नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को चिकित्सा शिक्षा की सर्वोच्च संस्था राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) से देश के70 प्रतिशत मेडिकल कॉलेजों द्वारा एमबीबीएस को अनिवार्य वजीफा नहीं देने के आरोपों की जांच करने को कहा। प्रशिक्षु शीर्ष
अदालत ने दिल्ली के आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज को 1 अक्टूबर, 2023 से अपने एमबीबीएस प्रशिक्षुओं को वजीफे
के रूप में 25,000 रुपये का भुगतान करने का भी निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला
और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एनएमसी से याचिकाकर्ताओं के दावे के बारे में विवरण देते हुए एक रिपोर्ट दाखिल करने
को कहा कि 70 प्रतिशत मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस इंटर्न को कोई वजीफा नहीं देते हैं और इसके लिए क्या कदम उठाए गए
हैं। उन्हें नियमानुसार वजीफा का भुगतान सुनिश्चित करें। वजीफा मांगने वाले छात्रों की ओर से पेश वकील वैभव गग्घर ने कहा
कि एनएमसी की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के 70 फीसदी मेडिकल कॉलेज अपने प्रशिक्षुओं को वजीफा नहीं दे रहे
हैं। पीठ ने एनएमसी के वकील गौरव शर्मा को दावे का जवाब देने और एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें उन
कॉलेजों का सारणीबद्ध चार्ट दिया गया जो इंटर्न को वजीफा दे रहे हैं और जो भुगतान नहीं कर रहे हैं।
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