- शहर बंद, सड़कों पर पहरा और 10 फीट की फेंसिंग... ऐसे विवादों में आ गया था टोरंटो का जी20 शिखर सम्मेलन | सच्चाईयाँ न्यूज़

गुरुवार, 7 सितंबर 2023

शहर बंद, सड़कों पर पहरा और 10 फीट की फेंसिंग... ऐसे विवादों में आ गया था टोरंटो का जी20 शिखर सम्मेलन

 


ई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के लिए सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त को लेकर कुछ लोगों को शिकायत है. खासकर कनॉट प्लेस के दुकानदार और कारोबारी बाजार बंद किए जाने का विरोध कर रहे हैं. ऐसा ही कुछ साल 2010 में टोरंटो के जी20 शिखर सम्मेलन में भी हुआ था.

बल्कि वहां विवाद इससे कहीं ज्यादा था. वो जी20 शिखर सम्मेलन कड़े सुरक्षा इतंजामों की वजह से ही विवादों और आलोचना का शिकार बन गया था. जी20 के इतिहास में उस शिखर सम्मेलन को अब तक का सबसे विवादित आयोजन माना जाता है. तो चलिए जान लेते हैं उस जी20 शिखर सम्मेलन के विवादित बन जाने की पूरी कहानी.

26-27 जून 2010, टोरंटो - कनाडा
वो साल 2010 था, जब जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन कनाडा के टोरंटो में हो रहा था. उस साल जी20 शिखर सम्मेलन में वैश्विक वित्तीय प्रणाली और विश्व अर्थव्यवस्था पर चर्चा होनी थी. वो जी20 से जुड़े राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों की चौथी बैठक थी. 26-27 जून 2010 यानी दो दिन के इस शिखर सम्मेलन का आयोजन टोरंटो, ओन्टारियो, कनाडा में मेट्रो टोरंटो कन्वेंशन सेंटर में हुआ था.

विवाद और आलोचना की वजह
टोरंटो में G20 शिखर सम्मेलन को अपने सुरक्षा इतंजामों के कारण आलोचना और विवाद का सामना करना पड़ा था. नागरिक स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने और प्रदर्शनकारियों के साथ तनाव पैदा करने, सुरक्षा बाड़ लगाने और भारी पुलिस बल की मौजूदगी के साथ व्यापक सुरक्षा उपाय करने की वजह से उस साल टोरंटो में शिखर सम्मेलन की जमकर आलोचना हुई थी. यहां तक कि उस दो दिन के आयोजन के दौरान प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों के खिलाफ पुलिस एक्शन की खबरें भी सुर्खियों में आ गईं थीं.

पुलिस समेत कई एजेंसियों की तैनाती
दरअसल, फरवरी 2010 में टोरंटो में शिखर सम्मेलन की सुरक्षा के लिए तैयारी शुरू कर दी गईं थीं. कई स्तर पर सुरक्षा अधिकारी इस काम की कमान संभाल रहे थे. जिसमें टोरंटो पुलिस सेवा, ओंटारियो प्रांतीय पुलिस, रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस और कैनेडियन फोर्सेस सहित कई कानूनी प्रवर्तन एजेंसियां सुरक्षा इंतजामों के लिए तैनात की गईं थीं. इसी तरह से पील क्षेत्रीय पुलिस ने टोरंटो के पियर्सन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सुरक्षा व्यवस्था संभालने में मदद की थी. लेकिन किसी को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि यही सुरक्षा इंतजाम इस शिखर सम्मेलन की बदनामी का सबब बन जाएंगे. अब बताते हैं कि उस जी20 शिखर सम्मेलन में किस तरह के सुरक्षा इंतजाम थे.

