बालू खनन का पट्टा लेने वाले नदियों के किनारे खेतों से जबरन बालू भरे ट्रैक्टर व ट्रक निकलते हैं। जिससे किसानों के खेतों में खड़ी फसल नष्ट हो जाती है। ऐसे मामलों में पुलिस भी किसानों की मदद नहीं करती है। ऐसा ही एक मामला जिले के नरैनी थाना क्षेत्र का है।
जहां पुलिस द्वारा पट्टाधारकों ट्रैक्टर निकलने से मना करने के बजाए खेत की बटाईदार महिला से अभद्रता की। पीड़िता ने न्यायालय की शरण ली। इस मामले में न्यायालय के आदेश पर चौकी इंचार्ज समेत पांच पुलिसकर्मियों व दो अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।
जिले के नरैनी थाना क्षेत्र में पट्टा धारक केन नदी से बालू निकलते हैं। इसी क्षेत्र के बिल्हरका गांव निवासी मुन्नी ने सीजेएम कोर्ट में वाद दायर कर बताया कि वह सुखरानी की खेती बटाई पर लिए थी। उस पर चने की फसल बोया था लेकिन उसके खेतों से बालू के पट्टाधारकों के द्वारा जबरन बालू भरे ट्रैक्टर निकाले जा रहे थे।
जिसका मैंने कई बार विरोध किया लेकिन वह नहीं माने। तब मेरे पुत्र जगतपाल ने करतल पुलिस चौकी में इस मामले की सूचना दी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई करने के बजाय मौके पर मौजूद तत्कालीन करतल चौकी प्रभारी कौशल सिंह ने बेटे को डांट कर भगा दिया।
पीड़िता के मुताबिक जब पुलिस से कोई न्याय नहीं मिला तब मैंने उच्च अधिकारियों को शिकायती पत्र देकर कार्रवाई की मांग की, इसके बाद भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। तब मजबूरन न्यायालय की शरण ली। महिला ने यह आरोप भी लगाया कि तत्कालीन करतल चौकी प्रभारी कौशल सिंह बालू भरे ट्रैक्टर व ट्रक निकालने के एवज में पट्टा धारकों से मोटी रकम वसूल करते थे।
पट्टा धारकों के कहने पर ही उन्होंने 05 अप्रैल 2023 को मेरे घर पहुंच कर अपमानित करते हुए जाति सूचक गालियां दी। इसके बाद अगले माह 06 मई को करतल प्रभारी चार अज्ञात पुलिसकर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे, उनके साथ बालू का व्यवसाय करने वाले मंगल पटेल और देवीदिन भी थे। इन्होंने उच्च अधिकारियों से शिकायत करने पर अभद्रता करते हुए गाली गलौज की थी।
इधर नरैनी कोतवाली प्रभारी अरविंद सिंह गौर ने पुष्टि करते हुए बताया कि न्यायालय के आदेश पर तत्कालीन करतल चौकी इंचार्ज ,चार सिपाही अज्ञात व मंगल पटेल तथा देवीदिन निवासी ग्राम बिल्हरका के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत करके मामले की जांच की जा रही है।
बालू खनन का पट्टा लेने वाले नदियों के किनारे खेतों से जबरन बालू भरे ट्रैक्टर व ट्रक निकलते हैं। जिससे किसानों के खेतों में खड़ी फसल नष्ट हो जाती है। ऐसे मामलों में पुलिस भी किसानों की मदद नहीं करती है।
जहां पुलिस द्वारा पट्टाधारकों ट्रैक्टर निकलने से मना करने के बजाए खेत की बटाईदार महिला से अभद्रता की। पीड़िता ने न्यायालय की शरण ली। इस मामले में न्यायालय के आदेश पर चौकी इंचार्ज समेत पांच पुलिसकर्मियों व दो अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।
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