घोसी विधानसभा उपचुनाव लड़ना बसपा की राजनीतिक सूझबूझ वाला रहा या नुकसानदायक यह तो समय बताएगा, पर चुनावी परिणामों ने यह साफ कर दिया है कि मुस्लिम के साथ दलित मतदाता ने सपा के साथ जाने में परहेज नहीं किया।बसपा सुप्रीमो मायावती हर मौके पर दलितों के साथ मुस्लिमों को साधती रहती हैं और यह बताने की कोशिश करती हैं कि भाजपा से मुकबला वही कर सकती हैं, मगर घोसी उपचुनाव के परिणाम से बसपा की मुस्लिम-दलित वोट बैंक पर पकड़ कमजोर होती दिखी। घोसी उपचुनाव परिणाम कहीं न कहीं मायावती के लिए भी संदेश गया है।
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