अतीक अहमद की जिस बेनामी संपत्ति को कुर्क करने के लिए चिह्नित किया गया है, उसे माफिया ने अपनी दबंगई के दम पर कौड़ियों के भाव खरीदा था। उसने महज दो करोड़ रुपये में 28 हजार वर्ग गज जमीन का बैनामा राजमिस्त्री के नाम कराया था।
गौसपुर कटहुला स्थित इस बेनामी संपत्ति का पता पुलिस को तब चला जब लखनऊ के एक होटल में विजय मिश्र की गिरफ्तारी हुई। इसी दौरान रजिस्ट्री के कागजात मिले और इसके बाद पता चला कि यहां इसी जमीन की डील होनी थी। सूत्रों का कहना है कि 14 अगस्त 2015 को यह जमीन अतीक ने अपने पैसों से यमुनापार के एक राजमिस्त्री के नाम पर खरीदी थी।
खास बात यह है कि महज दो करोड़ रुपये में कुल 23,447 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाली जमीन लिखाई गई थी। यह लगभग 28 हजार वर्ग गज होती है। जानकारों का कहना है कि आठ साल पहले की बात करें तो भी इस सौदे को देखकर कहा जा सकता है कि जमीन कौड़ियों के भाव खरीदी गई। दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि तत्कालीन सर्किल रेट से कम मूल्य पर जमीन खरीदी गई।
शाइस्ता, जैनब ने की थी बात
सूत्रों का कहना है कि इसी बकरीद पर इस बेनामी संपत्ति को बेचने की योजना बनाई गई। इसके बाद न सिर्फ जैनब बल्कि शाइस्ता ने जमीन के मालिक राजमिस्त्री से बात भी की थी। उसे रजिस्ट्री के लिए तैयार रहने को कहा गया था। यह बात खुद राजमिस्त्री ने पुलिस को बताई है।
झूंसी का कुख्यात अपराधी भी था शामिल
खास बात यह भी है कि झूंसी का रहने वाला कुख्यात अपराधी भी इस जमीन को बिकवाने में लगा हुआ था। लंबे-चौड़े आपराधिक इतिहास वाला यह शातिर कई बार जेल जा चुका है। वह किसके कहने पर इसमें शामिल हुआ और अतीक के परिवार से उसका क्या संबंध है, इसका पता लगाने में पुलिस जुटी हुई है।
विधायकी का चुनाव लड़ चुका है विजय
उमेश पाल हत्याकांड में साजिश रचने के आरोप में जेल भेजा गया विजय मिश्र विधानसभा चुनाव भी लड़ चुका है। 2012 में फूलपुर विस सीट से उसने सपा नेता रहे ठा. अमर सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकमंच के बैनर तले चुनाव लड़ा था। इसमें उसे 1231 वोट मिले थे। चुनाव लड़ते समय पर उस पर कुल पांच मुकदमे दर्ज थे। इनमें से एक 2009 में मुट्ठीगंज थाने में दर्ज गैंगस्टर का भी मामला है। 2017 में भी उसके खिलाफ दो मुकदमे दर्ज हुए थे।
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