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बुधवार, 6 सितंबर 2023

चंद्रयान के बाद जापान उतारेगा चंद्रमा पर छोटा सा लैंडर

चंद्रयान के बाद जापान उतारेगा चंद्रमा पर छोटा सा लैंडर

भारत का चंद्रयान-3 अभियान पूरा हो गया है. इस अभियान में विक्रमलैंडर ने प्रज्ञान रोवर सहित चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की और नया रिकॉर्ड भारत के नाम दर्ज कराया.

इसके बाद दोनों ने चंद्रमा की सतह पर सभी प्रयोग सफलता पूर्वक पूरे किए और बहुत से जरूरी आंकड़े पृथ्वी पर वैज्ञानिकों को भेजे. अब जापान भी कड़ी में अपना नाम जोड़ने वाला है. आगामी 7 सितंबर को वह एक अभियान चंद्रमा के लिए प्रक्षेपित करने जा रहा है जिसके जरिए वह एक छोटा से रोवर चंद्रमा की सतह पर उतारने वाला है. इसकी खास बात यह है कि यह विशेष तरह की पिनप्वाइंट लैंडिंग होगी जो एक ढाल वाली सतह पर होगी.

कौन करेगा इसका प्रक्षेपण

जापान की मितसुबिशी हेवी इंडस्ट्री (एमएचआई) ने ऐलान किया है कि वह एच-आईआईए रॉकेट के जरिए चंद्रमा के लिए एक लैंडर को प्रक्षेपित करने जा रहा है. यह ऐलान ऐसे समय पर हो रहा है जब पिछले महीने हवा के प्रतिकूल हालात की वजह से इसके प्रक्षेपण का टाल दिया गया था. एच-आईआईए रॉकेट जाक्सा और एमएचआई मिलकर विकसित किया है जो 2001 से जापान के स्पेस लॉन्च व्हीकल की तरह काम कर रहा है.

कब होगा इसका प्रक्षेपण

गौर करने वाली बात यह है कि इस तरह के प्रक्षेपण का प्रयास मई के महीने भी हुआ था जो नाकाम हो गया था. यह प्रक्षेपण जापान एरोस्पेस एक्सप्लेरेशन एजेंसी जाक्सा के दक्षिणी जापान में स्थित तानेगाशिमा स्पेस सेंटर से भारतीय समयानुसार 7 सितंबर की सुबह 5.12 बजे निर्धारित किया गया है. जबकि इसकी लॉन्च विंडो 15 सितंबर तक उपलब्ध है.

एक बड़ी सफलता होगी

एचआईआईए रॉकेट के बारे में कहा जाता है इसके 46 में 45 प्रक्षेपण पूरी तरह से सफल रहे थे. लेकिन एचआईआईए का 47वां प्रक्षेपण कई महीनों के लिए टाल दिया गया था. लेकिन आने वाला प्रक्षेपण जापान की चंद्रमा पर पहली लैंडिंग होगी जिसका बाद जापान चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का पांचवा देश बन जाएगा.

जाक्सा अपने देश की निजी कंपनी के सहयोग से यह अभियान पूरा करेगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

क्या है मकसद

स्लिम यानि स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिंग मून बहुत छोटा यान होगा जिसका वजन केवल 200 ग्राम ही होगा. जबकि भारत के चंद्रयान-3 का वजन 1750 किलोग्राम था. स्लिम का मुख्य लक्ष्य चंद्रमा पर सटीक लैंडिंग करना है जिसमें वह चुनी हुई जगह के 100 मीटर के आसपास ही लैंडिंग होगी.

अभियान का मकसद ही यह प्रदर्शित करना है कि चंद्रमा पर जहां चाहे उतरा जा सकता है.

सटीकता की जरूरत

जाक्सा का कहना है कि वह इसके लिए पिनप्वाइंट लैंडिंग तकनीक का इस्तेमाल करेगा. इसके जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि चुनी गई साइट के सबसे नजदीक की लैंडिंग हो सके. जाक्सा का कहना है कि आज का तकनीकी ज्ञान सटीक खगोलीय लक्ष्यों को संभव बना सकता है और इसमें ज्यादा सटीकता नाला जरूरी भी हो गया है.

इस अभियान में जाक्सा पिन प्वाइंट लैंडिंग तकनीक का उपयोग करेगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)ढाल वाली सतह पर लैंडिंग जाक्सा का कहना है कि पिनप्वाइंट लैंडिंग हासिल कर ऐसे ग्रहों पर लैंडिंग करना संभव हो सकेगा जहां पर चंद्रमा से भी कम संसाधन हैं. स्लिम के लिए चुनी गई लैंडिंग साइट चंद्रमा के भूमध्य इलाके में शिहोली नाम के छोटे क्रेटर के पास है. क्रेटर के पास होने से लैंडिंग के इलाके की सतह 15 डिग्री के ढाल पर होगा. ऐसे में ढाल वाली सतह पर यह लैंडिंग और भी अहम हो जाती है.

इस अभियान की सफलता जापान अंतरिक्ष उद्योग के लिए भी एक मील का पत्थर साबित होगी. 

जाक्सा को वित्तीय वर्ष 2024 के ले वहां की सरकार से 10 अरब येन की सबसिडी मिल सकती है. इस धनराशि का उपयोग कंपनियों और यूनिवर्सिटी को सैटेलाइट रॉकेट और चंद्रमा अन्वेषण तकनीक के विकास करने के लिए दिया जाएगा. भारत के चंद्रयान-3 की सफलता के बाद यह अभियान भी चंद्र अन्वेषण कार्यक्रमों में गति लाने का काम करेगा.

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