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मंगलवार, 12 सितंबर 2023

'तुर्की के बिना कोई कॉरिडोर नहीं', एर्दोगन ने भारत को यूरोप से जोड़ने वाले प्रोजेक्ट का किया विरोध

 


तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर (IMEEC) ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट का विरोध किया है. एर्दोगन ने कहा कि उन्हें पता है कि कई देश ट्रेड कॉरिडोर बनाकर अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं.

रेचेप तैय्यप एर्दोगन तुर्की वापस लौट चुके हैं और अब उनके सुर भी बदल गए हैं. भारत में जी20 समिट में उनके साथ मीडियाकर्मियों से बात करते हुए एर्दोगन ने सोमवार को कहा कि तुर्की के बिना कोई कोई कॉरिडोर नहीं है.

दरअसल भारत की अध्यक्षता में हुए जी20 शिखर सम्मेलन में इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर (IMEEC) ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट की मंजूरी मिली है. यह कॉरिडोर भारत से संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इज़राइल होते हुए ग्रीस और यूरोप तक पहुंचेगा. इस कॉरिडोर में तुर्की को बायपास किया गया है. इस समझौते पर यूरोपीय संघ, भारत, सऊदी अरब, यूएई, अमेरिका और जी20 के अन्य सदस्यों ने भी हस्ताक्षर किए थे.

तुर्की के बिना कोई कोई कॉरिडोर

एर्दोगन ने कहा, "हम कहते हैं कि तुर्की के बिना कोई कॉरिडोर नहीं है. तुर्की उत्पादन और व्यापार के लिए महत्वपूर्ण देश है. पूर्व से पश्चिम तक यातायात के लिए सबसे सुविधाजनक लाइन तुर्की से होकर गुजरती है."

IMEEC प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य शिपिंग समय में 40 फीसदी की कटौती करना और अन्य लागतों, ईंधनों के उपयोग पर पैसे बचाना है. हालांकि ये प्रोजेक्ट तुर्की को दरकिनार कर देता है.

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इराक डेवलेपमेंट रोड प्रोजेक्ट का किया समर्थन

एर्दोगन ने कहा कि उन्हें पता है कि कई देश ट्रेड कॉरिडोर बनाकर अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि उन्होंने इराक डेवलेपमेंट रोड प्रोजेक्ट को सपोर्ट किया, जिसका टारगेट गल्फ को तुर्की और यूरोप से रेलवे-हाईवे संयुक्त अरब अमीरात, कतर, ईरान को जोड़ना है.

तुर्की ने किया था भारत की UNSC सदस्यता का समर्थन

जी20 सम्मेलन में शामिल होने दिल्ली पहुंचे एर्दोगन ने पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता में UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि अगर भारत जैसा देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का स्थायी सदस्य बनता है तो तुर्की को "गर्व" होगा. एर्दोगन ने कहा कि सभी गैर-पी5 सदस्यों को बारी-बारी से सुरक्षा परिषद का सदस्य बनने का अवसर मिलना चाहिए.

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