महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में शमशान घाट की जमीन को लेकर हुए विवाद के चलते एक बुजुर्ग महिला के शव का अंतिम संस्कार नहीं हो सका. इसके बाद ग्रामीणों ने धमकी दी कि जब तक प्रशासन उन्हें शमशान घाट के लिए जमीन नहीं देगा, वह तब तक बुजुर्ग का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे.
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस और प्रशासन के लोग मौके पर पहुंचे. ग्रामीणों को समझाया और अंतिम संस्कार के लिए किसी तरह से राजी किया. ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन की तरफ से जो जगह शमशान घाट के लिए दी गई थी. उस पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है और वो किसी को भी अंतिम संस्कार करने नहीं दे रहे हैं.
सरपंच की सास का नहीं होने दिया अंतिम संस्कार
दरअसल गांव की सरपंच वनमाला सिद्धार्थ कातकर की 85 वर्षिय सास सरस्वती लक्ष्मण कातकर का निधन हो गया था. अंतिम संस्कार के लिए पूरा इकट्ठा हुआ और दाह संस्कार के लिए शव को शमशान घाट पर लेकर गए. लेकिन वहां पर मौजूद लोगों ने अपनी निजी जमीन बताकर बुजुर्ग महिला का अंतिम संस्कार नहीं होने दिया. चूंकी मामला गांव की सरपंच से जुड़ा था तो विवाद बढ़ गया. सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन के लोग मौके पर पहुंचे.
शमशान की जमीन पर कुछ लोगों ने ठोका अपना दावा
बता दें, कोरपना गांव के लोगों ने तहसीलदार से श्मशान घाट के लिए भूमि की मांग की थी. इसके बाद प्रशासन की तरफ से गांव के बाहर सर्वे नंबर 21 की जगह श्मशान के लिए जमीन ग्रामीणों को दी गई थी. लेकिन अब महादेव गोरे और उसके कुछ साथी इस जमीन को अपनी बता रहे हैं. वहीं, प्रशासन का कहना है कि जल्द ही मामले को सुलझा लिया जाएगा.
पीड़ित परिवार को अपने खेतों में करना पड़ा अंतिम संस्कार
इस मामले पर सरपंच के पति सिद्धार्थ कातकर ने बताया कि सात तारीख को उनकी मां की मौत हो गई थी. आठ तारीख को हम अंतिम संस्कार के लिए ले गए. लेकिन वहां पर महादेव नाम के शख्स ने उन्हें अंतिम संस्कार नहीं करने दिया. फिर शव को एक रात घर पर रखना. इसके बाद अपने खेत में उन्होंने मां का अंतिम संस्कार किया. प्रशासन को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है.
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में शमशान घाट की जमीन को लेकर हुए विवाद के चलते एक बुजुर्ग महिला के शव का अंतिम संस्कार नहीं हो सका. इसके बाद ग्रामीणों ने धमकी दी कि जब तक प्रशासन उन्हें शमशान घाट के लिए जमीन नहीं देगा, वह तब तक बुजुर्ग का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे.
सरपंच की सास का नहीं होने दिया अंतिम संस्कार
दरअसल गांव की सरपंच वनमाला सिद्धार्थ कातकर की 85 वर्षिय सास सरस्वती लक्ष्मण कातकर का निधन हो गया था. अंतिम संस्कार के लिए पूरा इकट्ठा हुआ और दाह संस्कार के लिए शव को शमशान घाट पर लेकर गए. लेकिन वहां पर मौजूद लोगों ने अपनी निजी जमीन बताकर बुजुर्ग महिला का अंतिम संस्कार नहीं होने दिया. चूंकी मामला गांव की सरपंच से जुड़ा था तो विवाद बढ़ गया. सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन के लोग मौके पर पहुंचे.
शमशान की जमीन पर कुछ लोगों ने ठोका अपना दावा
बता दें, कोरपना गांव के लोगों ने तहसीलदार से श्मशान घाट के लिए भूमि की मांग की थी. इसके बाद प्रशासन की तरफ से गांव के बाहर सर्वे नंबर 21 की जगह श्मशान के लिए जमीन ग्रामीणों को दी गई थी. लेकिन अब महादेव गोरे और उसके कुछ साथी इस जमीन को अपनी बता रहे हैं. वहीं, प्रशासन का कहना है कि जल्द ही मामले को सुलझा लिया जाएगा.
पीड़ित परिवार को अपने खेतों में करना पड़ा अंतिम संस्कार
इस मामले पर सरपंच के पति सिद्धार्थ कातकर ने बताया कि सात तारीख को उनकी मां की मौत हो गई थी. आठ तारीख को हम अंतिम संस्कार के लिए ले गए. लेकिन वहां पर महादेव नाम के शख्स ने उन्हें अंतिम संस्कार नहीं करने दिया. फिर शव को एक रात घर पर रखना. इसके बाद अपने खेत में उन्होंने मां का अंतिम संस्कार किया. प्रशासन को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है.
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