दुकानों पर लगाए थे बख्तरबंद जैसे कवर बोर्ड
साल 2010 में कनाडा के मेट्रो टोरंटो कन्वेंशन सेंटर को मुख्य आयोजन स्थल बनाया गया था. लेकिन इस आयोजन की वजह से वहां की सभी दुकानों और बाजारों को दो दिन के लिए बंद रखा गया था. इस बात से वहां के दुकानदार काफी नाराज थे. कई दुकानदारों ने किसी भी तरह की घटना और दंगे की आशंका के चलते अपनी दुकानों पर बाहर मजबूत और सख्त किस्म के कवर लगा दिए थे. ताकि कुछ भी हो जाने पर उनकी दुकानों को नुकसान ना पहुंचे. इसके अलावा नगरपालिका की संपत्तियों में 745 समाचार पत्र बक्से, 200 सार्वजनिक कचरे के डिब्बे, 70 मेलबॉक्स, 29 बस शेल्टर और 5 सार्वजनिक सूचना बोर्ड भी शहर से हटा दिए गए थे.

एकीकृत सुरक्षा इकाई (ISU)
आयोजन के दौरान वहां पांच विभागों की एक एकीकृत सुरक्षा इकाई (आईएसयू) का गठन किया गया था, जो वैंकूवर में 2010 के शीतकालीन ओलंपिक के लिए बनाई गई इकाई के समान थी.

कई राज्यों के पुलिस अफसरों की तैनाती
उस जी20 शिखर सम्मेलन के लिए यॉर्क क्षेत्रीय पुलिस, हॉल्टन क्षेत्रीय पुलिस सेवा, बैरी पुलिस सेवा, ग्रेटर सडबरी पुलिस सेवा, वाटरलू क्षेत्रीय पुलिस सेवा, नियाग्रा क्षेत्रीय पुलिस सेवा, हैमिल्टन पुलिस सेवा, ओटावा पुलिस सेवा सहित विभिन्न क्षेत्रीय पुलिस सेवाओं के अतिरिक्त पुलिस अधिकारी तैनात किए गए थे. कैलगरी पुलिस सेवा के 150 पुलिस अधिकारी भी स्वयंसेवी के तौर पर वहां तैनात किए गए थे.

हजारों में थी सुरक्षा कर्मियों की संख्या
एक प्रारंभिक अनुमान से पता चलता है कि साल 2010 के कनाडा जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान 25,000 वर्दीधारी पुलिस अधिकारी तैनात किए गए थे. जबकि कमिश्नर ग्रेट लेक्स के 1,000 सुरक्षा गार्ड और कई कनाडाई सैन्य बल की तैनाती भी आयोजन स्थल और उसके आस-पास की गई थी.

NORAD ने की थी एक्सरसाइज
उत्तरी अमेरिकी एयरोस्पेस डिफेंस कमांड (NORAD) ने ग्रेटर टोरंटो इलाके में अलग-अलग तरह के विमानों के साथ अमलगम विरगो अभ्यास आयोजित किया था. जिसका मकसद था हवाई क्षेत्र की निगरानी.

सुरक्षा इंतजाम पर खर्च हुए थे 1.8 बिलियन डॉलर
साल 2010 के G8 और G20 दोनों शिखर सम्मेलनों में सुरक्षा इंतजामों की कुल लागत $1.8 बिलियन डॉलर निर्धारित की गई थी. जिसका भुगतान पूरी तरह से संघीय क्राउन-इन-काउंसिल द्वारा किया गया था. लेकिन इसमें स्थानीय कारोबार को होने वाले किसी भी संभावित नुकसान की लागत शामिल नहीं थी.

कड़ा सुरक्षा घेरा
आयोजन स्थल के चारों और एक सुरक्षा घेरा बनाया गया था. जिसके एक खास इलाके में वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध था. ऐसे इलाकों में उत्तर में किंग स्ट्रीट, दक्षिण में लेक शोर बुलेवार्ड, पूर्व में योंग स्ट्रीट और पश्चिम में स्पैडीना एवेन्यू इलाका शामिल थे.

