नई दिल्ली में जारी G20 समिट के पहले दिन ही साझा घोषणा पत्र पर सहमति बन गई है। शनिवार को दूसरे सेशन की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने बतौर अध्यक्ष यह जानकारी दी। इसके बाद उन्होंने सभी सदस्य देशों की सहमति से नई दिल्ली डिक्लेरेशन पारित कर दिया।
डिक्लेरेशन पास होने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि सभी देशों ने नई दिल्ली घोषणा पत्र मंजूर किया है। उन्होंने कहा- सभी लीडर्स ने माना है कि G20 राजनीतिक मुद्दों को डिस्कस करने का प्लेटफॉर्म नहीं है। सभी ने अर्थव्यवस्था से जुड़े अहम मुद्दों को डिस्कस किया है।
इस घोषणा पत्र में यूक्रेन जंग का 4 बार जिक्र हुआ है। वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हमें चुनौतीपूर्ण समय में अध्यक्षता मिली। G20 का साझा घोषणा पत्र 37 पेज का है। इसमें कुल 83 पैराग्राफ हैं। इसे ही नई दिल्ली डिक्लेरेशन कहा गया है।
इसमें शामिल मुख्य प्रस्ताव नीचे देख सकते हैं...
- सभी देश सस्टेनेबल डेवलेंपमेंट गोल पर काम करेंगे। भारत की पहल पर वन फ्यूचर एलायंस बनाया जाएगा।
- सभी देशों को UN चार्टर के नियमों के मुताबिक काम करना चाहिए।
- बायो फ्यूल एलायंस बनाया जाएगा। इसके फाउंडिंग मेंबर भारत, अमेरिका और ब्राजील होंगे।
- एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य पर जोर दिया जाएगा।
- मल्टीलेट्रल डेवलेपमेंट बैंको को मजबूती दी जाएगी। उन्हें बेहतर, बड़ा और ज्यादा कारगर बनाया जाएगा।
- ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं पर जोर दिया जाएगा।
- क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक ग्लोबल पॉलिसी बनाने को लेकर बातचीत की जाएगी।
- कर्ज को लेकर बेहतर व्यवस्था बनाने को लेकर भारत ने कॉमन फ्रेमवर्क बनवाने की बात पर जोर दिया है।
- दुनिया में तेजी से विकास करने वाले शहरों को फंड किया जाएगा।
- ग्रीन और लॉ कार्बन एनर्जी टेक्नोलॉजी पर काम किया जाएगा।
- सभी देशों ने आतंकवाद के हर रूप की आलोचना की है। आतंकवाद का 9 बार जिक्र किया गया था।
PM मोदी ने ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस लॉन्च किया। इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना सहित ब्राजील, अर्जेंटीना और इटली के राष्ट्राध्यक्ष भी मौजूद रहे। इसके बाद PM मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत के लिए कनेक्टिविटी को बढ़ाना प्राथमिकता है।
PM मोदी के संबोधन की अहम बातें...
