरस के कारण हुई है। मांडविया ने कहा कि स्थिति का जायजा लेने और निपाह वायरस संक्रमण से निपटने में राज्य सरकार की सहायता के लिए विशेषज्ञों की एक केंद्रीय टीम केरल भेजी गई है। दक्षिण भारत में निपाह वायरस के मामलों में तेजी देखी जा रही है। ऐसे में आपका ये जानना जरूरी है कि खतरनाक निपाह वायरस के लक्षण (nipah virus symptoms)क्या हैं ताकि समय रहते इसका बचाव और इलाज कराकर बचा जा सके।
जानिए क्या है निपाह वायरस
निपाह वायरस के बारे में कहा जा रहा है कि ये जानवरों के जरिए फैलता है। इंसानों में इसके फैलने से मौत तक हो जाती है। इसे जूटोनिक वायरस भी कहा जाता है। घोड़े, कुत्ते, सूअर, बकरी और बिल्ली जैसे जानवरों के जरिए निपाह वायरस इंसानों को तेजी से अपना शिकार बना रहा है। इसके कई लक्षण बिल्कुल आम वायरल बुखार की तरह ही होते हैं। यही वजह है कि लोग इसको लेकर लापरवाह हो जाते हैं। स्थिति बिगड़ने पर जानलेवा बन जाती है। जानवरों या उनकी लार या दूसरे शरीर के तरल के संपर्क में आने पर इसके फैलने का बहुत खतरा होता है। यही नहीं कई बार इनके पक्षियों के जूठे फलों को गलती से खा लेने से भी संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है।
निपाह वायरस के लक्षण
दक्षिणी भारत में निपाह वायरस का शुरुआती प्रकोप पहली बार मई 2018 में कोझिकोड में और फिर 2021 में पहचाना गया था। निपाह वायरस के संपर्क में आने पर किसी इंसान में 5 से लेकर 15 दिनों तक इसके लक्षण दिखने लगते हैं। सबसे पहले बुखार और सिरदर्द की परेशानी होती है। फिर खांसी, बलगम औऱ सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। निपाह वायरस जब शरीर पर अपना असर दिखाने लगता है तो बुखार उतरने का नाम नहीं लेता है। गला खराब हो जाता है। मरीज को उल्टी और दस्त की शिकायत हो सकती है। मरीज को बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होती है। इसके साथ उसके मांसपेशियों में दर्द बना रहता है।
निपाह वायरस से बचाव
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, निपाह वायरस से बचने के लिए किसी भी तरह की दवा-वैक्सीन अभी मार्केट में मौजूद नहीं है। निपाह वायरस से बचने के लिए जैसे ही शुरुआती लक्षण दिखें तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इस वायरस को रोकने का एक मात्र तरीका जागरूकता फैलाना है। फलों को अच्छी तरह धोकर सेवन करना चाहिए।
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