रजिस्ट्रेशन कार्ड
आयोजन स्थल और उसके सुरक्षा घेरे के भीतर रहने वाले लोगों को रजिस्ट्रेशन कार्ड जारी किए गए थे. इसी तरह से उस इलाके में दाखिल होने वालों या पैदल यात्रियों के लिए फोटो पहचान पत्र जारी किए गए थे. साथ ही इलाके में दाखिल होने की वाजिब वजह बताने के लिए कहा गया था. सुरक्षा परिधि में आने वाले को 38 जांच चौकियों में से किसी एक से गुजरना पड़ता था.

आयोजन स्थल की तरफ जाने पर प्रतिबंधित
किसी भी आम नागरिक या प्रदर्शनकारी के लिए आयोजन स्थल की तरफ जाना पूरी तरह से प्रतिबंधित था. दरअसल, आयोजन स्थल यानी मेट्रो टोरंटो कन्वेंशन सेंटर के आसपास के इलाके को बंद कर दिया गया था. यही बात वहां के नागरिकों और प्रदर्शनकारियों के लिए परेशानी का सबब बन गई थी.

सुरक्षा के लिए 10 फीट ऊंची बाड़
सुरक्षा के नाम पर कनाडा के जी20 शिखर सम्मेलन में एक ऐसा काम हुआ था, जो सबको हैरान कर रहा था. असल में वहां आयोजन स्थल और उससे जुड़े इलाके के चारों और 5.5 मिलियन डॉलर की लागत से 3 मीटर (10 फीट) ऊंची बाड़ लगाई गई थी. इसके लिए एसएनसी-लवलिन के साथ अनुबंध किया गया था. ओन्टारियो की दो कंपनियों ने ये बाड़ लगाने का काम किया था.

निगरानी के लिए अतिरिक्त CCTV कैमरे
आयोजन स्थल की निगरानी के लिए टोरंटो पुलिस सेवा ने मेट्रो टोरंटो कन्वेंशन सेंटर और उसके आस-पास के इलाकों में 77 अतिरिक्त क्लोज-सर्किट टेलीविजन सुरक्षा कैमरे स्थापित किए थे. ताकि वहां चप्पे चप्पे पर नजर रखी जा सके.

खरीदे गए थे लंबी दूरी के ध्वनिक उपकरण
कनाडा के जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान विशेष रूप से चार लंबी दूरी के ध्वनिक उपकरण (Long Range Acoustic Devices) खरीदे गए थे. जिनका इस्तेमाल ऑडियो निगरानी के लिए किया गया था. साथ ही दंगा नियंत्रण के लिए पानी की बौछारों के इस्तेमाल की योजना भी बनाई गई थी.

समुद्री रास्तों पर निगरानी
उस साल जी20 आयोजन स्थल का सुरक्षा दायरा ओंटारियो झील तक फैला हुआ था. यही वजह है कि कनाडा में उस समय अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनकारियों की अवैध घुसपैठ रोकने के लिए जल पुलिस और कनाडाई तटरक्षक बल ने मिलकर ग्रिफ़ॉन शिप के साथ एक समुद्री सुरक्षा अभियान चलाया था. ताकि पानी के रास्तों पर नजर रखी जा सके.

तो वो तमाम वजह और कारण थे, जिनकी वजह से साल 2010 में कनाडा के टोरंटो में आयोजित किया गया जी20 शिखर सम्मेलन विवादों में आ गया था. और उस वक्त वहां की सरकार को चारों तरफ से आलोचन का शिकार होना पड़ा था. लेकिन हम यही कामना करते हैं कि नई दिल्ली में 8, 9 और 10 सितंबर को होने वाला जी20 शिखर सम्मेलन शांति और सफलता के साथ सम्पन्न हो जा और हमारे देश का मान बना रहे.

एक टिप्पणी भेजें

Whatsapp Button works on Mobile Device only

Start typing and press Enter to search

Do you have any doubts? chat with us on WhatsApp
Hello, How can I help you? ...
Click me to start the chat...