- आज ऐतिहासिक समझौता किया गया। भारत ने कनेक्टिविटी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। हम इसे क्षेत्रीय सीमाओं में नहीं बांधते हैं।
- कनेक्टिविटी सभी देशों में विश्वास बढ़ाने का स्रोत है। इसमें सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय एकता का सम्मान होना जरूरी है।
- कनेक्टिविटी को बढ़ाना भारत की प्राथमिकता है। भारत में आधारभूत संरचनाओं में निवेश हो रहा है।
- हम आने वाली पीढ़ियों के विकास के बीज बो रहे हैं। मैं इस मौके पर सभी का धन्यवाद करता हूं।
- ग्लोबल साउथ के देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर गैप पर काम किया जा रहा है। मजबूत कनेक्टिविटी और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास का आधार है।
- भारत मिडिल ईस्ट यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर शुरू होगा।
समिट के पहले सेशन में भारत ने अफ्रीकन यूनियन को G20 का परमानेंट मेंबर बनाने का प्रस्ताव रखा था। बतौर अध्यक्ष सभी देशों की सहमति से PM मोदी ने जैसे ही इसे पारित किया, अफ्रीकन यूनियन के हेड अजाली असोमानी जाकर PM मोदी के गले लग गए। भारत के प्रस्ताव का चीन और यूरोपियन यूनियन ने भी समर्थन किया। यूनियन को मेंबरशिप मिलने से अफ्रीका के 55 देशों को फायदा होगा।PM ने अपने उद्घाटन भाषण में मोरक्को भूकंप में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा दुख की घड़ी में हम मोरक्को के लोगों के साथ हैं और उनकी हरसंभव मदद करेंगे। PM ने कहा कि कोरोना के बाद विश्व में विश्वास का संकट पैदा हो गया है। युद्ध ने इस संकट को और गहरा कर दिया है। जब हम कोरोना को हरा सकते हैं तो आपसी चर्चा से विश्वास के इस संकट को भी दूर सकते हैं। ये सभी के साथ मिलकर चलने का समय है।प्रधानमंत्री ने कहा- आज हम जिस जगह इकट्ठा हुए हैं, यहां कुछ किमी दूर ढाई हजार साल पुराना स्तंभ है। इस पर प्राकृत भाषा में लिखा है कि मानवता का कल्याण सदैव सुनिश्चित किया जाए। ढाई हजार साल पहले भारत की धरती ने यह संदेश पूरी दुनिया को दिया था। 21वीं सदी का यह समय पूरी दुनिया को नई दिशा देने वाला है।शनिवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत मंडपम पहुंचे विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को रिसीव किया। उन्होंने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को गले लगाया, तो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को भारत मंडपम में बने कोणार्क चक्र के बारे में जानकारी दी।ब्रिटिश PM ऋषि सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति का स्वागत केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने जय सियाराम के उद्घोष के साथ किया। साथ ही कहा- ‘हम आपका स्वागत भारत के दामाद के रूप में भी कर रहे हैं।’ इसके बाद सुनक ने कहा- मुझे गर्व है कि मैं हिंदू हूं।G20 की इस बेहद अहम समिट में कुछ अहम देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल नहीं हो रहे हैं। इनमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन शामिल हैं। इसके अलावा स्पेन के सांचेज भी इस समिट में शामिल नहीं हो सकेंगे। उन्हें कोरोना पॉजिटिव पाया गया है।
पिछले जी-20 समिट में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर सदस्य देशों के बीच सहमति नहीं बन पाई थी। तब रूस और चीन ने अपने आप काे युद्ध के बारे में की गई टिप्पणियों से अलग कर लिया था। एजेंसी के मुताबिक यही चुनौती फिलहाल भारत के सामने भी है। न्यूज एजेंसी कि रिपोर्ट्स के मुताबिक घोषणा पत्र में यूक्रेन जंग को लेकर अभी तक कोई आम सहमति नहीं बन पाई है वहीं, जी-20 के घोषणा पत्र में भारत के मुख्य मुद्दों को शामिल किया जा रहा है। कर्ज में फंसे देशों की मदद के लिए जी-20 देश 5% योगदान देने पर सहमति दे सकते हैं। जी-20 की पिछली बैठक में इन देशों ने इस बारे में 3900 से अधिक प्रतिबद्धताएं की थीं, उनमें से लगभग 67% ही पूरी हो पाईं। आर्थिक अपराधियों को एक दूसरे के सुपुर्द करने पर भी सहमति होती दिख रही है। कानूनी दस्तावेज को अंतिम रूप देंगे।
समिट शुरू होने से पहले G20 शेरपा अमिताभ कांत ने कहा- भारत को इस संगठन की अध्यक्षता चुनौतीपूर्ण समय में मिली है। दुनिया आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रही है। कांत ने आगे कहा- भारत ने महसूस किया कि हमें अपनी अध्यक्षता 'वसुधैव कुटुंबकम'- दुनिया एक परिवार है की थीम के साथ शुरू करनी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की अध्यक्षता समावेशी, निर्णायक और महत्वाकांक्षी होनी चाहिए। हम इस पर खरे उतरे हैं।
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