भारत के अंतरिक्ष अभियान की कामयाबी का अनंत आसमान है, जिसे फतह करने की शुरुआत हो चुकी है. ये वो करिश्मा है जो ख़ुद को सुपरपावर कहने वाला चीन भी नहीं कर सका है. अंतरिक्ष में भारत की कामयाबी का ये वो पड़ाव है, जिसे छूने की कल्पना तक चीन ने नहीं की है.
भारत सोलर मिशन को कामयाब बनाकर कैसे सुपरपावर्स के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होने वाला है.
साल 1962 में भारत ने अंतरिक्ष प्रोग्राम शुरू किया था और अब मंगयलान तक की यात्रा तय कर चुका है. भारत ने इसे स्पेस में 2014 में सिर्फ 7.4 करोड़ डॉलर खर्च कर भेजा था. इसका खर्च हॉलीवुड की फ़िल्म ‘ग्रैविटी’ से भी कम आया. मंगलयान भारत का गर्व बन गया और इसे 2000 के नोट पर जगह दी गई.
पाकिस्तान के 87% इलाके पर भारत की पैनी नजर
अंतरिक्ष की दुनिया में भारत दुनिया की महाशक्तियों के साथ खड़ा है. साथ ही देश पर बुरी नज़र रखने वाले दुश्मनों पर भी भारत की निगाह है. भारतीय सैटेलाइट्स पाकिस्तान के 87% इलाके पर नजर रख सकती हैं यानी कराची की किसी गली से पेशावर के किसी जंगल तक की हलचल भारत देख सकता है और भारत की सैटेलाइट्स की ज़द में चीन का भी एक बड़ा हिस्सा आता है.
भारत का स्पेस मिशन
सैटेलाइट मैन्युफैक्चरिंग
- 2020- $2.1 बिलियन, 2025- $3.2 बिलियन
लॉन्च सर्विसेज़
- 2020- $ 567.4 मिलियन, 2025- $1047 मिलियन
सैटेलाइट सर्विसेज़
- 2020- $ 3.8 बिलियन, 2025- $ 4.6 बिलियन
ग्राउंड सेगमेंट
- 2020- $ 3.1 बिलियन, 2025- $ 4 बिलियन
भारत के स्पेस मिशन ने अंतरिक्ष में गाड़े झंडे
अंतरिक्ष में भारत के स्पेस मिशन ने झंडे गाड़ दिए हैं. भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी जितना देश के विकास के काम आती है, उतना ही देश के दुश्मन पर भी नज़र रखती है. भविष्य में सीधे-सीधे सेनाएं भले ही आमने सामने ना हों लेकिन युद्ध का तरीका पूरी तरह से बदल जाएगा. कई एक्सपर्ट्स इस बात को लेकर चेतावनी दे चुके हैं कि आने वाले समय में स्पेस वॉर इसका अहम हिस्सा होगा. अगर स्पेस वॉर होता है तो सबसे पहले मिलिट्री सैटेलाइट्स को टारगेट किया जा सकता है.
ऐसी ही बड़ी कामयाबी भारत ने कुछ साल पहले 2019 में भी हासिल की थी. जब भारत ने अंतरिक्ष में एक उपग्रह को एंटी सैटेलाइट मिसाइल से मार गिराया था. भारत ने 2 रॉकेट बूस्टर के साथ 18 टन की मिसाइल से 740 किलो के उपग्रह को लो अर्थ ऑर्बिट में 3 मिनट में मार गिराया था और पीएम मोदी ने फख्र के साथ इसे पूरी दुनिया को बताया.
भारत के अंतरिक्ष अभियान की कामयाबी का अनंत आसमान है, जिसे फतह करने की शुरुआत हो चुकी है. ये वो करिश्मा है जो ख़ुद को सुपरपावर कहने वाला चीन भी नहीं कर सका है. अंतरिक्ष में भारत की कामयाबी का ये वो पड़ाव है, जिसे छूने की कल्पना तक चीन ने नहीं की है.
साल 1962 में भारत ने अंतरिक्ष प्रोग्राम शुरू किया था और अब मंगयलान तक की यात्रा तय कर चुका है. भारत ने इसे स्पेस में 2014 में सिर्फ 7.4 करोड़ डॉलर खर्च कर भेजा था. इसका खर्च हॉलीवुड की फ़िल्म ‘ग्रैविटी’ से भी कम आया. मंगलयान भारत का गर्व बन गया और इसे 2000 के नोट पर जगह दी गई.
पाकिस्तान के 87% इलाके पर भारत की पैनी नजर
अंतरिक्ष की दुनिया में भारत दुनिया की महाशक्तियों के साथ खड़ा है. साथ ही देश पर बुरी नज़र रखने वाले दुश्मनों पर भी भारत की निगाह है. भारतीय सैटेलाइट्स पाकिस्तान के 87% इलाके पर नजर रख सकती हैं यानी कराची की किसी गली से पेशावर के किसी जंगल तक की हलचल भारत देख सकता है और भारत की सैटेलाइट्स की ज़द में चीन का भी एक बड़ा हिस्सा आता है.
भारत का स्पेस मिशन
सैटेलाइट मैन्युफैक्चरिंग
- 2020- $2.1 बिलियन, 2025- $3.2 बिलियन
लॉन्च सर्विसेज़
- 2020- $ 567.4 मिलियन, 2025- $1047 मिलियन
सैटेलाइट सर्विसेज़
- 2020- $ 3.8 बिलियन, 2025- $ 4.6 बिलियन
ग्राउंड सेगमेंट
- 2020- $ 3.1 बिलियन, 2025- $ 4 बिलियन
भारत के स्पेस मिशन ने अंतरिक्ष में गाड़े झंडे
अंतरिक्ष में भारत के स्पेस मिशन ने झंडे गाड़ दिए हैं. भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी जितना देश के विकास के काम आती है, उतना ही देश के दुश्मन पर भी नज़र रखती है. भविष्य में सीधे-सीधे सेनाएं भले ही आमने सामने ना हों लेकिन युद्ध का तरीका पूरी तरह से बदल जाएगा. कई एक्सपर्ट्स इस बात को लेकर चेतावनी दे चुके हैं कि आने वाले समय में स्पेस वॉर इसका अहम हिस्सा होगा. अगर स्पेस वॉर होता है तो सबसे पहले मिलिट्री सैटेलाइट्स को टारगेट किया जा सकता है.
ऐसी ही बड़ी कामयाबी भारत ने कुछ साल पहले 2019 में भी हासिल की थी. जब भारत ने अंतरिक्ष में एक उपग्रह को एंटी सैटेलाइट मिसाइल से मार गिराया था. भारत ने 2 रॉकेट बूस्टर के साथ 18 टन की मिसाइल से 740 किलो के उपग्रह को लो अर्थ ऑर्बिट में 3 मिनट में मार गिराया था और पीएम मोदी ने फख्र के साथ इसे पूरी दुनिया को बताया.
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