ये है सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कुछ समय पहले डिजिटल करेंसी, जिसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी या सीबीडीसी के नाम से भी जाना जाता है, की शुरुआत की थी. रिजर्व बैंक के ई-रुपी यानी डिजिटल रुपये से जुड़े प्रोजेक्ट से शुरुआत में जो बैंक साथ आए थे, उनमें एसबीआई भी शामिल है. सीबीडीसी उसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है, जिस पर क्रिप्टो करेंसीज काम करती हैं. हालांकि सीबीडीसी क्रिप्टो करेंसीज से बिलकुल अलग होती हैं, क्योंकि इन्हें उसी तरह से सॉवरेन गारंटी मिली होती है, जैसी पेपर करेंसी को मिली होती है.
यूजर्स को होगा ऐसे फायदा
एसबीआई ने एक स्टेटमेंट में बताया कि उसकी नई पहल ने यूपीआई को डिजिटल रुपये के साथ इंटरऑपरेबल बना दिया है. ग्राहक इस सर्विस का लाभ ईरुपी बाय एसबीआई ऐप के जरिए उठा सकते हैं. इस ऐप की मदद से यूजर कहीं भी दुकान पर या किसी भी जगह पर यूपीआई क्यूआर कोड स्कैन कर सीधे डिजिटल रुपये से भुगतान कर सकते हैं.
एसबीआई को इस बात का यकीन
एसबीआई का कहना है कि उसका यह कदम यूजर्स को सहूलियत और आसानी से उपलब्धता का फायदा दिलाएगा. बैंक ने कहा कि यूपीआई के साथ सीबीडीसी को इंटीग्रेट करने से लोगों के बीच डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल बढ़ेगा. इस तरह लोग अब रोजाना के लेन-देन में डिजिटल रुपये का ज्यादा इस्तेमाल कर पाएंगे. बैंक का मानना है कि उसकी यह पहल डिजिटल करेंसी इकोसिस्टम के लिए गेम चेंजर साबित होने वाली है.
भारत में सीबीडीसी की शुरुआत
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2022-23 में सीबीडीसी का ऐलान किया था. उसके बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 1 दिसंबर 2022 से सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी का परीक्षण शुरू किया था. अभी प्राइवेट सेक्टर के बैंकों के साथ-साथ लगभग सारे प्रमुख बैंक सीबीडीसी के साथ जुड़ चुके हैं. एसबीआई का जुड़ना इस कारण खास है कि वह ग्राहकों की संख्या, ब्रांचों की संख्या और दूर-दराज के इलाके तक पहुंच के मामले में अन्य सभी बैंकों से कोसों आगे है.
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