गोरखपुर, 25 अगस्त। कवियित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई शुक्रवार को हो गई।
सारी औपचारिकताएं पूरी कराकर डीएम कार्यालय से जेल प्रशासन के पास रिहाई का आदेश पहुंचा।
जेलर, डिप्टी जेलर आदेश की कॉपी लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज रवाना हो गए। इसके बाद उनकी रिहाई हो गई।
उत्तर प्रदेश शासन के कारागार प्रशासन एवं सुधार अनुभाग के विशेष सचिव मदन मोहन ने गुरुवार को राज्य की 2018 की रिहाई नीति का जिक्र करते हुए पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी को समय से पहले रिहा करने का आदेश जारी किया था।
गोरखपुर जेल के जेलर एके कुशवाहा ने बताया कि दोनों काफी वृद्ध हो चुके हैं। उनके अच्छे आचरण के कारण रिहाई का आदेश जारी हुआ है। दोनों को जेल हिरासत से रिहा कर दिया गया है, लेकिन वे बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ही रहेंगे।
अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई की खबर मिलते ही उनकी कर्मभूमि महाराजगंज के नौतनवा विधानसभा कार्यालय पर लोगों ने जमकर खुशी मनाई। इस दौरान एक-दूसरे को मिठाई खिलाने के साथ ही आतिशबाजी भी की गई।
अमरमणि के बेटे पूर्व विधायक अमनमणि त्रिपाठी ने पत्रकारों से कहा कि हम माता-पिता को देखने के लिए 20 साल से तरस रहे थे। नौतनवा की जनता अपने नेता के दीदार को बेकरार है। पिताजी डॉक्टरों के परामर्श के बाद ही अस्पताल से डिस्चार्ज होंगे।
उन्होंने कहा कि देश के संविधान ने एक आम आदमी को जो अधिकार दिया है, वो हमें भी मिला है। उसी के तहत रिहाई हुई है। संविधान, अदालत और देश की जनता का शुक्रिया। 20 साल से अपने मां-बाप के बिना लड़ाई लड़ रहा था। आज का दिन बेहद अहम है।
महराजगंज जिले की लक्ष्मीपुर (अब नौतनवा) विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित अमरमणि त्रिपाठी कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा वह सपा और बसपा में भी रहे।
दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेलाएम. त्रिवेदी की पीठ ने कवियित्री की बहन निधि शुक्ला की याचिका पर राज्य सरकार, अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को नोटिस जारी करके आठ सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
बता दें कि कवियित्री मधुमिता शुक्ला के हत्या के मामले में 24 अक्टूबर 2007 को देहरादून की विशेष अदालत ने अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
18 अप्रैल 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने लोअर कोर्ट की सजा को बरकरार रखा था। 13 मई 2022 को मधुमणि की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अच्छे बर्ताव के चलते सजा में माफी को लेकर दया याचिका दायर की गई थी। 21 नवंबर 2022 को रिहाई का आदेश दिया गया था।
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